ईरानी बाज़ार- 10
ईरान विश्व की एक प्रमुख ओरोजेनिक बेल्ट या पर्वतन पर स्थित है।
ओरोजेनिक गतिविधियों के कारण, यह इलाक़ा अधिक मात्रा में खनिज संसाधनों से सम्पन्न है। विशेषज्ञों के अनुसार, दुनिया के खनिज पदार्थों का 7 प्रतिशत भाग ईरान में मौजूद है। यह खनिज पदार्थ उत्तर में आज़रबाइजान प्रांत से लेकर दक्षिण पूरब में सीस्तान व बलूचिस्तान तक फैले हुए हैं। ईरान में गैस और तेल के विशाल भंडारों के अलावा, तांबा, लोहा, जस्ता, कोयला, यूरेनियम, सीसा, मैंगनीज़, क्रोमाइट, टाइटेनियम, चूना पत्थर, नमक, सोना, चांदी और क़ीमती पत्थर पाए जाते हैं। अध्ययनों के मुताबिक़, ईरान लोहा, जस्ता, सीसा, संगमरमर, तांबे और सोने की बेल्ट पर स्थित है। दुनिया में पाए जाने वाले क़रीब समस्त खनिजों को ईरान के विभिन्न प्रांतों जैसे कि किरमान, यज़्द, इस्फ़हान, आज़रबाइजान शर्क़ी, ख़ुरासान रज़वी और मरकज़ी की खानों में खोजा जा सकता है।

विभिन्न उद्योगों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल खानों से प्राप्त किया जाता है, जो औद्योगिक विकास, रोज़गार सृजन और देश के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इंसान के लिए खनिजों का महत्व, केवल वर्तमान समय से विशेष नहीं है। हमेशा से ही खनिज संसाधनों ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, इस प्रकार से कि कुछ कालों का नाम खनिजों के नाम पर रखा गया है, जैसे कि ताम्र युग , कांस्य युग और लोह युग।
पुरातत्वविदों का मानना है कि खनिज पदार्थों का खानों से निकालना, उन्हें पिघलाना और उनका प्रयोग प्राचीन काल से हो रहा है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि पहली बार मिस्र, बेबिलोनिया, सिंधु और जीहून सभ्यताओं में धातुओं को पिघलाया गया। कुछ अन्य का मानना है कि ईरानियों ने पहली बार इस तकनीक को हासिल किया था। ज़ागरोस, अलबोर्ज़ और बलूचिस्तान पर्वतीय श्रृंखला के आंचल और यज़्द, किरमान, क़ुम, काशान में मिलने वाली प्राचीन भट्ठियों और धातुओं से पता चलता है कि प्राचीन काल में ईरानियों ने विभिन्न धातुओं के इस्तेमाल में दक्षता प्राप्त कर ली थी। उदाहरण स्वरूप, किरमान से मिलने वाले अयस्क, 6 हज़ार साल पूर्व से संबंधित हैं और इसी तरह से काशान के सियल्क नामक इलाक़े से मिलने वाले तांबे से पता चलता है कि हज़ारों वर्ष ईसा पूर्व भी ईरानी ताबें जैसी धातुओं को पिघलाने की तकनीक से परिचित थे।

अमरीकी लेखक विल डूरैंट ने अपनी किताब सभ्यता का इतिहास में उल्लेख किया है कि ईरानी की सभ्यता मिस्र की सभ्यता से काफ़ी विकसित थी। वह आर्यो के ईरान की ओर पलायन का उल्लेख करते हुए लिखते हैं, यह अप्रवासी जाति धातुओं से परिचित थी, इसलिए ईरान पहुंचकर उन्होंने यहीं अपना पड़ाव डाल दिया, इसलिए कि जिन पर्वतों को उन्होंने अपने निवास स्थल के रूप में चुना था, उनमें तांबा, लोहा, जस्ता, चांदी, सोना, संग मरमर और क़ीमती पत्थर मौजूद थे।
तीसरी सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व की शुरूआत से, सूमरी, बाबुली और ईलामी शासनकालों के दौरान लिखे गए लेखों में, ईरान के विकास की बात कही गई है। तीसरी सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व, ईरान का प्राचीन शहर शहदाद काफ़ी विकसित था, जिसका इतिहास 6 हज़ार साल पुराना है। इस इलाक़े में मिट्ट के बर्तन बनाने, पत्थरों को तराशने और धातुओं के काम का चलन था। यह जानना उचित होगा कि किरमान प्रांत का यह इलाक़ा, 1967 तक पुरातत्वविदों के ध्यान का केन्द्र था। इसलिए कि लूत रेगिस्तान में प्राचीन सभ्यता का विचार, असभंव था। उसी साल तेहरान विश्वविद्यालय के भौगोलिक विभाग से एक दल लूत रेगिस्तान की भौगोलिक स्थिति का अध्ययन करने इस इलाक़े में पहुंचा। इस दल को वहां कुछ मिट्टी के बर्तन मिले। अध्ययन में पता चला कि शहदाद आराता राज्य का केन्द्र था और ईलाम साम्राज्य का स्वायत्तता प्राप्त राज्य था। पुरातत्वविदों को खोज में कुछ अर्थ क़ीमती पत्थर मिले, जो इस शहर की वर्कशाप में तराशे जाते थे। दुनिया में मिलने वाला धातु से बना हुआ झंडा भी इसी इलाक़े से मिला है, जो अभी भी ईरान के राष्ट्रीय संग्राहलय में रखा हुआ है। इस इलाक़े में धातुओं को पिघलाने वाली भट्टियां मिली हैं, जिससे पता चलता है कि शहदाद एक औद्योगिक शहर था।
उल्लेखनीय है कि ईरान के कुछ इलाक़ों के पुराने नामों से पता चलता है कि हज़ारों साल पहले भी ईरानी इस इलाक़े में मौजूद खनिजों के बारे में जानकारी रखते थे और उनका प्रयोग करते थे। उदाहरण स्वरूप, कुर्दिस्तान प्रांत में स्थित आसन आबाद, कुर्दी भाषा में आसन का अर्थ लोहा है, या दामग़ान शहर की सोने की भट्टी, जहां अभी भी सोना खोजने की योजना अंतिम चरण में है।
प्राचीन ईरान में खनिजों की खोज के नियमों के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। प्राचीन ईरान में खनिजों की खोज के लिए कुओं और सुरंगों से पता चलता है कि प्राचीन काल में भी खनिजों की खोज और उससे लाभ उठाने पर काफ़ी ध्यान दिया जाता था।
वैज्ञानिक रूप से ईरान में खनिजों की खोज का कार्य 1939 से शुरू हुआ। खनिज सम्पदा की उपलब्धता की दृष्टि से आज ईरान की गणना विश्व के खनिज संसाधन सम्पन्न देशों में की जाती है। देश की कुछ खदानों में जैसे कि मिस सरचश्मे और संगे आहन जादरमलू से प्राप्त खनिजों की शुद्धता के दृष्टिगत, विश्व प्रसिद्ध हैं। ईरान में 60 प्रकार के ग़ैर तेल खनिज पाए जाते हैं, जिनका मूल्य सात लाख अरब डॉलर से अधिक है।
ईरान के ग़ैर तेल पदार्थों के निर्यात में खनिजों की भागीदारी 30 से 35 प्रतिशत है। हालांकि ईरान की अर्थव्यवस्था में अप्रत्यक्ष रूप से खनिजों की भागीदारी काफ़ी अधिक है। खनिजों से विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राप्त होता है, जैसे कि लोहा, सीमेंट, पत्थर, जस्ता और सीसा।
उदाहरण के रूप में देश की स्टील इंडस्ट्री की ओर संकेत किया जा सकता है। ईरानी उत्पादक उच्च गुणवत्ता के अयस्क और स्टील के उत्पादन के लिए ज़रूरी ऊर्जा के उद्योग में प्रतिस्पर्धा करते हैं। इसी प्रकार, इक्कसवीं शताब्दी के असली धातु उद्योग अर्थात तांबे के उद्योग की ओर संकेत किया जा सकता है, जो विशेष रूप से विद्युत, दूर संचार, निर्माण और ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में प्रयोग किया जाता है।
देश के विभिन्न इलाक़ों में खनिजों की खोज और खदानों की पहचान के दो मुख्य उद्देश्य हैं। इस संदर्भ में प्रयास किया जाता है कि निवेश, आधारभूत ढांचे का विस्तार और खनिजों की पहचान करके देश की इस छुपी हुई पूंजि से लाभ उठाया जाए।