May १७, २०१७ १५:२५ Asia/Kolkata

ईरान से निर्यात होने वाले ग़ैर तेल उत्पादों में सिरेमिक और टाइल का नाम लिया जा सकता है।

ईरान में सिरेमिक और टाइल बनाने वाले 130 कारख़ाने सक्रिय हैं। ईरान में प्राचीन काल से ही सिरेमिक और टाइल का उत्पादन होता रहा है। यह दोनों उत्पादों की उत्पत्ति मिट्टी के बर्तनों से हुई है। मिट्टी के बर्तन, वास्तव में इंसान द्वारा निर्मित उन प्राथमिक उत्पादों में से हैं, जो उसने प्रकृति में मौजूद पदार्थ से बनाए हैं। मिट्टी के बर्तन, मिट्टी को आग में तपाकर बनाए जाते हैं।

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यह बात स्पष्ट नहीं है कि सबसे पहले किस क़ौम ने और कहां मिट्टी के बर्तन बनाए। मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए ज़रूरी पदार्थों में मिट्टी, पानी और आग हैं। इसलिए धरती के हर आवासीय इलाक़े में यह पदार्थ पाए जाते हैं। ईरान के पठारी इलाक़े, जलवायु की विविधता के कारण, पश्चिमी एशिया में मिट्टी के बर्तनों का केन्द्र रहे हैं। ईरान की विशेष भौगोलिक स्थिति और अन्य सभ्यताओं से संपर्क के कारण, यहां मिट्टी के बर्तन बनाने वाले दक्ष कारीगर रहे हैं। हाल ही में ईरान के लालजीन शहर को मिट्टी के बर्तनों की राजधानी बताया गया है।

प्राचीन ईरान में यह कला ज़ागरोस पहाड़ों के पश्चिमी इलाक़े, कैस्पियन सी के दक्षिणी तट और देश के उत्तर पश्चिमी व दक्षण पूर्वी इलाक़ों में प्रचलित थी। किरमान शाह प्रांत के तप्पे गंज दर्रे में खुदाई के दौरान, मिलने वाले अब तक के सबसे पुराने मिट्टी के बर्तन, आठवीं सहस्राब्दी से संबंधित हैं।  

तप्पे गंज में खुदाई के दौरान, मिलने वाले दस हज़ार साल पुराने गिलासों से पता चलता है कि चाक के अविष्कार से मिट्टी के बर्तन उद्योग में एक बड़ा परिवर्तन आया। अनेक शोधकर्ताओं का मानना है कि ईरान के पठारी इलाक़ों में रहने वालों ने मिट्टी के बर्तन बनाने वाले चाक का अविष्कार किया था। मिट्टी के बर्तनों को हज़ारों साल तक आग में नहीं पकाया जाता था। अवशेषों से पता चलता है कि सबसे पहले मिट्टी के बर्तनों को 6 हज़ार साल ईसा पूर्व पकाया गया। मिलने वाले इन अवशेषों से पता चलता है कि इन्हें बनाने के लिए चाक का इस्तेमाल नहीं किया गया था। हालांकि सिल्क, दक्षिणी शूश, चोग़ामीश और पर्सेपोलिस के निकट तल्ले बाकून से मिलने वाले अवशेषों से पता चलता है कि यह पूर्ण रूप से एक समान हैं और इन्हें बनाने के लिए चाक का इस्तेमाल किया गया है।

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समय बीतने के साथ साथ, भट्टियों और कच्चे माल की गुणवत्ता में होने वाले बदलाव के कारण मिट्टी के बर्तनों में रंग भरने और उसपर पॉलिश करने की सुविधा प्राप्त हो गई। यह पॉलिश शीशे की भांति होती है, जिसे बर्तन के ऊपर किया जाता है। वास्तव में सतह को चमकदार, सुन्दर और वॉटर प्रूफ़ बनाने के लिए उस पर पॉलिश की जाती है।

टाइल भी मिट्टी या चीनी मिट्टी से बनाई जाती है। इसके दो भाग होते हैं, एक मिट्टी वाला टुकड़ा और दूसरा पॉलिश वाला भाग या मुलम्माकारी वाला भाग। ईरान में काफ़ी पुराने समय से टाइलों का उत्पादन किया जाता है। पुरातत्त्ववेत्ताओं द्वारा ईरान के शूश इलाक़े में स्थित हख़ामनेशी महल में होने वाली खुदाई में मिलने वाले अवशेष, 400 साल ईसा पूर्व से संबंधित हैं।

विश्व के विभिन्न इलाक़ों में इस्लाम के उदय के साथ ही इस्लामी वास्तुकला में मुख्य दरवाज़ों, गुंबदों और मस्जिदों की मेहराबों को टाइलों से सजाया जाने लगा। ईरान में टाइल के इस्तेमाल के जो अवशेष मिले हैं, वह इतिहास के विभिन्न कालों से संबंधित हैं, जैसे कि सफ़वी काल सुन्दरता और पक्के रंगों के लिए अद्वितीय काल है। इस काल की टाइलिंग के नमूने इस्फ़हान की शेख़ लुत्फ़ुल्लाह मस्जिद में देखे जा सकते हैं। यह दुनिया के बेहतरीन नमूनों में से हैं।

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आज टाइलिंग के उद्योग का काफ़ी विस्तार हो चुका है। पॉलिश का इस्तेमाल करना या न करना टाइलों कि क़िस्मों के बीच अंतर करने के लिए महत्वपूर्ण है। पॉलिश, मुलायम पॉवडर से बनाई जाती है, जिसे उत्पाद की सतह पर लगाया जाता है, उसके बाद भट्टी में पकाया जाता है, ताकि वह मज़बूत हो जाए और उसमें चमक आ जाए। टाइल की पॉलिश उसे बैक्टेरिया, फ़ंगस और रासायनिक पदार्थों के प्रभाव से सुरक्षित रखती है। टाइलों की एक अन्य विशिष्टता रंग और डिज़ाइन हैं। रंग टाइलों की बनावट में शामिल हो जाता है। इसके लिए टाइल को भट्टी में पकाने से पहले उसकी मिट्टी में रंग मिलाते हैं। मुलम्माकारी हुई कुछ टाइलों में, सिलिकेट और पिगमेंट के मिश्रण वाले रंग से पॉलिश हुई सतह को रंगा जाता है। उसके बाद टाइल को पुनः भट्टी में डाला जाता है। पॉलिश हुई टाइलों के रंग और डिज़ाइन में अधिक विविधता होती है। जिस टाइल की सतह पर सिरेमिक मुलम्माकारी होती है, उसे सिरेमिक टाइल या सिरेमिक कहा जाता है।

लसदार मिट्टी की शुद्धता का स्तर, भट्टी का तापमान और उसे कितनी बार पकाया गया है, यह वह कारण हैं जो टाइल के मूल्य और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। टाइल की गुणवत्ता ऐसी होनी चाहिए कि अचानक 20 डिग्री सेल्सियस से 100 डिग्री तक के तापमान में होने वाले बदलाव को अच्छी तरह झेल सके और उसमें या उसकी पॉलिश में कोई दरार या ख़राबी पैदा न हो। टाइलों को इमारतों को सजाने, बाथरूम, रसोई घर, प्रयोगशाला और रासायनिक कारख़ानों में स्वास्थ्य मानकों एवं तापमान के मुक़ाबले में मज़बूती प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

ईरान में टाइल उत्पादन के आधुनिक कारख़ाने की स्थापना को 50 वर्ष हो गए हैं। ईरान में आधुनिक रूप से टाइल का उत्पादन, 1957 में शुरू हुआ। आज देश में टाइल का उत्पादन करने वाले दसियों कारख़ाने हैं। ईरान में टाइल के महत्वपूर्ण ब्रांडों में इस्फ़हान, अलवंद, पार्स, हाफ़िज़, सीना, नीलू, साअदी, बहसराम ग्रेनेट, तक्सराम और ईरान चीनी का नाम लिया जा सकता है। दक्ष कर्मचारियों, कच्चे माल की व्याप्त मात्रा, ऊर्जा, लम्बा इतिहास, आधुनिक मशीनों का प्रयोग और ध्यान योग्य निवेश के कारण हालिया वर्षों में ईरान टाइल के उत्पादन का एक मुख्य केन्द्र बन गया है। 70 करोड़ वर्ग मीटर का उत्पाद करके ईरान विश्व में टाइल उत्पादन में चौथा देश बन गया है।

ईरान में टाइल उत्पादन के लिए ज़रूरी मुख्य स्रोतों के मौजूद होने के, इसके उत्पादन का काफ़ी महत्व है। इस प्रकार से कि इसका कच्चा माल 70 से 100 प्रतिशत तक देश में ही तैयार किया जाता है। ईरानी कंपनियां हर साल लाखों वर्ग मीटर टाइलों का उत्पादन करती हैं। ईरानी टाइलें, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और मध्यपूर्व के देशों में निर्यात की जाती हैं। इसके निर्यात से प्रति वर्ष 40 करोड़ डॉलर की आय होती है।

ईरान में यज़्द प्रांत टाइल उत्पादन का मुख्य केन्द्र है। टाइल उद्योग यज़्द का काफ़ी पुराना उद्योग है। इसका इतिहास 700 वर्ष पुराना है। इसीलिए कहा जा सकता है कि यह उद्योग यहां का स्थानीय उद्योग है, जिसने समय बीतने के साथ आधुनिक रूप धारण कर लिया है। यज़्द में ईरान के कुल टाइल उत्पादक का 50 प्रतिशत है। इसकी खपत देश और विदेशों के बाज़ारों में होती है। यज़्द प्रांत में टाइल की गुणवत्ता को निखारने और उसे ईरान और दुनिया भर के बाज़ारों में भेजने के लिए प्रांत में स्थित कारख़ाने, प्रांत में मौजूद खनिजों का उपयोग करते हैं, कारख़ानों में पैकिंग की जाती है, विभिन्न प्रकार का माल तैयार किया जाता है जो देश और विदेश में अन्य उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सके, विभिन्न प्रकार के सुन्दर डिज़ाइनों को ध्यान में रखकर उत्पाद तैयार किए जाते हैं।