ख़लीफ़ये क़ुल्लाबी-7
Mar ०२, २०१६ १३:४१ Asia/Kolkata
हमने बताया था कि एक रात हारून रशीद ने अपने वज़ीर जाफ़र बरमक्की और मसरूर शमशीरज़न के साथ भेस बदलकर शहर में निकलने का इरादा किया ताकि लोगों के हालात से अवगत हो सके।
हमने बताया था कि एक रात हारून रशीद ने अपने वज़ीर जाफ़र बरमक्की और मसरूर शमशीरज़न के साथ भेस बदलकर शहर में निकलने का इरादा किया ताकि लोगों के हालात से अवगत हो सके। जब वे दजला नदी पर पहुंचे तो उन्हें एक नक़ली ख़लीफ़ा के बारे में पता चला। हारून रशीद ने जब नक़ली ख़लीफ़ा को देखा तो उसकी नाव का पीछा किया और उसके ठिकाने तक पहुंच गया। हारून रशीद और उसके साथियों को वहां मौजूद संतरियों ने गिरफ़्तार कर लिया। जब उनसे उनके बारे में पूछा गया तो उन्होंने ख़ुद को व्यापारी बताया। नक़ली ख़लीफ़ा उन्हें अपने साथ महल में ले गया। उसने शाही दस्तरख़्वान लगाने का आदेश दिया। भोजन के बाद, संगीत का दौर चला। नक़ली ख़लीफ़ा संगीत की महफ़िल के बीच, कई बार मस्त हुआ और उसने अपने कपड़े फाड़ लिए। उसके सेवक हर बार उसे नए वस्त्र पहना दिया करते थे। हारून रशीद ने एक बार फटे हुए वस्त्रों से उसके शरीर पर कोड़ों के निशान देख लिए और यह बात जाफ़र बरमकी को बताई। नक़ली ख़लीफ़ा ने उन्हें काना-फूसी करते हुए देख लिया और इसका कारण पूछा। जाफ़र बरमकी ने उससे कोड़ों के घावों का कारण पूछा। नक़ली ख़लीफ़ा ने ख़लीफ़ा हारून रशीद और उसके साथियों से कहा कि उसने उन्हें पहचान लिया है। उसके बाद उसने अपनी आपबीती बताई कि पिता की मौत के बाद, उसने उनके सुनार के व्यवसाय को आगे बढ़ाया। एक दिन जाफ़र मक्की की बहन दुनिया दुकान पर आई और उसने एक सुन्दर हार और क़ीमती पत्थर दिखाने को कहा। उसने उसकी क़ीमत चुकाने के लिए युवक से अपने घर चलने के लिए कहा, घर पहुंचकर उसने युवक से कहा कि वह उसके साथ विवाह के बंधन में बंध जाए।
धीरे धीरे समय बीतता रहा, एक दिन जब दुनिया घर से बाहर जा रही थी, तो उसने अपने पति से वादा लिया कि वह घर से बाहर नहीं जाएगा, लेकिन राजा के एक संबंधी के आग्रह पर वह घर से बाहर निकलने के लिए मजबूर हो गया। जब वह घर वापस लौटा तो उसकी पत्नी दुनिया उसका इंतज़ार कर रही थी और बहुत ग़ुस्से में थी। उसने उसपर वादा तोड़ने का आरोप लगाया और अपने एक ग़ुलाम को आदेश दिया कि इस झूठे व्यक्ति की गर्दन मार दे, क्योंकि जो संबंध हमारे बीच था अब वह समाप्त हो चुका है।
अचानक मैंने देखा कि ग़ुलाम तलवार लिए मेरे सिर पर खड़ा है और हक़ीक़त में वह मेरी हत्या करना चाहता है। मैं दुनिया के पास गया और अपने अच्छे दिनों की उसे याद दिलाई। मैंने क़सम खाकर कहा कि मैं निर्दोष हूं, हालांकि मैंने कोई गुनाह नहीं किया था, फिर भी उससे माफ़ी की प्रार्थना की। लेकिन वह ग़ुस्से की आग में इतनी तप रही थी कि मानो उसने मेरी बात सुनी ही नहीं। एक बार फिर ग़ुलाम तलवार लेकर मेरे सिर पर खड़ा हो गया और मुझे मारने ही वाला था कि सेवक और सेविकाएं रोते बिलकते हुए दुनिया के पैरों पर गिर पड़े और कहने लगे, हे महान महिला, उससे पहली बार कोई ग़लती हुई है, उसे क्षमा कर दें, क्योंकि उसे पता नहीं था कि इससे आप दुखी होंगी। दुनिया ने चिल्लाकर कहा, तुम्हारी वजह से मैं उसे छोड़ रही हूं, लेकिन उसकी ऐसी हालत बना दूंगी कि वह कभी इसे भूलेगा नहीं और इसके बाद उसे घर से निकलना होगा। उसने यह कहकर ग़ुलाम को कोड़ा लाने का आदेश दिया और कहा कि इसे ज़मीन पर लिटा दो और कोड़ों से मारो। ग़ुलाम ने ऐसा ही किया। मेरे स्वामी, अब आप समझ गए होंगे कि मेरी कमर पर जो कोड़े के घाव हैं, उनका कारण किया है।
उसके बाद मैं रोता पीटता हुआ दुनिया के घर से बाहर निकला और अपने घर पर पहुंचा। कुछ समय बाद मेरे घाव भर गए। मैं अपनी पत्नी से मिलना चाहता था, क्योंकि मैं उससे प्यार करता था, लेकिन मुझे उससे मिलने की अनुमति नहीं थी। स्वस्थ होने के बाद, मैं अपनी दुकान पर लौटा और जो कुछ हीरे मोती थे मैंने बेच दिए और उससे मिलने वाली राशि से मैंने कई ग़ुलाम और सेवक ख़रीदे। जिस दिन मैं दुनिया से अलग हुआ, उस दिन मेरी समझ में आया कि जो बड़े लोग होते हैं, उनके दिल में जो आता है वह करते हैं। मैंने भी ऐसा बनने की कोशिश की है। मेरे पास जो कुछ दौलत थी, उससे मैंने यह महल बनाया और उसके आसपास की सब ज़मीन जायदाद ख़रीद ली। उसके बाद से प्रत्येक रात मैं राजाओं की तरह सैर के लिए निकलता हूं। मैंने अपने अग्रदूतों को आदेश दिया है कि नाव से चिल्लाकर कहें, जो कोई भी रात में दजला नदीं में दिखाई देगा, उसकी गर्दन मार दी जाएगी। पिछले क़रीब एक साल से मैं यही करता आ रहा हूं, इस प्रकार मैं अपना दुख दर्द भुलाने की कोशिश कर रहा हूं। जब नक़ली ख़लीफ़ा हारून रशीद और उसके साथियों को अपनी कहानी बता रहा था, अचानक रो रोकर कहने लगा, लेकिन इस सबके बावजूद मैं अभी तक अपनी पत्नी दुनिया को भुला नहीं पाया हूं और अभी भी उसे बहुत प्यार करता हूं।
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