क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-669
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-669
وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ (90) وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ (91) وَقِيلَ لَهُمْ أَيْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُونَ (92) مِنْ دُونِ اللَّهِ هَلْ يَنْصُرُونَكُمْ أَوْ يَنْتَصِرُونَ (93)
और (उस दिन ईश्वर का) डर रखने वालों के लिए स्वर्ग निकट ले आया जाएगा। (26:90) और (नरक की) भड़कती आग पथभ्रष्ट लोगों के लिए प्रकट कर दी जाएगी। (26:91) और उनसे कहा जाएगा, कहाँ है वे जिनकी तुम ईश्वर को छोड़ कर उपासना करते थे? (26:92) क्या वे तुम्हारी सहायता कर रहे हैं या अपना ही बचाव कर सकते हैं? (26:93)
فَكُبْكِبُوا فِيهَا هُمْ وَالْغَاوُونَ (94) وَجُنُودُ إِبْلِيسَ أَجْمَعُونَ (95) قَالُوا وَهُمْ فِيهَا يَخْتَصِمُونَ (96) تَاللَّهِ إِنْ كُنَّا لَفِي ضَلَالٍ مُبِينٍ (97) إِذْ نُسَوِّيكُمْ بِرَبِّ الْعَالَمِينَ (98)
फिर वे और बहके हुए लोग नरक में औंधे मुंह डाल दिए जाएँगे। (26:94) और (इसी प्रकार) इबलीस के सभी सैनिक भी (नरक में डाले जाएंगे।) (26:95) वे वहाँ आपस में झगड़ते हुए कहेंगे, (26:96) ईश्वर की सौगंध! निश्चय ही हम खुली पथभ्रष्टता में थे। (26:97) क्योंकि हम तुम्हें ब्रह्मांड के पालनहार के बराबर समझ रहे थे। (26:98)
وَمَا أَضَلَّنَا إِلَّا الْمُجْرِمُونَ (99) فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِينَ (100) وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ (101)
और हमें तो बस अपराधियों ने ही पथभ्रष्ट किया। (26:99) तो (परिणाम स्वरूप आज) न हमारा कोई सिफ़ारिशी है (26:100) और न ही कोई घनिष्ट मित्र। (26:101)