आयतें और निशानियां- 11
मधुमक्खी ईश्वर की उत्कृष्ट रचनाओं में से एक है, यह एक ऐसा अद्भुत जीव है जो अपने छोटे जीवनकाल में कभी आराम नहीं करता है।
इस दुनिया में पाया जाने वाला प्रत्येक जीव अपनी क्षमता के अनुसार काम करता है और जितना ईश्वर ने उसपर ज़िम्मेदारी डाली है उसे पूरा वह करती है। ईश्वर ने मधुमक्खी को जो ज़िम्मेदारी दी है वह उसे उत्तम ढंग से पूरा करती है। इस आश्चर्यजनक जीव का प्रकृति में क्या महत्व है इसे बताने के लिए पवित्र क़ुरआन में नहल नाम से पूरा एक सूरा मौजूद है।
पवित्र क़ुरआन के सुरए नहल में मधुमक्खी के आश्चर्यजनक जीवन के बारे में इशारा किया गया है। इस सूरे की आयत नम्बर 68 और 69 में मधुमक्खी और उसके द्वारा बनाए जाने वाले शहद के बारे में कुछ इस तरह बयान किया गया है कि “और (हे पैग़म्बर) आपके पालनहार ने शहद की मक्खियों के दिल में ये बात डाली कि वह पहाड़ों और पेड़ों और लोगों द्वारा बनाई जाने वाली ऊँची-ऊँची मचानों में अपने छत्ते बनाएं। फिर हर तरह के फलों से (उनका रस) चूसें और फिर अपने पालनहार द्वारा बताए गए रास्ते पर चले, (उसके बाद) मधुमक्खियों के पेट से पीने की एक रंग बिरंगी चीज़ (शहद) निकलती है जो लोगों (की बीमारियों) के लिए शिफ़ा भी है, यह सारी प्रक्रिया उनके लिए निशानी है जो ईश्वर के बारे में सोचते विचारते हैं।”
आज वैज्ञानिक अनुसंधानों द्वारा यह बात साबित हो चुकी है कि मधुमक्खियों का एक अद्भुत सामाजिक जीवन है, मधुमक्खी एक ऐसा जीव है जो अपनी साथी मक्खियों के साथ ज़िन्दगी गुज़ारती है। सूरए नहल की आयतों में मधुमक्खी के लिए सबसे पहला काम छत्ता लगाना बताया गया है। अधिकतर लोगों ने मधुमक्खी के छत्ते को देखा होगा, मधुमक्खियां अपने घरों को षट्कोणीय शैली में बड़ी सुंदरता और अद्भुत इंजीनियरिंग के साथ बनाती हैं। पवित्र क़ुरआन में इस बात की ओर इशारा किया गया है कि मधुमक्खियां कभी अपना घर ऐसी चट्टानों और पहाड़ों में बनाती हैं जहां इंसानों का जाना भी आसान नहीं होता और कभी पेड़ों की शाखाओं पर और कभी इंसानों द्वारा बनाई गई मचानों पर वे अपना घर बनाती हैं।
मधुमक्खी जैसा एक छोटा सा जीव द्वारा छत्ता बनाने का अद्भुत तरीक़ा और फूलों का रस चूस करके उससे शहद जैसे लाभदायक पेय का उत्पादन, यह सब उस ईश्वर की महानता को दर्शाता है जिसने उसे जीवन प्रदान किया है।
मधु एक ऐसी पीने वाली औषधि है जिसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के उपचार हो सकते हैं। यह मीठा पेय-पदार्थ विभिन्न क्षेत्रों के मौसम और जलवायु से प्रभावित होकर अलग-अलग क्षेत्रों में रंग बिरंगे रंगों में कई प्रकार से बनता है। शहद में इन सभी विशेषताओं के अतिरिक्त विटामिन A,B,C,D,E,K भी होता है और साथ ही शहद में मिनरल्स और विशेष प्रकार की सुगंध भी होती है। शहद स्वयं भी जल्दी पच जाता है और इसमें दूसरे भोजनों को भी पचाने की शक्ति होती है। शहद एक ऐसा पवित्र पेय है और लोगों को शिफ़ा प्रदान करने वाली अहम दवा भी है।