क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-650
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-650
وَهُوَ الَّذِي مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ هَذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ وَهَذَا مِلْحٌ أُجَاجٌ وَجَعَلَ بَيْنَهُمَا بَرْزَخًا وَحِجْرًا مَحْجُورًا (53)
और (ईश्वर) वही है जिसने दो समुद्रों को मिला दिया। यह (पहला) शीतल और मीठा है और यह (दूसरा) खारी और कड़वा है। और उसने (इन) दोनों के बीच एक रुकावट और पर्दा डाल दिया है (ताकि ये दोनों आपस में न मिल जाएं)। (25:53)
وَهُوَ الَّذِي خَلَقَ مِنَ الْمَاءِ بَشَرًا فَجَعَلَهُ نَسَبًا وَصِهْرًا وَكَانَ رَبُّكَ قَدِيرًا (54)
और (वह ईश्वर) वही है जिसने पानी (की एक बूंद) से एक मनुष्य को पैदा किया। फिर उसे वंशानुगत सम्बन्धों और ससुराली रिश्ते वाला बनाया (और इन दो मार्गों से उसका वंश बढ़ाया)। और आपका पालनहार अत्यंत सामर्थ्यवान है। (25:54)
وَيَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ مَا لَا يَنْفَعُهُمْ وَلَا يَضُرُّهُمْ وَكَانَ الْكَافِرُ عَلَى رَبِّهِ ظَهِيرًا (55)
और वे ईश्वर को छोड़ कर उनकी उपासना करते हैं जो न उन्हें लाभ पहुँचा सकते हैं और न ही हानि। और काफ़िर सदैव अपने पालनहार के मुक़ाबले में (पथभ्रष्टों और काफ़िरों का) सहायक है। (25:55)