Apr ०९, २०१७ १५:३८ Asia/Kolkata

आज हम खदानों तथा खनिज पदार्थों से बनने वाले उत्पादों के बारे में आपको बताएंगे।

ईरान में सोने के उपयोग का इतिहास बहुत पुराना है। एतिहासिक दस्तावेज़ों में जिस सबसे प्राचीन खदान का उल्लेख है वह सीस्तान की खदान तथा दामग़ान की कूहे ज़र खदान है। इस समय ईरान में लगभग 70 हज़ार युनिटें सोने और जवाहेरात के क्षेत्र में काम कर रही हैं जो अपने कुशल श्रमबल की दृष्टि से विश्व स्तर पर इस उद्योग में मज़बूत दावेदारी रखती हैं। हम आज की चर्चा में इस बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं से अवगत करवाएंगे।

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सोना क़ीमती धातु है जिसे इंसान प्राचीन काल से ही आभूषण और बर्तन बनाने के लिए प्रयोग करता रहा है जबकि इसका उपयोग चिकित्सा और दंत चिकित्सा के क्षेत्र में भी किया जाता रहा है। कहा जाता है कि सबसे पहले इंसानों को इस धातु की ओर आकर्षित करने वाले नदियों के किनारे फैले छोटे छोटे चमकीले कण थे। सोने की चमक, इसका अलग अलग रूपों में ढल जाना, दुर्लभता, रासायनिक पदार्थों के सामने इसका टिकाऊपन, आदिने इव विशेषताएं हैं जो हज़ारों साल के इतिहास में धीरे धीरे सामने आई हैं। इनसे सोने का महत्व बढ़ता ही चला गया है। पूरब की धरती पर सबसे पुरानी सोने की खदान चार हज़ार वर्ष ईसा पूर्व की है जो सूमरिया जाति के जीवन स्थल मेसोपोटामिया में मिली। कुछ अवशेष एसे मिले हैं जिनसे पता चलता है कि तीसरी सहस्त्राब्दी ईसापूर्व में प्राचीन मिस्र के अबीदोस और नगदा क्षेत्रों में लोग सोने की चीज़ें बनाने और उनके क्रय विक्रय में व्यस्त थे। उस ज़माने में सुनारों को केवल फ़िरऔनौं, उनके परिवार के लोगों, दरबारियों या बड़े ज्योतिषियों के लिए आभूषण बनाने की अनुमति थी।

ईरान में भी सोने का इतिहास बहुत पुराना है। यूनान के प्रख्यात भूशस्त्री स्ट्राबोन, फ़्रांस के प्रख्यत पर्यटक और रत्न व्यापारी शार्डन और फ्रांस के पुरातन विशेषज्ञ गेयर्शमन ने अपने लेखों में ईरान के प्राचीन एतिहासिक युगों और विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों की ओर संकेत किया है जहां से सोना निकला करता था। गेयर्शमन अपनी पुस्तक ईरान शुरू से इस्लाम तक में लिखते हैं कि माद जाति के काल में हमदान शहर के आस पास की सोने की खदानों से सोना निकाला जाता था। वेल डोरंट ने भी सभ्यता के इतिहास के बारे में अपनी पुस्तक में उस युग का हवाला देते हुए लिखा है कि 17वीं शताब्दी ईसा पूर्व के काल में ईरान की माद जाति तांबा, लोहा, सोना, चांदी, संगमरमर तथा क़ीमती रत्न उन पहाड़ों से निकालती थी जिन्हें उसने जीवनयापन के लिए चुना था। कहा जाता है कि 550 से 330 ईसा पूर्व के बीच शासन करने वाले हख़ामनेशी शासकों ने उस समय दुनिया के बहुत विस्तृत भाग पर शासन किया, यह शासक अपनी ज़रूरत का सोना हमदान की सोने की खदानों तथा रोमानिया के रूशा गांव की सोने की खदानों से प्राप्त करते थे। 516 ईसा पूर्व के युग में हख़ामनेशी शासन काल में दरयक नाम का सोने का सिक्का चलता था।

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खुदाइयों में ईरान के इतिहास के इस महत्वपूर्ण कालखंड से संबंधित सोने की बड़ी सुंदर चीज़ें और अवशेष मिले हैं जो दुनिया के अनेक देशों जैसे अमरीका और ब्रिटेन के संग्रहालयों में रखे हुए हैं जबकि ईरान के संग्रहालयों में भी यह अवशेष देखे जा सकते हैं। अंकन लिपि से सजा हुआ सोने का प्याला, सोने के चार घोड़ों का रथ, सोने का बाज़ूबंद, काल्पनिक पक्षी हुमा की सोने की मूर्ति, हेगमताने की सोने की बकरी, सोने का शेर आदि सारे प्रचीन अवशेष इस समय संग्रहालयों की शोभा बढ़ा रहे हैं।

1501 से शुरू होकर 1722 तक जारी रहने वावला सफ़वी काल भी ईरान में अनेक कलाओं और हस्त कला के उत्थान का काल है। ईरान के इतिहास में पहली बार इस कालखंड में देश के मूल्यवान रत्न और सोने की चीज़ें एकत्रित की गईं। इस समय ईरान के राष्ट्रीय रत्न संग्रहालय में उस कालखंड के सिक्के और मूल्यवान रत्न रखे हुए हैं और यह ईरान के राष्ट्रीय ख़ज़ाने का भाग है। यह इस धरती के पुरखों की मूल्यवान विरासत है।

ईरान में सोने की कई छोटी बड़ी खदाने हैं। अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुसार किसी भी खदान को उस समय मान्यता दी जाती है जब उसमें 100 टन से अधिक का भंडार हो। अब तक ईरान में अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड से मेल खाने वाली दस खदानों का पता चल चुका है। उत्तर पश्चिमी ईरान में पश्चिमी आज़रबाईजान प्रांत के तकाब क्षेत्र में सोने की बड़ी खदानें हैं इनमें एक का नाम ज़र्रे शूरान और दूसरी का नाम आक़ दर्रे है। इन दोनों खदानों में एसे लक्षण देखे गए हैं जिनसे पता चलता है कि प्राचीन काल में भी इन खदानों से सोना निकाला गया है।

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ज़र्रे शूरान खदान तख़्ते सुलैमान नामक एतिहासिक धरोहरों के बड़े संग्रह से 15 किलोमीटर दूर है। यह कैरेट की दृष्टि से मध्यपूर्व की सबसे बड़ी खदान है। अपने भारी भंडार के कारण इसे ईरान की बहुत महत्वपूर्ण खदान माना जाता है। इस खदान के क़रीब ही आक़ दर्रे खदान भी हैं। इससे सालाना 2 टन सोनायुक्त पत्थर निकाला जाता है। इसके अलावा मौते खदान का भी नाम लिया जा सकता है जो ईरान की सोने की खदानों में से एक महत्वपूर्ण खदान है। यह खदान सुदंर व एतिहासिक इसफ़हान प्रांत में स्थित है। प्राचीन काल से ही इससे सीमित रूप से सोना निकाला जाता रहा है। इस क्षेत्र की खुदाई में प्राचीन यंत्र सोना पिघलाने की भट्टियां भी मिली हैं। बताया जाता है कि इस खदान में लगभग 2 मिलियन टन सोना युक्त पत्थर है यदि आधुनिक शैली और तकनीक से इस खदान से सोना निकाला जाए तो प्रति वर्ष 400 से 500 किलोग्राम तक सोना निकाला जा सकता है।

ईरान में जहां सोने की अनेक खदानों से इस समय सोना निकाला जा रहा है वहीं देश के अनेक समृद्ध प्रांतों जैसे पश्चिमी आज़रबाईजान, पूर्वी आज़रबाईजान, कुर्दिस्तान, किरमान, ख़ुरासाने रज़वी, ख़ुरासने जुनूबी, इसफ़हान, यज़्द, हमदान, मरकज़ी और सीस्तान व बलोचिस्तान में नई खदानों की खोज का काम भी जारी है। सोना नाम की धातु जो दूसरी अनेक धातुओं से मिलकर अनेक प्रकार की मिश्रित धातुएं बनाने का काम आती है उद्योग के क्षेत्र में बड़ा महत्व रखती है। इलेक्ट्रिकल तथा इलेक्ट्रानिकल इंडस्ट्री में सोने और उसके मिश्रण से तैयार की जाने वाली धातुओं का बड़ा उपयोग है। साथ ही इसे अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग से रक्षा उद्योग व अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली वस्तुओं के निर्माण में भी प्रयोग किया जाता है। इलेक्ट्रो मैग्नेटिक किरणों के प्रतिबिंबन के लिए सोना बहुत उचित धातु है। इस धातु को पारदर्शी हद तक नाज़ुक बनाया जा सकता है यहां तक कि प्रकाश की किरणें उससे गुज़र जाएं। जब बिजली की लहर सोने की पतली परत से गुज़रती है और ऊष्मा उत्पन्न करती है तो यह ऊष्मा शीषे को जमने से बचाती है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में भी सोना तथा उससे बनने वाली धातुओं का बड़ा महत्व है। उल्लेखनीय है कि सोना ऐसी धातु है जिससे किसी प्रकार का कोई ख़तरा नहीं है। 24 कैरेट का शुद्ध सोना एक नर्म धातु है अतः उस पर काम करना आसान होता है। सोने को दंत चिकित्सा में भी प्रयोग किया जाता है जबकि इसे सजावट के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

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सोने जैसी चीज़ें देशों की अर्थ व्यवस्था में आधारभूत भूमिका रखती हैं। पैसे से सोने के एतिहासिक संबंध के कारण आर्थिक विकास या मंदी के समय सोना मज़बूत वित्तीय आधार होता है। अन्य पूंजियों की तुलना में सोने को बहुत सुरक्षित पूंजी समझा जाता है। इसी  लिए बहुत से लोग पैसे के बजाए सोना रखना पसंद करते हैं। सरकारों ने भी सोने को दौलत तथा लेन देने के माध्यम के रूप में स्वीकार कर लिया है अतः आर्थिक दृष्टि से भी सोने को एक स्ट्रैटेजिक धातु माना जा सकता है। इस धातु को ईंट और सोने जैसे अनेक रूपों में रखा जाता है। सोना बहुत से देशों की वित्तीय व्यवस्था का आधार और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय मानक होता है।

ईरान के पास सोने की कई खदाने हैं और सुविधाएं भी कम क़ीमत पर मुहैया हो जाती हैं अतः ग़ैर पेट्रोलियम पदार्थों के निर्यात में सोने की भूमिका महत्वपूर्ण है। ईरान के पड़ोसी देशों में सोने के गहने अधिकतर मशीनों से बनाए जाते हैं जबकि ईरानी कलाकार अपनी दक्षता से बड़े ख़ूबसूरत आभूषण तैयार करते हैं जो अन्य देशों के बाज़ारों में बहुत पसंद किए जाते हैं इस लिए इनकी मार्केटिंग आसान हो जाती है।

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ईरान के अधिकारियों ने भी इस संदर्भ में बड़ी अनुकूल नीतियां बनाई हैं और निर्यात से हर प्रकार का टैक्स हटा लिया है, निर्यातकों को बैंकों से सरलता से लोन दिया जाता है और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियां लगाई जाती हैं जिसके कारण सोने का व्यापार बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। अधिकारियतें ने इसके लिए ढांचागत सुधार किए हैं, सेवाओं में विस्तार किया है, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार को दृष्टि में रखकर सोने की वस्तुओं के निर्यात के समर्थन को अपने एजेंडे में जगह दी है।