May ०७, २०१७ १२:११ Asia/Kolkata

हालिया वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था नॉलेज बेस्ड या ज्ञान आधारित अर्थ व्यवस्था नामक नई चीज़ से अवगत हुई आ है।

बहुत से लोगों का मानना है कि मानव समाज आरंभ से ही ज्ञान आधारित थे और जीवित रहने के लिए और जीवन को बेहतर बनाने के लिए सदैव ज्ञान से लाभ उठाते थे। इतिहास में हमेशा ही प्राकृतिक स्रोत, उचित साधन और सूचनाएं, मनुष्य के काम-काज और व्यवसाय का मुख्य सार रहीं हैं। वर्तमान समय में भी यह ज्ञान ही है जो विभिन्न कंपनियों का मुख्य सार है और कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा, उनमें मौजूद ज्ञान के स्तर और प्रकार को लेकर है। दूसरे शब्दों में आज की कंपनियां, ज्ञान के कारण धन अर्जित कर रही हैं। ज्ञान, वास्तव में थियोरी, मानवीय अनुभव व दक्षता के समूह को कहते हैं जो व्यवसायीकरण से रणनैतिक बन जाता है। ज्ञान के व्यवसायीकरण का मतलब वह गतिविधियां हैं जो विचारों, आविष्कारों और पहलों को मंडी में पेश करने के लिए पैदावारी उत्पाद में बदलने के लिए की जाती है। व्यवसायीकरण नए उत्पाद के लिए भी हो सकता है या फिर उस उत्पाद के लिए पहली बार दृष्टिगत भौगोलिक सीमा में पेश किया जा रहा है।

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नॉलेज बेस्ड कंपनियों की परिभाषा में कहा जाता है कि ये ऐसी कंपनियां हैं जो ज्ञान व संपत्ति, ज्ञान आधारित अर्थ व्यवस्था के विस्तार, वैज्ञानिक व आर्थिक लक्ष्यों को व्यवहारिक बनाने और अनुसंधानों के व्यवसायीकरण को एकत्र करने के उद्देश्य से गठित होती हैं और लाभ अर्जित करती हैं। हालिया वर्षों में सरकारों ने ज्ञान आधारित आर्थिक व्यवस्था में बहुत अधिक रुचि दिखाई है। आजकल सरकारों के लिए यह एक विशिष्टता समझी जाती है कि वे लोगों के लिए तकनीकी अनुसंधानों से संबंधित लघु उद्योगों में गतिविधियों का मार्ग प्रशस्त करें।

नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था में मूल ढांचे और मानवीय संपत्ति की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नॉलेज बेस्ड अर्थव्यवस्था उचित शिक्षण व प्रशिक्षण व्यवस्था, दक्ष श्रम बल, सूचना प्रोद्योगिकी के बेहतर ढांचे और उस तक उचित पहुंच और विश्व विद्यालयों तथा निजी क्षेत्रों को महत्व देकर नए नए विचारों को बेहतर बनाने जैसे विभिन्न कारकों पर आधारित है। मूल ढांचे जो किसी क्षेत्र की इंटरनैट की साधारण लाइनों व परिवहन से लेकर विश्व विद्यालयों और अनुसंधान व तकनीक केंद्रों तथा दक्ष मानवीय स्रोतों पर निर्भर होते हैं, नॉलेज बेस्ड कंपनियों के सामने आने में प्रभावी हैं। नॉलेज बेस्ड कंपनियों के अस्तित्व में आने के अन्य प्रभावी कारकों में कंपनियों को नॉलेज बेस्ड व्यवस्था की ओर आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक गतिविधियों के लिए उचित क़ानून बनाना भी शामिल है। इसी तरह सुरक्षा, स्वस्थ और प्रतिस्पर्धी वातावरण तैयार करना भी नॉलेज बेस्ड कंपनियों के फलने फूलने में प्रभावी है।

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नॉलेज बेस्ड कंपनियॉं प्रायः वैश्विक सोच रखती हैं। इस प्रकार की रणनीति, इन कंपनियों को अपने दृष्टिकोण को विस्तृत करने और विभिन्न वैश्विक अनुभव प्राप्त करने में सहायता प्रदान करती है। वैश्विक सोच रखने से नई नई क्षमताएं और अवसर उत्पन्न होते हैं और नॉलेज बेस्ड कंपनियां उनसे लाभ उठाने और अधिक फ़ायदा कमाने के लिए अधिक प्रोत्साहित होती हैं। इस बीच किसी भी समाज की संस्कृति, नॉलेज बेस्ड कंपनियों के अस्तित्व में आने में एक महत्वपूर्ण कारक है। नॉलेज बेस्ड कंपनियों की प्रगति केवल देशों के राजनेताओं के सटीक आर्थिक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं है बल्कि समाज की संस्कृति भी मोटर की तरह इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने में प्रभावी होती है।

ईरान में वर्ष 1992 में पहली वैज्ञानिक व अनुसंधानिक कॉलोनी की स्थापना की आरंभिक समीक्षा शुरू हुई। यह समीक्षा इस्फ़हान की स्टील मिल ने इस्फ़हान पोली टेकनिक की देख रेख में शुरू की। आगे चल कर 2007 में नॉलेज बेस्ड कंपनियों और उनके क़ानूनी समर्थन व सहायता से संबंधित विधेयक राष्ट्रपति के विज्ञान व प्रोद्योगिकी से संबंधित केंद्र में संकलित हुआ और फिर इस्लामी गणतंत्र ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी में पारित होने के बाद उसने क़ानून का रूप धारण कर लिया।

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इस समय ईरान में सैकड़ों नॉलेज बेस्ड कंपनियॉं, विज्ञान व तकनीक के पार्कों में सक्रिय हैं। ये कंपनियां बायो टेक्नोलोजी, नैनो टेक्नोलोजी, पॉलीमर, सेरामिक्स, धातु और कम्पोज़िट्स या मिश्रित धातुओं जैसे विकसित पदार्थों, कंप्यूटर हार्ड वेयर्ज़, इलेक्ट्रॉनिक शक्ति, नियंत्रण और संचार, सूचना प्रोद्योगिकी, कंप्यूटर साफ़्ट वेयर्ज़, प्रयोगशाला की विकसित वस्तुओं, नई नई दवाओं, चिकित्सा यंत्रों, ड्रोन, उपग्रह, मीज़ाइल और इसी तरह तेल व गैस तथा पेट्रोकेमिकल के पदार्थों व यंत्रों के मैदान में काम करती हैं।

ईरान में नॉलेज बेस्ड कंपनियों की गतिविधियों का एक मैदान, औषधीय उत्पादों का है। मैकेन्ज़ी इंस्टीट्यूट ने औषधीय उत्पादों सहित ईरान की आर्थिक क्षमताओं के बारे में अपने एक अनुसंधन में लिखा है कि ईरान की इस मंडी में अनेक सशक्त बिंदु हैं जो औषधीय उत्पादों की पैदावार को एक आशाजनक उद्योग में बदल देते हैं। देसी उद्योग, स्टेम सेल्ज़ और बायो टेक्नोलोजी समेत विकसित वैज्ञानिक क्षमताओं को विस्तृत करके विभिन्न दवाओं की मांग को बहुत बढ़ा देगा। इस इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि वर्ष 2035 तक ईरान की अर्थ व्यवस्था में औषधीय उत्पादों का भाग, सात गुना तक बढ़ जाएगा और वर्ष 2014 में इससे होने वाली एक अरब डॉलर की आय लगभग सात अरब डॉलर तक पहुंच जाएगी। यह प्रतिवर्ष नौ प्रतिशत विकास से भी अधिक है और क्षेत्र में ईरान के समकक्षों के मुक़ाबले में उसकी पैदावार बहुत अधिक बढ़ जाएगी।

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बायो टेक्नोलोजी, चिकित्सा, कृषि और खाद्य स्रोतों के मैदान में विकास का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। ईरान ने इस क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति की है। संबंधित अधिकारियों का कहना है कि इस समय लगभग 500 नॉलेज बेस्ड कंपनियां बायो टेक्नोलोजी के क्षेत्र में सक्रिय हैं। यही वह क्षेत्र है जिसने क्रियान्वयन के लिए सबसे अधिक परियोजनाएं पेश की हैं। इस क्षेत्र में निर्यात का सबसे बड़ा भाग बायो टेक्निक दवाओं का है। बायो टेक्निक दवाओं के निर्यात में ईरान, क्षेत्र में पहले नंबर पर है। इस क्षेत्र में मानवीय श्रम बल के प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्रों की स्थापना के लिए विभिन्न प्रकार से पूंजी निवेश किया गया है। घोषित आंकड़ों के अनुसार पिछले साल ईरान की मंडियों में चालीस डायग्नोस्टिक किट और बीस कम्पोज़िट दवाएं बाज़ार में आई हैं। बेडसोर, जलने और विभिन्न प्रकार के रोगों में हो जाने वाले घावों के मरहम की पैदावार, हेमोफ़ीलिया, गुणसूत्र असामान्यताओं और इसी प्रकार कई अन्य रोगों के डायग्नोस्टिक किटों का उत्पादन, पिछले दो दशकों के दौरान इस क्षेत्र में ईरान की गतिविधियों में शामिल है।

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हर्सपेटिन और फैक्टर VIII जैसी दवाएं, उन जेनेटिक दवाओं में से हैं जिन्हें ईरान की नॉलेज बेस्ड कंपनियों ने पैदावार के चरण तक पहुंचा दिया है और इन्हें मंडी में उतारने का लाइसेंस प्राप्त कर लिया है। हर्सपेटिन कीमोथ्रेपी और ब्रेस्ट कैंसर की दवाओं में से एक है और विशेष प्रकार के रोगियों के लिए प्रभावी है। यह दवा दो नॉलेज बेस्ड कंपनियों के सहयोग से तैयार हुई है। फैक्टर VIII हीमोफ़ीलिया के रोगियों के लिए तैयार की जाने वाली दवा है। यह रक्त की जमावट में एक प्रभावी प्रोटीन है जो सक्रिय होने के बाद मानव शरीर में कई प्रकार की प्रतिक्रियाएं पैदा करता है जो ख़ून के जमने के समय उसकी सहायता करती हैं।

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