प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था रोज़गार और पैदावार।
ईरान में प्रतिवर्ष नए साल के अवसर पर ईरानी नागरिक और अधिकारी बड़ी संख्या में मशहद स्थित इमाम रज़ा (अ) के रौज़े में एकत्रित होते हैं और इस अवसर पर वरिष्ठ नेता का ऐतिहासिक भाषण सुनते हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता नए साल के अवसर पर देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करते हैं और उनका समाधान पेश करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था और उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर बल देते रहे हैं।
इस वर्ष भी वरिष्ठ नेता नेता ने अधिकारियों से कहा है कि अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अधिक प्रयास करें। वरिष्ठ नेता ने ईरानी नव वर्ष 1396 का नाम प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था, पैदावार और रोज़गार रखा है, ताकि राष्ट्र को अर्थव्यवस्था की पटरी पर आगे बढ़ा सकें और जनता इस क्षेत्र में अधिक प्रयास करे।
वरिष्ठ नेता ने अपने भाषण में उल्लेख किया कि आज ईरानी राष्ट्र की प्राथमिकता, अर्थव्यवस्था है, आप ध्यान दें कि दुश्मन की प्राथमिकता भी अर्थव्यवस्था ही है। अर्थात आज ईरान के दुश्मन, ईरान के बारे में अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए आर्थिक मार्ग या दूसरे शब्दों में ईरानी अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं। दुश्मन का उद्देश्य यह है कि ईरान की इस्लामी व्यवस्था को निराश करे ईरानी राष्ट्र और इस्लामी व्यवस्था के बीच दूरी उत्पन्न करे और इस मार्ग से अपना उद्देश्य प्राप्त करे। मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि हमारा नादान और बेईमान दुश्मन वर्षों से राष्ट्र को व्यवस्था से अलग करना चाहता है, लेकिन वह सफल नहीं हो सका है, ईश्वर की कृप्या से वह भविष्य में भी सफल नहीं होगा।
दुश्मनी और समस्त प्रतिबंधों के बावजूद, ईरान विकास के मार्ग पर अग्रसर है और वरिष्ठ नेता के शानदार मार्गदर्शन में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। विश्ववासियों ने ईरान की इस प्रगति की सराहना की है। वरिष्ठ नेता आशावादी दृष्टिकोण के साथ राष्ट्र की प्रगति के मार्ग को प्रशस्त करते हैं और नव वर्ष के अवसर पर अपने भाषण में ईरान के उज्जवल भविष्य की ओर सबका ध्यान खींचते हैं। ऐसा भविष्य जो आर्थिक क्षेत्र में प्रयासों से अधिक उज्जवल होगा।
आयतुल्लाह ख़ामेनई राष्ट्रीय सुरक्षा एवं गौरव, स्वास्थ्य और जन सुविधाओं, चौमुखी विकास और स्वाधीनता और सामाजिक समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रतिरोधक अर्थव्यवस्था को ज़रूरी समझते हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धा के लिए किसी भी राष्ट्र के उत्पादन की क्षमता बहुत महत्वपूर्ण होती है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि ज्ञान, संस्कृति और राजनीति जैसे विषयों को हम महत्वहीन समझें, इसलिए कि पैदावार की क्षमता, यद्यपि शुरू में अर्थव्यवस्था के रूप में ज़ाहिर होती है, लेकिन यह दूसरे क्षेत्रों के साथ भी समन्वय बना लेती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के बीच उत्पादनकर्ता और उपभोगकर्ता के रूप में अंतर किया जाता है। विश्व में कोई भी देश राष्ट्रीय उत्पादन में आत्मनिर्भर हुए बिना गौरव प्राप्त नहीं कर सकता।
वरिष्ठ नेता ने घरेलू उत्पादन पर बल देकर उसके महत्वपूर्ण परिणामों का उल्लेख किया। उनके अनुसार, घरेलू उत्पादन में वृद्धि करके जवानों में बेरोज़गारी दूर की जा सकती है, इससे जवानों की क्षमता में निखार आता है। इसी प्रकार देश में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल कम होता है। देश में गैस और तेल के बड़े भंडार होने के दृष्टिगत अगर घरेलू पैदावार में वृद्धि होती है तो इन स्रोतों को बेचने के स्थान पर उनसे अर्थव्यवस्था और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलेगी। विश्व स्तर का उत्पादन करके निर्यात के मैदान में भी बाज़ी मारी जा सकती है और देश को संपन्न बनाया जा सकता है।
आयतुल्लाह ख़ामेनई का मानना है कि घरेलू उत्पादन का एक अन्य लाभ ख़ुशहाल राष्ट्र है। उन्होंने कहा, जब देश में उत्पादन शुरू हो जाता है, तो राष्ट्र स्तर पर ख़ुशहाली आती है, यह भी विकास का एक महत्वूर्ण कारण है। देश में खनिज क्षमता बढ़ जाती है और इस प्रकार हम ईश्वर द्वारा प्रदान किए गए स्रोतों से लाभ उठा सकते हैं।
वरिष्ठ नेता के अनुसार, राष्ट्रीय एवं घरेलू उत्पादन के लिए कुछ सुविधाओं की ज़रूरत होती है, जिसके बिना घरेलू उत्पादन में वृद्धि नहीं हो सकती। वे सुविधाएं इस प्रकार हैः श्रमशक्ति, दक्षता, पूंजी और आधुनिक उपकरण। वरिष्ठ नेता का मानना है कि देश में यह सुविधाएं उपलब्ध हैं, और इनमें से कुछ वर्तमान समय में मौजूद हैं और कुछ अन्य को प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण स्वरूप, देश में काफ़ी उचित श्रमशक्ति मौजूद है। आंकड़े बताते हैं कि देश की जनसंख्या में से 3 करोड़ 30 लाख लोगों की उम्र काम करने की है अर्थात उनकी उम्र 15 से 40 साल के बीच है। इस तरह ईरान एक युवा देश है और यह उत्पादन के लिए बेहतरीन पूंजी है।
पूंजी के बारे में वरिष्ठ नेता का मानना है कि इस क्षेत्र में भी देश के सामने कोई रुकावट नहीं है। उनका कहना है कि व्यक्तिगत सुविधाओं के अलावा, सरकार ने राष्ट्रीय विकास कोष की स्थापना की है, इसका अर्थ यह है कि देश की तेल से होने वाली आमदनी से प्रतिवर्ष एक प्रतिशत आमदनी की सेविंग होती है, ताकि देश की अर्थव्यवस्था की तेल पर निर्भरता कम हो। वरिष्ठ नेता इस संदर्भ में कहते हैं, अगर कोई देश अपनी अर्थव्यवस्था को तेल से अलग कर ले, तो निश्चित रूप उस देश के विकास की रफ़्तार कई गुना बढ़ जाएगी।
राष्ट्रीय विकास कोष की ज़िम्मेदारी है कि प्राइवेट सैक्टर में पूंजी निवेश करे ताकि घरेलू उत्पादन में वृद्धि की जा सके। घरेलू उत्पादक इस कोष से सही योजना के अनुसार लाभ उठा सकते हैं। पिछले साल इस कोष की सहायता से देश में कई कारख़ाने शुरू किए गए।
वरिष्ठ नेता के अनुसार, घरेलू उत्पादन के लिए एक अन्य ज़रूरी चीज़ उचित उपकरणों का उपलब्ध होना है। वे कहते हैं कि वह ईरानी युवा, जो बहुत कम अवधि में यूरेनियम के संवर्धन को साढ़े तीन प्रतिशत से बीस प्रतिशत तक पहुंचा सकते है, जो बहुत महत्वपूर्ण कार्य था, तो वह युवा इस महान वैज्ञानिक योजना को आगे बढ़ा सकते है, या वह अंतरराष्ट्रीय कड़े प्रतिबंधों के बावजूद, मिसाइल और विमान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते है, वह इस तरह से मिसाइल बनाए, इस तरह से विमान का निर्माण करे, इस तरह से आधुनिक हथियार बनाए कि दुश्मन भयभीत हो जाए, तो क्या वह युवक ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री या किसी अन्य क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सकते? वह क्यों नहीं कर सकते? हमारे युवक यह क्षमता रखते हैं। हमारी जनता और शिक्षित एवं दक्ष सक्रिय युवा इन कार्यों के लिए तैयार हैं, हम बहुत से कार्य कर सकते हैं। युवाओं के लिए भूमि प्रशस्त करें, हमारे युवा हमारी बहुत सी समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं।
उत्पादन दो चीज़ों यानी ज्ञान और हुनर के साथ ही स्थायी रह सकता है और दक्ष युवक इस क्षेत्र में अग्रणि हैं। जो राष्ट्र उत्पादन करता है, उसे दीर्घकाल में ज्ञान का स्वामी भी होना चाहिए। वास्तव में उत्पादन के लिए ज्ञान और तकनीक की ज़रूरत होती है, ताकि ज्ञान और तकनीक के नवीनीकरण से आर्थिक विशेषता को हाथ से न जाने दे। जैसा कि हज़रत अली (अ) ने फ़रमाया है, ज्ञान, सुल्तान या राजा है। कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था ज्ञान के हाथों में लगाम है और ज्ञान दक्ष लोगों के हाथ की लगाम। इसलिए शिक्षित एवं दक्ष युवाओं के इस क्षेत्र में प्रवेश से और उत्पादन के क्षेत्र में उद्योग एवं विश्वविद्यालयों के बीच उपयुक्त संबंध स्थापित करके उत्पादन में ध्यान योग्य प्रगति की जा सकती है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के अनुसार, घरेलू उत्पादन और अर्थव्यवस्था को स्थायी एवं प्रगतिशील बनाने के मार्ग में हमारे सामने कोई रुकावट नहीं है और हम प्रगति कर सकते हैं, इस शर्त के साथ कि हम अधिक प्रयास करें। वरिष्ठ नेता कहते हैं, हमें एक ऐसी स्थायी और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था कि ज़रूरत है, जिससे हमें दूसरों के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़े। हम चयन कर सकें, प्रगति कर सकें, आगे बढ़ सकें, तेल की क़ीमतों पर प्रभाव डाल सकें, राष्ट्रीय मुद्रा को मूल्यवान बना सकें, लोगों के ख़रीदने की क्षमता को बढ़ा सकें, यह सब एक मज़बूत अर्थव्यवस्था के बिना संभव नहीं है, इसके बिना न हम गौरव प्राप्त कर सकते हैं और न ही स्थायी सुरक्षा। हमें यह चीज़ें उपलब्ध कराना होंगी। अर्थव्यवस्था का महत्व यही है। हालांकि यह राष्ट्रीय एकता के बिना प्राप्त नहीं हो सकती। जनता और सरकार के आपसी सहयोग के बिना प्राप्त नहीं हो सकती, क्रांतिकारी संस्कृति के बिना प्राप्त नहीं हो सकती। इन लक्ष्यों को साहसी, सक्रिय और प्रयास करने वाले अधिकारियों के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह सभी ज़रूरी हैं और हमें इन्हें हासिल करना चाहिए।