Aug १३, २०१७ १२:३९ Asia/Kolkata

वर्तमान समय में जैसे-जैसे विश्व की जनसंख्या में वृद्धि हो रही है और लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे लोगों में यह भावना भी बढ़ती जा रही है कि उनका भोजन अधिक से अधिक पौष्टिक हो।

यदि देखा जाए तो प्रोटीन की दृष्टि से जलचारों या जलीय प्राणियों में पाया जाने वाला प्रीन अन्य की तुलना में अधिक लाभदायक है। जल प्राणियों का मांस जहां पर पौष्टिक होता है वहीं पर यह, मानव शरीर के विकास के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि बहुत से लोग जलीय प्राणियों विशेषकर मछलियों के प्रयोग को महत्व देते हैं।

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इसी बीच मछली के बढ़ते शिकार के कारण बहुत से जल क्षेत्रों न केवल मछलियों की संख्या में कमी आ रही है बल्कि जलचरों की संख्या भी तेज़ी से घट रही है। बढ़ते निरंकुश से अब इस बात का ख़तरा बढ़ गया है कि शायद कुछ जलीय प्राणियों की नस्ल ही समाप्त हो जाए।

इन बातों के दृष्टिगत बहुत से देश अब बायोटेक्नालोजी या जैव प्रौद्योगिकी के सहारे मछलियों की कई प्रकार की जातियां बढ़ा रहे है। इस प्रकार के देश अपनी आवश्यकता की आपूर्ति करने के साथ ही मछलियों के बच्चों को समुद्रों में छोड़ देते हैं ताकि उनके समाप्त होने जैसे संकट से मुक्ति पाई जा सके।

ईरान के पास लगभग 6 हज़ार किलोमीटर की जल सीमा है। इसी के साथ उसके नियंत्रण में जलीय जीव-जंतुओं के विस्तृत स्रोत हैं। ईरान ऐसा देश है जो जलीय प्राणियों में पूंजी निवेश को एक अधिक मुनाफ़ा देने वाले उद्योग के रूप में देखता है। ईरान ने इस क्षेत्र में पूंजी निवेश का काम लगभग एक शताब्दी पहले स्टर्जन या एक प्रकार की विशेष मछली की नस्ल बढ़ाने से आरंभ किया था। वर्तमान समय में ईरान में बड़ी संख्या में एसे केन्द्र हैं जहां पर मछली पालन का बहुत ही विस्तृत स्तर पर किया जाता है। इस समय ईरान में मछली पालन का कारोबार इतना बढ़ गया है कि मछलियों को देश के भीतर बेचने के साथ ही उनका बड़े पैमान पर निर्यात भी किया जाता है। ईरान में गर्म जल तथा ठंडे जल में रहने वाली मछलियों के उत्पादन के साथ ही झींगे का भी उत्पादन किया जाता है। कहते हैं कि मछली पालन में गर्म पानी और ठंडे पानी वाली दोनों प्रकार की मछलियों के लिए अलग-अलग प्रकार के तापमान की आव्शयकता होती है।

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अगी हम३ मछलियों को उनके रहने के स्थल की दृष्टि से देखें तो उनके रहने वाले जलक्षेत्र को मूल रूप में दो भागों में बांटा गया है। एक, साल्ट वाटर या नमकीन पानी वाला जलक्षेत्र और दूसरा मीठे पानी वाला जलक्षेत्र। कहा जाता है कि विश्व में पाए जाने वाले अधिकांश जलीय जीवों या जलचरों का संबंन्ध गर्म पानी वाले क्षेत्रों या ट्रापिकल से होता है। भोजन या खाने की दृष्टि से मछलियों के तीन वर्ग बनाए गए हैं। एक मांस खाने वाली मछली, दूसरे वनस्पति खाने वाली मछली और तीसरे हर प्रकार की वस्तु खाने वाली मछलियां। सजावटी मछलियों में भी मानव की ही भांति कुछ मछलियां, शांत स्वभाव की होती हैं जबकि कुछ चंचल स्वभाव की। 90 प्रतिशत सजावटी मछलियां, मीठे पानी वाले क्षेत्रों में जीवन व्यतीत करती हैं जबकि मात्र 10 प्रतिशत ऐसी मछलियां खारे पानी वाले क्षेत्रों में पाई जाती हैं।

गर्म पानी में रहने वाली मछलियों के लिए 20 से 30 संटीग्रेट गर्मी वाले पानी की आवश्यकता होती है। जो लोग मछली पालन करते हैं वे इस बात का विशेष ध्यान देते हैं गर्म जल में रहने वाली मछलियों के लिए यदि जल का तापमान बढ़कर 33 डिग्री हो जाए तो इससे इन मछलियों का दम घुटने लगता है। इसी प्रकार यदि पानी का तापमान 13 डिग्री से कम हो जाए तो मछलयां बीमार होने लगती हैं। क्योंकि शुद्ध और साफ़ पानी सामान्यत : सूक्ष्मजीवों से खाली होता है इसीलिए इस प्रकार के पानी में गर्म पानी में रहने वाली मछलियां जिंदा नहीं रह पातीं। उनको ऐसा पानी चाहिए जो थोड़ा गदला हो। ऐसे पानी में यह मछलियां खूब फलती फूलती हैं। पाली जाने वाली मछलियों में कार्प मछलियों का नाम लिया जा सकता है। ईरान में सामान्यत: चार प्रकार की कार्प मछलियों का व्यापार किया जाता है। इनके खुले तालाबों में पाला जा सकता है। कुछ लोग इन्हें अपने घरों के तालाबों में ही पालते हैं।

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मछली पालन के अन्तर्गत जिन मछलियों को पाला जाता है उनमें ट्राउट मछली भी है। यह रंगारंग मछलियां भी हो सकती हैं। यह मछलियां सामान्यत: ठंडे पानी में रहती है। ट्राउट मत्सपालन केन्द्र में पानी का तापमान 6 से 19 सेंटीग्रेट होना चाहिए। यह मछलियां इतने ही तापमान में अच्छी तरह से जीवित रह सकती हैं। इनमें से मछलियों की एक जाति एसी भी है जिनपर इन्द्रघनुष जैसे रंग पाए जाते हैं।

जैसाकि आप जानते हैं कि वर्तमान समय में अन्ट्रर्रीय बाज़ार में प्रविष्ट होने के लिए वैश्विक मानदंडों का पालन करना अनिवार्य है। इसी के साथ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में बड़े पैमाने पर प्रतिस्पर्धा पाई जाती है। पिछले कई दशकों से ईरान, प्रतिबंधों की मार झेल रहा है। एसे में व्यापार के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय मानदंडों तक पहुंच कोई सरल काम नहीं है। इन बातों के बावजूद ईरान, मत्स्य उद्दयोग के क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मानदंडों का पालन करते हुए निर्यात के क्षेत्र में आगे क़दम बढ़ा रहा है। ईरान में जिन केन्द्रों में व्यापक स्तर पर मछलीपालन किया जाता है वहां पर बहुत सी बातों को सूचिबद्ध करके रखा जाता है ताकि निर्यात के समय उसे पेश करके सामने वाले पक्ष का विश्वास हासिल किया जा सके।

मछलियों के बारे में जिन बातों को सूचिबद्ध किया जाता है उनमें से कुछ इस प्रकार हैं। मछली के बच्चों को किस समय पानी में डाला गया, उन्हें पूर्ण रूप से मछली बनने में कितना समय लगा, जिस तालाब में उनका पालन किया गया वह किस प्रकार का था, उन्हें कौन सा भजजन दिया गया और भोजन देने का समय क्या था? आदि। इन बातों से मत्स्य केन्द्र की विश्वसनीयता का स्तर बढ़ता है।

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हालिया कुछ वर्षों के दौरान ईरान के मत्सय उदयोग में नालिज बेस्ड कंपनियों की उपस्थिति से बहुत से मछलीपालन केन्द्रों की क्षमताओं में वृद्धि हुई है। इस प्रकार की कंपनियां, गहन अध्धयन करके मत्स्य उद्योग के विकास से संबन्धित योजनाएं पेश करते हैं ताकि जलचर जीवों का व्यापार करने वाली एजेन्सियों की सहायता और उनका मार्ग दर्शन किया जाए।

इस समय जल प्राणियों का व्यापार पूरे विश्व में बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है विशेषकर इनको पैक करके बेचने का चलन बढ़ रहा है। विश्व के बहुत से देशों में यह व्यापार बहुत बढ़ चका है विशेषकर वे देश जो समुद्र तटों पर बसे हैं। इसी बीच मत्स्य उद्योग के क्षेत्र में सक्रिय कंपनियां, अपनी पूरी तैयारी से इस बात का प्रयास कर रही हैं कि लोगों के स्वाद के अनुसार रंगारंग उत्पादन तैयार करके बाज़ार में भेजती हैं। इनको लोगों में बहुत पसंद किया जा रहा है।