अमेरिका के लास वेगास घटना से जुड़े कुछ पहलुओं।
अमेरिका में लास वेगास की जो घटना हुई वह अमेरिकी इतिहास की पहली और आखिरी घटना नहीं थी किन्तु अब तक कि दिल को दहला देने वाली यह सबसे बड़ी घटना थी।
इस घटना में एक अमेरिकी ने राइफल से 59 व्यक्तियों को भून दिया जबकि इस घटना में 500 से अधिक लोग घायल हो गये। स्टीफन पैडक नाम के जिस व्यक्ति ने लोगों को गोलियों से भूना था उसने कानूनी और ग़ैर कानूनी रूप से 10 राइफलें खरीदी थीं।

संचार माध्यमों के दावे के अनुसार लास वेगास में होने वाली हत्या को वर्तमान समय की सबसे बड़ी घटना कहा जा सकता है। यह घटना पहली अक्तूबर को हुई। इसे नेवाडा के रहने वाले 64 वर्षीय स्टीफन पैडक नामक व्यक्ति ने अंजाम दिया। उसने एक कंसर्ट में अंधाधुन्ध गोली चलाकर 59 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। बाद में उसने आत्म हत्या कर ली और उसके शव को होटल के कमरे से पुलिस ने बरामद किया। यह था लास वेगास घटना का सार किन्तु मुख्य मामला हथियारों का निर्माण, अमेरिका में उनकी बिक्री और अमेरिकी संचार माध्यमों विशेषकर सिनेमाघरों द्वारा हिंसा का प्रचलित किया जाना है।
पहली चीज़ के बारे में कहना चाहिये कि विदित में वर्षों से अमेरिका में रिपब्लिकन, डेमोक्रेट और लिबरल के मध्य बड़ी चुनौती रही है। डेमोक्रट और लिबरल हथियारों को नियंत्रित किये जाने के पक्षधर हैं जबकि रिपब्लिकन हथियारों की बिक्री और देश में लोगों तक उसकी पहुंच के समर्थक हैं और अब तक हथियारों के निर्माण के पक्षधर धड़े का पलड़ा भारी रहा है किन्तु दूसरी चीज़ यानी हथियारों की बिक्री के मामले की अधिक समीक्षा की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान समय में संचार माध्यमों का प्रभाव और समाज के लोगों की ज़िन्दगी और अर्थ व्यवस्था से उनका गहरा संबंध है यहां तक कि इस संबंध में राजनीति को दूसरे नंबर की प्राथमिकता प्राप्त है।
अध्ययन इस बात के सूचक हैं कि हर अमेरिकी प्रतिदिन लगभग 4 घंटे टीवी देखता है। एक मिडियम अमेरिकी घराने में अधिकांशः दो टीवी होता है और कभी- कभी ऐसा होता है कि एक परिवार में हर सदस्य का अपना एक अलग टीवी होता है। इन टेलिवीज़नों में जो हिंसा दिखाई जाती है समस्त दर्शकों विशेषकर बच्चों और किशोरों पर उसका सीधा प्रभाव पड़ता है। तस्वीरों में जो हिंसा दिखाई जाती है वह इस सीमा तक अधिक है कि धीरे- धीरे उसका असामान्य होना खत्म हो जाता है और लंबे समय में वह एक सामान्य बात प्रतीत होने लगती है और जो दर्शक हिंसा, फायरिंग और विस्फोट आदि का अभ्यस्त हो चुका होता है तो जब वह एक फिल्म में इन चीज़ों को नहीं देखता है तो वह फिल्म उसे असामान्य दिखाई देने लगती है।

फिल्मों और टीवी आदि में हिंसा देखने का एक अन्य परिणाम यह होता है कि इंसान धीरे- धीरे यह स्वीकार कर लेता है कि समस्या के समाधान का मार्ग हिंसा है। टेलिवीज़न पर जो दिखाया जाता है उससे अमेरिकी बच्चा व किशोर हिंसा को समस्या के समाधान के विकल्प के रूप में देखता है और उससे यह समझता है कि वह हिंसा के माध्यम से इंसान को बर्बादी या एक मुसीबत से बचा सकता है। संचार माध्यमों से प्रभावित एक अमेरिकी के लिए हिंसा शार्टकट विकल्प होता है जिससे वह समस्या का समाधान कर सकता है।
समस्त नई सुविधायें इंटरनेट का प्रयोग करने वालों और कम्प्यूटर गेम्स खेलने वालों को जहां नई- नई तकनीक से लाभ उठाने का अवसर प्रदान करती हैं वहीं ये समस्त संभावनाएं इस बात का कारण बनती हैं कि अतीत की पीढियों के खिलाफ उनके मध्य यह सम्पर्क काल्पनिक हो। इस काल्पनिक वातावरण में बहुत आराम, घमंड और शक्ति के आभास के साथ हज़ारों लोगों की हत्या की जा सकती है और साथ ही इंसान के हाथ में खून भी नहीं लगता है। सामने वाले पक्ष की ओर फायरिंग करना, उसे नष्ट कर देना, सफलता प्राप्त करना और इन गेमों में एक उत्सुकता यह होती है कि अगले चरण तक पहुंचना है और यह बात इतनी अधिक दोहराई जाती है कि वास्तविक और काल्पनिक दुनिया एक हो गयी है और लोग काल्पनिक दुनिया की घटनाओं को वास्तविक दुनिया में व्यवहारिक बनाना चाहते हैं।
हिंसा की यह जो स्थिति है उसमें सिनेमा की फिल्में यहां तक कि डाक्यूमेन्ट्री फिल्में भी वृद्धि कर रही हैं। इसी प्रकार उत्सुकता और मानसिक बीमारियां जैसी चीज़ें भी हैं जो हिंसा में वृद्धि कर रही हैं। जब इस प्रकार की स्थिति होगी तो एक एसे हत्यारे और अपराधी को बड़ी सरलता से जन्म दिया जा सकता है जो वास्तविक दुनिया को तबाह करना चाहता है वह भी अपनी जान की कीमत पर। दूसरे शब्दों में इस प्रकार की स्थिति में अगर एक खतरनाक हत्यारा पैदा हो जाये तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है अगर न हो तो आश्चर्य की बात है।
एक ईरानी पत्रकार अमेरिका में लास वेगास की घटना के कई दिन बाद लिखता हैः लास वेगास और हालीवुड जब डिज़नी लैंड के साथ मिल जाते हैं तो वे अमेरिका के त्रिकोणीय जीवन का चित्रण करते हैं। उनमें से हर एक दूसरे का पूरक होता है और किसी एक की कल्पना दूसरे के बिना नहीं की जा सकती।

अमेरिकी फिल्मों को देखने से हम यह पाते हैं कि हालीवुड ने सदैव लास वेगास का काल्पनिक चित्र पेश किया है। इन फिल्मों में यह बताया गया है कि लास वेगास वह जगह है जहां हर प्रकार की सुविधा व आराम है और हर अमेरिकी इस बात की कामना करता है कि काश उसके पास इतना पैसा हो जाता कि वह लास वेगास का आनंद ले सकता।
नेथन गार्डलेज़ और माइक मेडावी ने “इराक के बारे में लिखी अपनी किताब में आज की दुनिया में हालीवुड की भूमिका का विश्लेषण किया है। आम डिप्लोमेसी विशेषकर 11 सितंबर की घटना के बाद की स्थिति को दिशा देने में हालीवुड ने क्या भूमिका निभाई है इसकी समीक्षा इस किताब के लेखकों ने की है। हारवर्ड विश्व विद्यालय के प्रोफेसर जोसेफ नाइ ने संचार माध्यमों की शक्ति का विश्लेषण किया और इसी दृष्टिकोण की समीक्षा के कारण उन्हें पहचाना गया और उन्होंने इस किताब पर एक प्रस्तावना लिखी है। वह किताब की अपनी प्रस्तावना में सिनेमा और हालीवुड में अमेरिका की प्रभावी डिप्लोमेसी की ओर संकेत करते बल देकर कहते हैं कि बर्लिन की दीवार गिराने और पूर्व सोवियत संघ के विघटन में मिसाइलों और बमों की मुख्य भूमिका नहीं थी बल्कि नर्म शक्ति अर्थात संचार माध्यमों की शक्ति थी जिसका महत्व था और हालीवुड उन सबमें मुख्य था। क्योंकि जो वास्तव में अमेरिका है और जो अमेरिकी अंजाम देते हैं उसे हालीवुड में नहीं दिखाया जाता है बल्कि उसमें अमेरिका के लुभावने रूप को दिखाया जाता है। हालीवुड में जिन मूल्यों का प्रचार किया जाता है वे विश्व व्यापी होते हैं और इसी प्रकार इन फिल्मों में यह दिखाया जाता है कि इंसान और इंसानियत की मुक्ति के लिए वे मूल्य आवश्यक हैं।
यह महत्वपूर्ण विचार धारा है कि पूंजीवाद के माध्यम से जो चाहें कर सकते हैं। हालीवुड ने जब भी किसी विषय से लाभ उठाना चाहा तो इसके लिए उसने अपने प्रचारिक संसाधनों से भरपूर लाभ उठाया। हथियार बनाने के बड़े- बड़े कारखाने भी अपने नवीनतम उत्पादों को बाज़ार में लाने के लिए अमेरिकी फिल्मों के नायकों के हाथों में दे देते हैं ताकि इस मार्ग से वे इस विचार व धारणा को समस्त संबोधकों के मस्तिष्क में डाल सकें कि हिंसा के माध्यम से वे समस्या का समाधान कर सकते हैं।
हथियार बनाने की जो बड़ी- बड़ी कंपनियां हैं और वे विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में युद्ध कराना चाहती हैं और इसी में उनका जीवन है तो उनके लिए ज़रूरी है कि विभिन्न राजनेता और प्रचारिक संसाधन व कंपनियां उनका समर्थन करें। इसी प्रकार हथियार बनाने वाली बड़ी -2 कंपनियों के लिए प्रचारिक संसाधनों की ज़रूरत है ताकि वे उनके उत्पादों और उसके प्रभाव व उपयोग के तरीकों को लोगों के लिए बयान कर सकें। इसलिए अमेरिका में हथियार बनाने वाली कंपनियां अपने हथियारों की बिक्री के लिए समस्त संसाधनों का प्रयोग करती हैं। ध्यानयोग्य बिन्दु यह है कि लाकहीड मार्टिन, बोइंग, नोरट्रोप ग्रामन, कोल्ट, हालिबर्टन, यूजिन स्टोनी और जनरल डाइनामाक्स जैसी हथियारों का निर्माण करने वाली बड़ी कंपनियां और सबसे महत्वपूर्ण अमेरिकी हथियारों के संघ एनआरए(NRA) केवल संचार माध्यमों के प्रचार पर संतोष नहीं करती हैं। इन कंपनियों का मुख्य लक्ष्य हथियारों की बिक्री और मुनाफा कमाना होता है। इसके दृष्टिगत ये कंपनियां अमेरिकी कांग्रेस की लाबी का प्रयोग करके इस देश के राजनेताओं को युद्ध के लिए उकसाती हैं और अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए समस्त संभावनाओं का प्रयोग करती हैं। तो हम जो यह देखते हैं कि सिनेमा, टीवी और कंप्यूटर गेम्स में हिंसा और मारधाड़ दिखाई जाती है उसका अमेरिकी अर्थ व्यवस्था और हथियारों का निर्माण करने वालों से गहरा संबंध है और उसका कोई भी मानवीय व सांस्कृतिक आधार नहीं है।

अमेरिका के एक प्रसिद्ध हीरो डस्टिन हाफमैन कहते हैं अगर हालीवुड का कोई होरो हाथ में हथियार नहीं लेना चाहता है तो संभव है कि उसे फिल्म में पहला रोल दिये जाने के बजाये कोई आम रोल दे दिया जाये। वह अमेरिका के राष्ट्रीय रेडियो के साथ साक्षात्कार में कहते हैं” मेरा अपने समस्त फिल्मी जीवन में प्रयास यह था कि मैं कभी भी अपनी फिल्मों में हथियार का प्रयोग न करूं।“
इसके बावजूद उन्होंने इस विषय की पुष्टि की है कि स्ट्रा डाग्स (STRAW DOGS) और लिटिल बिग मैन (LITTIL BIG MAN) नामक फिल्मों में उन्होंने हथियार का प्रयोग किया है। इस कार्य के लिए उनके पास व्यक्तिगत कारण हैं और उनका मानना है कि हथियारों को फिल्म उद्योग व मनोरंजन का भाग नहीं होना चाहिये।“
वह आगे कहते हैं” मैं हथियारों में कोई अच्छी चीज़ नहीं देखता। हथियार लोगों की हत्या करने और उन्हें डराने के लिए हैं। फिल्म निर्माता एक कहानी के कमज़ोर स्क्रिप्ट को मजबूत बनाने के लिए हथियारों का प्रयोग करते हैं पंरतु जो विषय अधिक महत्व रखता है वह यह है कि कुछ अभिनेताओं ने फिल्मों में हथियारों का प्रयोग नहीं किया जिसके कारण उन्हें अपने कार्य से हाथ धोना पड़ा।
यद्यपि डस्टिन हाफमैन हालीवुड के गिने- चुने अभिनेताओं में से हैं जो हिंसा का प्रचार करने वाली चीज़ हथियारों के खिलाफ बात करते हैं परंतु वास्तविक दुनिया में हिंसा और अर्थवस्था में गहरा संबंध मौजूद है और अमेरिकी सिनेमा में जो हिंसा है इसके दुष्परिणाम को लास वेगास जैसी घटनाओं में देखा जा सकता है जो तबाही और बर्बादी के अलावा कुछ और नहीं है।