बैतुल मुक़द्दस को इस्राईली राजधानी बनाने का अमरीकी सपना- 1
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी घोषित किये जाने के बाद से इस्लामी जगत में विरोध प्रदर्शनों का क्रम जारी है।
यह प्रदर्शन, दिन-प्रतिदिन तेज़ होते जा रहे हैं। संयुक्त राज्य अमरीका ने यह फैसला करके दर्शा दिया है कि वह किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय फैसले का सम्मान नहीं करता। इससे यह पता चलता है कि उसकी दृष्टि में वैश्विक समझौतों का कोई महत्व नहीं है।
ट्रम्प ने बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी घोषित करके समस्त देशों का अपमान किया है। उसने इस्लामी जगत के अटूट अंग को एक अवैध शासन के हवाले करने का फैसला किया है। ट्रम्स का यह फैसला एसी स्थिति में सामने आया है कि क्षेत्र में ज़ायोनी शासन लगातार अलग-थलग पड़ता जा रहा है। अब उसके सामने अधिक चुनौतियां मौजूद हैं। क्षेत्र में इस्राईल की स्थिति ख़राब होने के साथ ही ट्रम्प ने भड़काऊ फैसला करके पुराने ज़ख़्मों को हरा करने का प्रयास किया है। वैसे तो अमरीका की पूर्ववर्ती सरकारों ने भी अपने दूतावास को बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के प्रयास किये किंतु बहुत सी रुकावटों को देखते हुए वे यह निणर्य नहीं ले सकीं।
इन संवेदनशील परिस्थितियों में ट्रम्प के फैसले के व्यावहारिक होने की स्थिति में इस्राईल को नई परिस्थितियों का सामना करना होगा। यही कारण है कि अपने इस अशुभ फैसले को लागू करने के लिए अवैध ज़ायोनी शासन, क्षेत्रीय देशों के बीच अधिक से अधिक मतभेद फैलाने के प्रयास करेगा। बिनयामीन नेतनयाहू ने अपने कुछ हालिया भाषणों में कुछ अरब देशों के साथ ज़ायोनी शासन के संबन्धों की बात कहकर इस्लामी जगत को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि इस्राईल, स्वंय क्षेत्र की एतिहासिक वास्तविकता का भाग है।
नेतनयाहू की यह हरकतें और अमरीकी कार्यवाही, ऐसा ख़तरनाक षडयंत्र है जिसका मुक़ाबला करने के लिए सबको एक साथ मिलकर सामने आना होगा ताकि बैतुल मुक़द्दस की सुरक्षा की जा सके। इस बात के बहुत से साक्ष्य मौजूद हैं कि अमरीकी अधिकारी वर्तमान समय में क्षेत्र में कुछ नए परिवर्तन करने के प्रयास कर रहे हैं। इस प्रकार वे इस्राईल के अतिग्रहण को क्षेत्रीय देशों को मनवाना चाहते हैं।
ट्रम्प की ओर से बैतुल मुक़द्दस की औपचारिक रूप में इस्राईल की राजधानी के रूप में घोषणा इतनी अधिक विवादास्पद है कि मध्यपूर्व में अमरीका के सबसे निकटवर्ती घटक सऊदी अरब ने भी इस फैसले को मानने से इन्कार कर दिया है। रेयाज़ ने बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी मानने से इन्कार करते हुए कहा है कि इस फैसले के बहुत ही ख़तरनाक परिणाम सामने आएंगे जिसने सारे मुसलमानों को दुखी किया है। सऊदी अरब के एक अधिकारी ने इस बारे में कहा है कि अमरीका का यह निर्णय, फ़िलिस्तीन संकट के शांतिपूर्ण या न्यायपूर्ण समाधान के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा है।
अमरीकी राष्ट्रपति के इस फैसले ने तथाकथित शांति वार्ता को भी प्रभावित किया है। अब यह शांति वार्ता लगभग असंभव हो चुकी है। अब तक अमरीका यह दिखाने की कोशिश कर रहा था कि फ़िलिस्तीन और इस्राईल संकट के समाधान में वाशिग्टन, एक न्यायपूर्ण मध्यस्थ है। डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में स्वीकार करने की घोषणा, इस्राईलियों को अधिक दुस्साहसी बनाएगी। स्पष्ट सी बात है कि इस्लामी जगत इस अमरीकी कार्यवाही को पवित्र स्थलों के लिए एक गंभीर धमकी के रूप में देख रहा है। ट्रम्प के इस फैसले ने विश्व के एक अरब से अधिक मुसलमानों को आहत किया है। इस बात का महत्व इस दृष्टि से अधिक है कि इस समय मुसलमान, विश्व की जनसंख्या का 22 प्रतिशत हैं।
यह बात पूरे विश्वास के साथ कही जा सकती है कि अमरीका की ग़ैर सोची समझी नीतियां अब न केवल क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए गंभीर ख़तरे में बदलती जा रही है। पीएलओ ने भी अब खुलकर कह दिया है कि बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में मान्यता देना इस अर्थ में है कि शांति वार्ता की मौत हो गई है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले तक पीएलओ ने इस्राईल के साथ शांति वार्ता के लिए बहुत अधिक नर्मी का प्रदर्शन किया था। पीएलओ के एक नेता हस्साम ने कहा है कि अमरीका का यह निर्णय, शांति वार्ता प्रक्रिया के समाप्त हो जाने के अर्थ में है। इस प्रकार के निर्णय से मध्यपूर्व के मामले में अमरीका की रणनीति पूरी तरह से बदल जाएगी जिसके परिणाम स्वरूप बहुत बड़े क्षेत्र में हिंसा फैल सकती है।
समाचार एजेन्सी रोएटर्ज़ ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि ट्रम्प के निर्णय के बाद अमरीकी विदेशमंत्रालय ने इस्राईल से मांग की है कि अमरीकी फैसले की प्रतिक्रिया में होने वाले विरोध और प्रदर्शनों से अमरीकी हितों को जो क्षति पहुंच सकती है उसको सुरक्षति रखने में तेल अवीव गंभीर क़दम उठाए। इस रिपोर्ट के एक भाग में अमरीकी सरकार की ओर से इस्राईल को संबोधित करते हुए कहा गया है कि हमें यह बात समझ में आ रही है कि हमारे इस निर्णय से तुम खुश हो और तुमने इसका स्वागत किया है किंतु एसी प्रतिक्रियाएं करने से बचो जिससे विरोध को बढ़ावा मिले। हमे इस बात की आशा थी कि हमारे इस निर्णय से मध्यपूर्व के अतिरिक्त विश्व के अन्य क्षेत्रों में भी विरोध किया जाएगा। अब हम इन विरोधों के प्रभाव की समीक्षा कर रहे हैं। हम इस बात की समीक्षा कर रहे हैं कि हमारे हालिया निर्णय के बदले में विदेश में अमरीकी प्रतिष्ठानों पर किस प्रकार की कार्यवाही हो सकती है।
बैतुल मुक़द्दस के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हालिया बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लेबनान के इस्लामी आन्दोलन हिज़बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस बारे में कुछ अरब देशों की कमज़ोर नीति की आलोचना करते हुए कहा कि अब कुछ दिनों के बाद कुछ अरब देशों की ओर से एलान किया जाएगा कि वे अमरीका की इस ग़ैर क़ानूनी कार्यवाही के ख़तरों को कम करने के प्रयास करेंगे। वे यह कहेंगे कि अमरीका की कार्यवाही कोई बहुत गंभीर नहीं है जबकि हम एक नए बालफोर समझौते का सामना कर रहे हैं। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि अमरीका के लिए इस्राईल विशेष महत्व रखता है और वह उसका सबसे विश्वसनीय घटक है। ट्रम्प की दृष्टि में मुसलमान या अरब घटकों का कोई महत्व नहीं है। अमरीका केवल इस्राईल और उसके हितों के बारे में सोचता है और यह उसके लिए बहुत अहम मामला है। हिज़बुल्लाह प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि बालफोर समझौते के पारित होने के 100 वर्षों के बाद दूसरा बालफोर समझौता हमारे सामने है।
यह एक वास्तविकता है कि वह बात, जिसकी कामना इस्राईलियों के भीतर दशकों से पाई जाती थी, ट्रम्प ने मात्र कुछ हीे भीतरियों में ही राजधानी रहेगा। समर्थन करते हुए क्या कर सकता है, यह अटल वास्तविकता है कि बैतुल मुक़द्दस, फ़िे पूर्ववर्ती राष् क्षणों में व्यवहारिक बना दिया। ट्रम्प ने एक हिसाब से शांति वार्ता को भी ठोकर मार दी। जब फ़िलिस्तीनियों के पास बैतुल मुक़द्दस जैसी कोई चीज़ नहीं होगी जो उनकी पहचान है तो फिर वार्ता का कोई अर्थ नहीं रह जाता। फ़िलिस्तीन वास्तव में मध्यपूर्व में मुसलमानों की पहचान का प्रमुख प्रतीक है और बैतुल मुक़द्दस उसका केन्द्र है। यही कारण है कि बैतुल मुक़द्दस का विषय, एक धार्मिक एवं राजनैतिक विषय होने के साथ ही मुसलमानों की पहचान का सबसे बड़ा मुद्दा है। इस हिसाब से कहा जा सकता है कि फ़िलिस्तीन का मामला कई आयामों से मुसलमानों के लिए विशेष महत्व रखता है। अमरीका के पूर्ववर्ती राष्ट्रपति इस बात पर बल देते आए हैं कि बैतुल मुक़द्दस का महत्व, फ़िलिस्तीन और इस्राईल की वार्ता में स्पष्ट होना चाहिए। यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि इन सभी बातों के बावजूद कि इस्राईल क्या करेगा और अमरीका उसका समर्थन करते हुए क्या कर सकता है, यह अटल वास्तविकता है कि बैतुल मुक़द्दस, फ़िलिस्तीन सरकार की ही राजधानी रहेगा।