सोमवार - 2 नवम्बर
2 नवंबर सन 1916 ईसवी को मक्का और मदीना नगर के शासक शरीफ़ हुसैन ने स्वयं को समस्त अरब क्षेत्रों का शासक घोषित कर दिया।
उन्होंने इसी वर्ष पांच जून से ब्रिटेन के उकसावे पर उसमानी शासन के विरुद्ध विद्रोह आरंभ किया था। उस समय उसमानी शासन पहले विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त देशों से युद्धरत था। ब्रिटेन ने शरीफ़ हुसैन को लालच दी कि युद्ध के बाद उन्हें शासक के रूप में स्वीकार कर लेगा किंतु ब्रिटेन ने अपना वचन पूरा नहीं किया बल्कि शरीफ़ हुसैन के बजाए सऊद परिवार का समर्थन किया किंतु अरब क्षेत्रों में अपनी छवि को ख़राब होने से बचाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने शरीफ़ हुसैन के बेटों को इराक़ और जार्डन का शासन दे दिया जो उस समय ब्रिटेन के अधिकार में थे।
2 नवंबर सन 1917 ईसवी को बिलफ़ौर घोषणापत्र जारी हुआ। तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मंत्री बिलफ़ौर की ओर से जारी होने वाले इस घोषणा पत्र से अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी शासन की स्थापना की भूमि समतल हुई क्योंकि फ़िलिस्तीन उस समय ब्रिटेन के अधिकार में था। यह घोषणापत्र इस बात का संकेत था कि ब्रिटेन अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी शासन की स्थापना का पक्षधर है और इसके लिए वह भरपूर प्रयास करेगा। इस घोषणापत्र के जारी होने के 31 वर्ष बाद वर्ष 1948 में अमरीका और ब्रिटेन की सहायता से फ़िलिस्तीनियों के अधिकार और उनकी भूमियों को हड़प कर ज़ायोनी शासन ने अपने अस्तित्व की घोषणा कर दी।
2 नवंबर सन 1949 ईसवी को इंडोनेशिया को हालैंड के साढ़े तीन सौ साल से जारी औपनिवेशिक क़ब्ज़े से मुक्ति मिली। इसी दिन को इन्डोनेशिया का राष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया। इस दिन अहमद सुकार्नो तथा अहमद हत्ता के नेतृत्व में अलगाववादियों और हालैंड के बीच समझौता हुआ जिसके तहत यह तय पाया कि इंडोनेशिया से हालैंड की सेना बाहर निकलेगी। यह समझौता अगस्त 1945 से आरंभ होने वाले संघर्ष का परिणाम था जो चार साल तक चला। स्वतंत्रता मिल जाने के बाद अहमद सुकार्नो इंडोनेशिया के राष्ट्रपति बने और वर्ष 1965 में सैनिक विद्रोह होने तक इस पद पर आसीन रहे। उनके बाद जनरल सुहार्तो इंडोनेशिया के राष्ट्रपति बने जो वर्ष 1998 तक इस देश के राष्ट्रपति बने रहे। धीरे धीरे जन विरोध बढ़ता गया अतः उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी।
इंडोनेशिया दक्षिण पूर्वी एशिया का देश है इसका क्षेत्रफल लगभग बीस लाख वर्ग किलोमीटर है। यहां की आबादी लगभग 25 करोड़ है जिनमें 88 प्रतिशत मुसलमान हैं। यह सबसे बड़ी आबादी वाला मुस्लिम देश माना जाता है। यह देश हज़ारों आबाद तथा निर्जन द्वीपों से बना है।
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16 रबीउल अव्वल वर्ष 1433 हिजरी क़मरी को कुछ कथनों के आधार पर मक्के से पैग़म्बरे इस्लाम सलल्लाहो अलैह व आलेही व सल्लम के पलायन के बाद पैग़म्बरे इस्लाम द्वारा पहली नमाज़े जुमा का आयोजन हुआ। पैग़म्बरे इस्लाम जब मदीने के निकट पहुंचे तो उन्होंने बनी सालिम बिन औफ़ नामक क़बीले के निवास स्थान कोबा में शुक्रवार के दिन दोपहर में भाषण दिया और नमाज़े जुमा का आयोजन किया। इतिहासकारों के अनुसार यह इस्लामी इतिहास की पहली नमाज़े जुमा थी। यह विषय इस बात का स्पष्ट चिन्ह है कि नमाज़े जुमा का कितना महत्त्व है कि पैग़म्बरे इस्लाम ने अवसर मिलते ही जिसका तुरन्त आयोजन किया। जिस स्थान पर पैग़म्बरे इस्लाम ने पहली नमाज़े जुमा का आयोजन किया था वहां एक मस्जिद का निर्माण किया गया जो अब भी बाक़ी है।