Jul १८, २०१८ १५:३१ Asia/Kolkata

एंडलुशिया या इबेरियन प्रायद्वीप दक्षिण पश्चिमी यूरोप का क्षेत्र है जिसमें स्पेन, पुर्तगाल और जिब्राल्टर का इलाक़ा शामिल है।

यह क्षेत्र आठ सौ बरस तक इस्लामी सभ्यता का एक भाग रहा है और इसे राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक मैदानों में पूरब व पश्चिम के बीच संपर्क पुल की हैसियत हासिल थी।

एंडलुशिया के प्राचीन लोग इबेरियन जाति के थे और उन्हीं के नाम से यह प्रायद्वीप पहचाना जाता था लेकिन उनके अलावा फ़िनिशिया, उसके बाद यूनानी और फिर कारताज जैसी जातियां भी इस क्षेत्र में आईं और यहीं की हो कर रह गईं। इसी तरह एक लम्बे समय तक रोम के लोगों ने भी यहां शासन किया। इबेरियन प्रायद्वीप रोम सरकार के लिए बहुत आवश्यक था क्योंकि यह क्षेत्र यूरोप व अफ़्रीक़ा के मार्ग पर स्थित था और इन दोनों महाद्वीपों को जोड़ता था। रोमियों ने पांचवीं शताब्दी ईसवी तक एंडलुशिया पर शासन किया यहां तक कि गोथ जाति के लोग हमलावरों के रूप में इस प्रायद्वीप में घुसे और उन्होंने रोमियों को मार भगाया। इस तरह एंडलुशिया छठी शताब्दी में गोथों के क़ब्ज़े में आ गया। गोथ शासक अत्यंत क्रूर व अत्याचारी थे और उनका ज़ुल्म इतना अधिक बढ़ चुका था कि लोग उनसे नफ़रत करने लगे थे। अतः जब सन 714 में मुसलमानों ने हमला किया तो अधिकतर अहम और बड़े शहरों ने अपने दरवाज़े उनके लिए खोल दिए। दूसरे शब्दों में उन्होंने अपने अत्याचारी शासकों से मुक्ति के लिए मुसलमानों की शरण ली।

स्पेन में मुसलमान पहली बार वर्ष 89 हिजरी में दाख़िल हुए। यह उमवी शासक वलीद बिन अब्दुल मलिक का ज़माना था। उसने मूसा बिन नसीर नामक एक व्यक्ति को उत्तरी अफ़्रीक़ा का शासक नियुक्त किया जिस पर मुसलमानों ने कुछ समय पहले ही विजय प्राप्त की थी। मूसा बिन नसीर ने कुछ अन्य क्षेत्रों को नियंत्रित करने और वहां के लोगों को इस्लाम का निमंत्रण देने का इरादा किया। इसके लिए उसने स्पेन का रुख़ किया। मूसा बिन नसीर ने अपने एक कमांडर तारिक़ बिन ज़ियाद को आदेश दिया कि वह स्पेन पर नियंत्रण करे। वह रणकौशल रखने वाली एक छोटी सी सेना के साथ समुद्री जहाज़ के माध्यम से जबले तारिक़ जलडमरू मध्य या जिब्रालटर स्ट्रेट से गुज़रा और 21 शव्वाल सन 92 हिजरी को एक क्षेत्र में पहुंचा जिसका नाम बाद में उसी के नाम पर रखा गया। उस छोटी सी सेना ने चार साल की अवधि में पूरे एंडलुशिया पर विजय प्राप्त कर ली।

 

जब तारिक़ बिन ज़ियाद ने स्पेन मे क़दम रखा तब यूरोप आस्थाओं की पड़ताल और विज्ञान के विरोध के भंवर में फंसा हुआ था। मध्ययुगीन शताब्दियों में चर्च लोगों की आस्थाओं और उनके ईमान की पड़ताल किया करता था। बहुत से लोगों विशेष कर विद्वानों और वैज्ञानिकों पर आस्थाओं की पड़ताल की अदालतों में जादू-टोने, नास्तिकता और अनेकेश्वरवाद के आरोप लगाए जाते थे। इन लोगों को आरंभ में यातनाएं दी जाती थीं और फिर अंत में अत्यंत अमानवीय तरीक़े से उन्हें मौत की सज़ा दे दी जाती थी। मुसलमानों के आगमन के बाद इस क्षेत्र की क़िस्मत पूरी तरह बदल गई।

मुसलमानों ने एंडलुशिया पर विजय के बाद इस क्षेत्र के ईसाइयों और यहूदियों की स्वतंत्रता को सुनिश्चित बनाया और उन्हें अपनी शरण में रखा। उनके साथ मुसलमानों का इस्लामी और भला व्यवहार इस प्रकार का था कि उनके शासनकाल में यहूदियों और ईसाइयों को किसी भी अन्य ज़माने से अधिक स्वतंत्रता व सुरक्षा प्राप्त थी। उनकी संपत्तियां और उपासना स्थल सुरक्षित थे और अगर उनके विरुद्ध कोई मुक़द्दमा होता था तो अधिकतर उनके अपने क़ानून के हिसाब से उनकी विशेष अदालतों में चलाया जाता था। इस धार्मिक स्वतंत्रता ने ईसाइयों को मुसलमानों के निकट कर दिया, इस प्रकार से कि दोनों समुदायों के बीच विवाह भी होने लगे। इसी तरह बहुत से ईसाइयों ने अपने लिए इस्लामी नामों का चयन किया और वे कई संस्कारों में अपने मुस्लिम पड़ोसियों का अनुसरण करने लगे। जब यूरोप के कुछ क्षेत्रों में यहूदियों का जनसंहार शुरू हुआ तो उनमें से बहुत से लोगों ने एंडलुशिया में शरण ली और मुसलमानों ने उनका सहर्ष स्वागत किया और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित बनाया।

मुसलमानों के हाथों एंडलुशिया की विजय के बाद इस क्षेत्र में कला व संस्कृति का चहुंमुखी विकास हुआ। “सभ्यता का संक्षिप्त इतिहास” (A Short History of Civlization) नामक किताब के लेखक हेनरी लूकस के अनुसार स्पेन में मुसलमानों की उपलब्धियों का यूरोप की संस्कृति में अत्यधिक महत्व है। मुसलमानों के लिए स्पेन के दरवाज़े खुलने के बाद, मुस्लिम शासकों ने इस क्षेत्र को इस्लामी संस्कृति, शिक्षा व विचारों से अवगत कराया। इस्लामी मान्यताओं व संस्कारों को स्वीकार करते ही लोगों के जीवन में बड़ी तेज़ी से बदलाव आने लगा। इस प्रकार से कि इस क्षेत्र के कोरडोबा, टोलेडो और ग्रेनेडा जैसे शहर विज्ञान, संस्कृति व कला के विकास के केंद्रों में बदल गए और इन क्षेत्रों से इस्लामी शिक्षाएं यूरोप के अन्य ईसाई क्षेत्रों विशेष कर फ़्रान्स और जर्मनी पहुंचने लगीं।

 

एंडलुशिया में इस्लाम के आगमन के बाद जो वैज्ञानिक आंदोलन उत्पन्न हुआ उसने लोगों की योग्यताओं व क्षमताओं को निखार कर इब्ने रुश्द, इब्ने अरबी, इब्ने सैयद बतलमयूसी, हैयान बिन ख़लफ़ क़ुरतुबी, अब्दुल हमीद बिन उन्दुलुसी और इसी तरह के अनेक विद्वान अपनी यादगार के रूप में छोड़े। क़ुरतुबा या कोरडोबा के केंद्रीय पुस्तकालय में चार लाख किताबें थीं जबकि बारहवीं शताब्दी ईसवी से पहले तक ईसाई यूरोप के बड़े से बड़े पुस्तकालय में कुछ सौ से अधिक किताबें नहीं थीं।

इस्लाम, एंडलुशिया में प्रगति, विकास, सामाजिक व्यवस्थ के गठन और इस क्षेत्र के फलने फूलने का कारण बना। इसी लिए शहरों ने क्षेत्रफल, सार्वजनिक कोषों और संपर्क संबंधी मामलों में बड़ी तेज़ी से प्रगति हुई। विभिन्न उद्योगों में आर्थिक गतिविधियों में विस्तार के चलते बुनाई और कपड़े की तैयारी जैसे क्षेत्रों में विशेष रूप से ज़बरदस्त तरक़्क़ी हुई। ग्रेनेडा के कपड़ा उद्योग की इतनी ख्याति थी कि वहां के कपड़े यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों में निर्यात होते थे। उच्च गुणवत्ता और रोचक विविधता के इन कपड़ों के यूरोपीय मंडियों में पहुंचने के कारण इस महाद्वीप के ईसाई लोगों का पहनावा, मुस्लिम समाजों से मिलता जुलता हो गया। अब्बास बिन फ़रनास वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पत्थर से शीशा तैयार किया। कोरडोबा के रहने वाले अब्बास बिन फ़रनास ने नवीं शताब्दी हिजरी में ऐनक बनाई और इसी तरह एक जटिल मैकेनिज़्म के साथ थर्मामीटर तैयार किया। उन्होंन इसी तरह एक उड़ने वाली मशीन का भी आविष्कार किया था।

मुसलमानों ने खेती की नई शैली अरब से यूरोप स्थानांतरित करके इस क्षेत्र के ग्रामीण जीवन को बदल दिया। मुहम्मद बिन अव्वाम ने कृषी संबंधी अपनी किताब में लगभग छः सौ वनस्पतियों की समीक्षा की है। इस किताब का मूल्य उन नए विचारों के कारण है जो उन्होंने विभिन्न प्रकार की मिट्टियों, खादों, जोड़ों, वनस्पतियों की बीमारियों और उनके उपचार और फलों की देखभाल की शैली विशेष कर उन्हें डिब्बाबंद करने के तरीक़ों के बारे में पेश किए हैं।

इसके अलावा यूरोप वालों ने कृषि विकास और खेती की शैलियों के बारे में एंडलुशिया के मुसलमानों के नए नए तरीक़ों से बहुत लाभ उठाया और कपास व केसर जैसी वनस्पतियों की खेती मुस्लिम क्षेत्रों से यूरोप तक पहुंच गई और वहां प्रचलित हुई। खेती में विकास ने व्यापार पर भी बड़ा सकारात्मक प्रभाव डाला और मालागा और अलमेरिया की बंदरगाहें व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात के भीड़-भाड़ वाले केंद्रों में परिवर्तित हो गईं। स्पेन में बनी हुई वस्तुएं, यूरोप के अन्य क्षेत्रों तक निर्यात होती थी बल्कि एंडलुशिया की बनी हुई कुछ चीज़ें तो मक्के, बग़दाद और दमिश्क़ तक के बाज़ारों में दिखाई देती थीं।

 

एंडलुशिया में ऊंची ऊंची इमारतें भी मुसलमानों की कला और योग्यताओं का मुंह बोलता प्रमाण हैं। बड़े बड़े स्तंभ, मीनार, गुंबद और चूने के सुंदर काम एंडलुशिया के मुसलमानों की बेजोड़ वास्तुकला का पता देते हैं। कोरडोबा की जामा मस्जिद उस काल की अहम इमारतों में से एक है। अलबत्ता इस पवित्र स्थल के कुछ भाग, एंडलुशिया के मुसलमानों पर ईसाइयों की विजय के बाद ध्वस्त कर दिए गए ताकि वहां पर एक बड़ा चर्च बनाया जाए लेकिन इसका एक बड़ा भाग अब भी उसी तरह बाक़ी है जिस तरह नवीं शताब्दी ईसवी में था।

जर्मनी की एक प्रख्यात खोजकर्ता सिगरिड हुनके ने अपनी किताब में लिखा है कि स्पेन इस्लामी कला का चरम तक पहुंचने का एक उत्तम नमूना है। अगर संसार में कोई विकास था तो वह एंडलुशिया में व्यवहारिक हुआ। सबसे समृद्ध प्रगति और उच्चतम विकास ठीक उसी स्थान पर हुआ जहां कभी कोई अहम स्थानीय सभ्यता परवान नहीं चढ़ी थी। हुनके इसी तरह लिखती हैं कि कोरडोबा में एक बड़ा चर्च था जिसमें ईसाइयों को उपासना की पूरी स्वतंत्रता हासिल थी जबकि मुसलमान विजेताओं ने अपने लिए शहर के आस-पास साधारण सी मस्जिदें बनाई थीं। जब कोरडोबा की आबादी बढ़ने लगी तो इस शहर में एक बड़ी मस्जिद का निर्माण आवश्यक हो गया जो प्रशासनिक मामलों का केंद्र हो। इस आधार पर तत्कालीन शासक अब्दुर्रहमान ने ईसाइयों से चर्च ख़रीद लिया और उसे एक बड़ी मस्जिद में बदल दिया।

जो कुछ अब तक कहा गया वह हरित महाद्वीप यूरोप में महान इस्लामी सभ्यता के उदय व विकास का एक छोटा सा भाग था। इस बीच एक अहम और ध्यान योग्य बिंदु यह है कि इस्लामी एंडलुशिया अपने भरपूर वैभव के साथ आठ सौ साल बाद भ्रष्टाचार और निरंकुशता के फैलने और मुसलमानों के विचारों व आस्थाओं के तबाह होने के कारण पूरी तरह तबाह हो गया। एक यूरोपीय देश में इस्लामी सभ्यता के उदय और पतन के आज के मुसलमानों के लिए अनेक पाठ हैं। ईरान के महान विचारक शहीद मुतह्हरी इस बारे में कहते हैं। मानव इतिहास यह दर्शाता है कि जब भी अत्याचारी शासक किसी समाज पर अत्याचार करना चाहते हैं, समाज में भ्रष्टाचार फैलाना चाहते हैं तो उनका अंत तबाही के अलावा कुछ नहीं होता, इसका स्पष्ट उदाहरण मुसलमान स्पेन है। ईसाइयों ने यही काम किया और उन्होंने स्पने को मुसलमानों के हाथों से निकालने के लिए उनके बीच निरंकुशता और बुराइयां फैला दीं जिसके बाद मुसलमानों का संकल्प, ईमान और पवित्र आत्मा कमज़ोर पड़ गई और उनका शासन समाप्त हो गया। (HN)