Jul १०, २०१७ १५:३६ Asia/Kolkata

जड़ी बूटियां एक ऐसा प्राकृतिक स्रोत है, जिसने इतिहास में स्वास्थ्य और उपचार में अहम भूमिका निभाई है।

इतिहास के प्रारम्भिक दौर में इंसान ने जड़ी बूटियों की जानकारी हासिल की और उन्हें उपचार के लिए इस्तेमाल किया और आने वाली नस्लों तक अपने अनुभवों को स्थानांतरित किया और इस क्षेत्र में उनकी जानकारियों और ज्ञान में वृद्धि की। वानस्पतिक विज्ञान और जड़ी बूटियों की विशेषताओं की जानकारी, विभिन्न राष्ट्रों और सभ्यताओं की उपलब्धियों का परिणाम है। हालांकि जड़ी बूटियों के प्रकार और उसकी विविध क़िस्में भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर होती हैं, लेकिन अधिकांश देशों में यह ईश्वरीय अनुकंपा पाई जाती है।

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जड़ी बूटी उन वनस्पतियों को कहा जाता है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य और उपचार के लिए प्रयोग की जाती हैं। जड़ी बूटियों का अगर उद्योग में प्रयोग किया जा रहा है तो उन्हें औद्योगिक वनस्पति कहा जाता है, जैसे कि ऐसे दाने जिनसे तेल निकाला जाता है।

जड़ी बूटियों को विभिन्न रूप में इस्तेमाल किया जाता है, ताज़ा, सुखाकर या उनका अरक़ निकाल कर। जड़ी बूटियों में रोगों के उपचार के लिए केवल एक प्रतिशत प्रभावी पदार्थ पाया जाता हैं। जड़ी बूटियों को इसी एक प्रतिशत प्रभावी पदार्थ के लिए प्राप्त किया जाता है। ऐसेंशियल ऑयल या सगंध तेल शब्द एक ऐसे ख़ुशबूदार पदार्थ की ओर संकेत करता है, जो वनस्पतियों की कोशिकाओं में पाया जाता है। यह पदार्थ ऐसे उड़ने वाले मिश्रणों से बनता है, जो हवा लगने से तुरंत भाप में बदल जाते हैं। इसीलिए उनका अरक़ निकालना एक बहुत कठिन काम होता है, जो सामान्य रूप से अरक़ निकालने के बाद संभव नहीं है, बल्कि उसके लिए काफ़ी प्रशिक्षण की ज़रूरत होती है।

वनस्पतियों को काफ़ी विस्तृत पैमाने पर प्रयोग किया जाता है, उन्हीं में से एक उपचार है। आज खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने, उनमें स्वाद डालने, स्किन को उज्जवल बनाने, मेकअप उद्योग, स्वास्थय और अरोमाथेरेपी के लिए तेल बनाने में वनस्पतियों का काफ़ी प्रयोग किया जा रहा है। इसी प्रकार, वनस्पतियों के कच्चे पदार्थ को कृर्षि और कीटनाशकों में प्रयोग किया जाता है।

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हालांकि पिछले पचास वर्षों के दौरान, रासायनिक और सिन्थैटिक दवाईयों का अत्यधिक प्रचलन बढ़ गया है। लेकिन उनके साइड इफ़ैक्ट के कारण, फिर से जड़ी बूटियों की ओर रुझान बढ़ रहा है। रासायनिक दवाईयों के हानिकारक होने के अलावा, उनमें से कुछ के काफ़ी मंहगा होने के कारण उन्हें प्राप्त करना, सबके लिए संभव नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक़, विश्व में 80 प्रतिशत लोग, विशेष रूप से विकासशील और ग़रीब देशों के लोग, अपना उपचार जड़ी बूटियों से करते हैं। अब तक विश्व भर में 75 हज़ार जड़ी बूटियों को पता लग चुका है और 5 हज़ार हर्बल दवाईयों को औद्योगिक स्तर पर तैयार किया जा रहा है।

विश्व बाज़ार में हर्बल दवाईयों का उद्योग, 1996 में प्रतिवर्ष 60 अरब डॉलर से बढ़कर 2010 में 100 अरब तक पहुंच गया है। विश्व बैंक के अनुसार, 2050 में यह व्यापार बढ़कर 5 हज़ार अरब तक पहुंच जाएगा। विभिन्न देश इस बड़े बाज़ार में अपनी भूमिका निभाने का प्रयास कर रहे हैं। 50 देश हर्बल दवाईयां बनाने में सक्रिय हैं। विश्व में हर्बल दवाईयों के उत्पादन में ईरान का 15वां स्थान है।

ईरान में जड़ी बूटियों का इस्तेमाल प्राचीन समय से ही किया जाता रहा है। वास्तव में कहा जा सकता है कि जड़ी बूटियों से लाभ उठाना, ईरानी चिकित्सा का आधार रहा है। पारसियों की पवित्र किताब, अविस्ता ऐसी पहली किताब है, जिसमें 6500 पर्ष पूर्व, जड़ी बूटियों का उल्लेख किया गया है। प्राचीन ईरान में यह माना जाता था कि हूम जड़ी बूटी को इस्तेमाल करने से कि जिसे पहलवी किताबों में जड़ी बूटियों का सरदार माना गया है, इंसान अमर हो जाता है। उसके बाद, इस्लाम के उदय और इस्लामी सभ्यता के जन्म लेने के साथ ही महान विद्वानों जैसे कि राज़ी, इब्ने सीना, अबू रीहान बेरूनी, जुर्जानी और हर्वी के वैज्ञानिक प्रयासों से इस क्षेत्र में काफ़ी प्रगति हुई।

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आज भी ईरान का भौगोलिक स्थिति के कारण, जड़ी बूटियों के क्षेत्र में विशेष स्थान है। जलवायु में विविधता के कारण ईरान वनस्पतियों और जड़ी बूटियों की दृष्टि से एक समृद्ध देश है। विश्व में पाए जाने वाले कुल 13 मौसमों से 11 ईरान में पाए जाते हैं। इसी कारण, वनस्पतियों का एक बड़ा भंडार इस देश में पाया जाता है, इसी प्रकार मशरूम, शैवाल और माइक्रो ऑर्गेनिज़्म भी काफ़ी मात्रा में पाए जाते हैं। वानस्पतिक विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के अनुसार, ईरान में पाई जाने वाली वनस्पतियों की लगभग 8 हज़ार प्रजातियां हैं, जो विविधता की दृष्ट से यूरोपीय महाद्वीप की कम से कम दोगुना है।

ईरानी शोधकर्ताओं के शोधों से पता चलता है कि ईरान में पाई जाने वाली वनस्पतियों में से लगभग 2 हज़ार प्रकार की वनस्पतियां जड़ी बूटियां हैं या उनमें ख़ुशबू, मसाले और स्वास्थ्य से संबंधित विशेषताएं पाई जाती हैं। इसी प्रकार, अभी तक वनस्पतियों की जितनी भी प्रजातियों की पहचान हो चुकी है उनमें से सिर्फ़ 1700 ईरान में पाई जाती हैं और ईरान की स्थानीय वनस्पतियां हैं।

ईरान के अनेक इलाक़ों में जैसे कि कुर्दिस्तान, लोरिस्तान, हमदान, चहार महाल बख़्तियारी, कोहगीलूये व बूयीर अहमद और गीलान प्रांतों में जड़ी बूटियां उगती हैं। ख़ुरासाने रिज़वी और दक्षिणी ख़ुरासान में 90 प्रतिशत खेती सबसे मंहगी जड़ी बूटी अर्थात केसर की होती है। चार प्रांतों फ़ार्स, किरमान, इस्फ़हान और पूर्वी आज़रबाइजान में 85 प्रतिशत खेती जामदानी गुलाब की होती है। इसी प्रकार, ज़ीरा, धनिया, सौंफ़, तरख़ून, गुल गावज़बान, मेंहदी और अजवायन के फूल जैसी जड़ी बूटियों का 70 प्रतिशत उत्पादन, ख़ुरासाने रिज़वी और दक्षिणी ख़ुरासान, किरमान, हमदान और गीलान में होता है।

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कैमोमाइल, मेंहदी, लैवेंडर, तारपीन, तारगोन, गोंद और हींग जैसी ईरान में पैदा होने वाली दसियों वनस्पतियां या जड़ी बूटियां ईरान से विभिन्न देशों को निर्यात की जाती हैं। जर्मनी, ब्रिटेन, फ़्रांस, स्विट्ज़रलैंड, स्वीडन, हंगरी, भारत, चीन, तुर्की, बहरैन, संयुक्त अरब इमारात, क़तर, कुवैत, लेबनान, अमरीका और कनाडा, ईरान की जड़ी बूटियों का बाज़ार हैं।

आज जड़ी बूटियों, हर्बल दवाईयों और पारम्परिक चिकित्सा के क्षेत्र में 150 से अधिक नॉलेज बेस्ड कंपनियां और 400 से अधिक कंपनियां सक्रिय हैं। यह कंपनियां, इस क्षेत्र में 600 से अधिक उत्पाद बाज़ार में पेश करती हैं। यह दवाईयां किसी एक वनस्पति या कई वनस्पतियों के अरक़ से बनती हैं, उदाहरण स्वरूप हड्डियों, अल्ज़ाइमर और बच्चों के मसूढ़ों के उपचार के लिए कैमोमाइल और रजनीगंधा से दवाईयां और मरहम बनाए जाते हैं। जलने के उपचार की दवाई तीन वनस्पतियों के मिश्रण अख़रोट, तिल और कैनबिस से बनाई जाती है। यूरटिका ज़ैड-बी के अरक़ से किडनी के पत्थर के उपचार के लिए दवाई बनाई जाती है, इसी प्रकार कई अन्य दवाईयों का उत्पादन किया जाता है।

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अल्ज़ाइमर के उपचार के लिए मेलिटरोपिक पहली ऐसी हर्बल दवाई है, जिसे ईरानी शोधकर्ताओं ने हाल ही में खोजा है। अधिक मात्रा में वनस्पतियों के उत्पादन के कारण, ईरान विश्व में वनस्पतियों के अध्ययन का एक केन्द्र है। दसियों शोध केन्द्रों में सैकड़ों शोधकर्ता हर्बल दवाईयों और जड़ी बूटियों के बारे में शोध करते हैं। ईरान के विभिन्न शहरों में होने वाले शोधों का उद्देश्य, देश में महत्वपूर्ण वनस्पतियों की पहचान, उन्हें एकत्रित करना और उनसे हर्बल दवाईयां तैयार करना है। इस क्षेत्र में सक्रिय लोगों की कोशिश है कि देश में वनस्पतियों की अधिक से अधिक पहचान और खोज करके उनकी प्रजातियों की जीन का एक बैंक तैयार किया जाए और हर्बल दवाईयों के उत्पादन में वृद्धि की जाए, ताकि देश की ज़रूरतों की आपूर्ति के अलावा, इसे दूसरे देशों को भी निर्यात किया जाए।