क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-689
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-689
فَلَمَّا جَاءَ سُلَيْمَانَ قَالَ أَتُمِدُّونَنِ بِمَالٍ فَمَا آَتَانِيَ اللَّهُ خَيْرٌ مِمَّا آَتَاكُمْ بَلْ أَنْتُمْ بِهَدِيَّتِكُمْ تَفْرَحُونَ (36) ارْجِعْ إِلَيْهِمْ فَلَنَأْتِيَنَّهُمْ بِجُنُودٍ لَا قِبَلَ لَهُمْ بِهَا وَلَنُخْرِجَنَّهُمْ مِنْهَا أَذِلَّةً وَهُمْ صَاغِرُونَ (37)
तो जब (सबा देश की रानी का दूत) सुलैमान के पास पहुँचा तो उन्होंने कहा, क्या तुम (तुच्छ) माल से मेरी सहायता करोगे?, तो जो कुछ अल्लाह ने (पैग़म्बरी, सत्ता और धन के रूप में) मुझे दिया है उससे वह उत्तम है, जो उसने तुम्हें दिया है। (मैं तुम्हारे उपहार से प्रसन्न नहीं हूं) बल्कि तुम्हीं (लोग) हो जो अपने उपहार से प्रसन्न हो रहे हो। (27:36) (हे दूत!) उनके पास वापस जाओ कि निश्चय ही हम उन की ओर ऐसी सेनाएँ लेकर आएँगे जिनका मुक़ाबला वे नहीं कर सकते और हम अवश्य ही उन्हें अपमानित करके इस प्रकार वहाँ से निकाल देंगे कि वे पस्त होकर रह जाएंगे। (27:37)
قَالَ يَا أَيُّهَا الْمَلَأُ أَيُّكُمْ يَأْتِينِي بِعَرْشِهَا قَبْلَ أَنْ يَأْتُونِي مُسْلِمِينَ (38)
(सुलैमान ने) कहा, हे सरदारो! तुममें से कौन उसका सिंहासन लेकर मेरे पास आता है, इससे पहले कि वे लोग आज्ञाकारी होकर मेरे पास आएँ? (27:38)
قَالَ عِفْريتٌ مِنَ الْجِنِّ أَنَا آَتِيكَ بِهِ قَبْلَ أَنْ تَقُومَ مِنْ مَقَامِكَ وَإِنِّي عَلَيْهِ لَقَوِيٌّ أَمِينٌ (39) قَالَ الَّذِي عِنْدَهُ عِلْمٌ مِنَ الْكِتَابِ أَنَا آَتِيكَ بِهِ قَبْلَ أَنْ يَرْتَدَّ إِلَيْكَ طَرْفُكَ فَلَمَّا رَآَهُ مُسْتَقِرًّا عِنْدَهُ قَالَ هَذَا مِنْ فَضْلِ رَبِّي لِيَبْلُوَنِي أَأَشْكُرُ أَمْ أَكْفُرُ وَمَنْ شَكَرَ فَإِنَّمَا يَشْكُرُ لِنَفْسِهِ وَمَنْ كَفَرَ فَإِنَّ رَبِّي غَنِيٌّ كَرِيمٌ (40)
जिन्नों में से एक अत्यंत शक्तिशाली जिन्न ने कहा, मैं उसे आपके पास ले आऊँगा इससे पहले कि आप अपने स्थान से उठें और निश्चय ही मैं इसे काम में सशक्त और अमानतदार हूँ। (27:39) एक व्यक्ति ने जिसके पास (ईश्वरीय) किताब का कुछ ज्ञान था, कहा, "मैं उस सिंहासन को आपके पलक झपकने से पहले आपके पास ले आऊंगा। फिर जब सुलैमान ने उस (सिंहासन) को अपने पास रखा हुआ देखा तो कहा, यह मेरे पालनहार की कृपा है ताकि मेरी परीक्षा ले कि मैं कृतज्ञ रहता हूँ या कृतघ्न बनता हूँ। जो कृतज्ञता दिखाता है तो वह अपने लिए ही कृतज्ञता दिखाता है और जो कृतघ्नता दिखाता है (तो अपने ही अहित में क़दम बढ़ाता है क्योंकि) मेरा पालनहार तो निश्चय ही आवश्यकतामुक्त और बड़ा उदार है। (27:40)