क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-690
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-690
قَالَ نَكِّرُوا لَهَا عَرْشَهَا نَنْظُرْ أَتَهْتَدِي أَمْ تَكُونُ مِنَ الَّذِينَ لَا يَهْتَدُونَ (41) فَلَمَّا جَاءَتْ قِيلَ أَهَكَذَا عَرْشُكِ قَالَتْ كَأَنَّهُ هُوَ وَأُوتِينَا الْعِلْمَ مِنْ قَبْلِهَا وَكُنَّا مُسْلِمِينَ (42) وَصَدَّهَا مَا كَانَتْ تَعْبُدُ مِنْ دُونِ اللَّهِ إِنَّهَا كَانَتْ مِنْ قَوْمٍ كَافِرِينَ (43)
सुलैमान ने कहा, उसके लिए उसके सिंहासन का रूप बदल दो। देखते हैं कि वह (वास्तविकता को) समझ लेती है या उन लोगों में से है जो नहीं समझ पाते। (27:41) तो जब वह आई तो कहा गया, क्या तुम्हारा सिंहासन ऐसा ही है? उसने कहा, यह तो मानो वही है और हमें तो इससे पहले ही (सुलैमान की सच्चाई का) ज्ञान दिया चुका था; और हम आज्ञाकारी हो गए थे। (27:42) और उसे (ईमान लाने से) जिस चीज़ ने रोक रखा था वह उन चीज़ों की उपासना थी जिन्हें वह ईश्वर के अतिरिक्त पूजती थी कि निःसंदेह वह एक काफ़िर जाति में से थी (मगर वह कुफ़्र के बाद ईमान ले आई)। (27:43)
قِيلَ لَهَا ادْخُلِي الصَّرْحَ فَلَمَّا رَأَتْهُ حَسِبَتْهُ لُجَّةً وَكَشَفَتْ عَنْ سَاقَيْهَا قَالَ إِنَّهُ صَرْحٌ مُمَرَّدٌ مِنْ قَوَارِيرَ قَالَتْ رَبِّ إِنِّي ظَلَمْتُ نَفْسِي وَأَسْلَمْتُ مَعَ سُلَيْمَانَ لِلَّهِ رَبِّ الْعَالَمِينَ (44)
उससे कहा गयाः महल में प्रवेश करो। तो जब उसने उसे देखा तो उसे पानी का तालाब समझा और (भीगने से बचने के लिए) अपनी दोनों पिंडलियों तक पाइंचे उठा लिए। सुलैमान ने कहा, (यह पानी नहीं बल्कि) शीशे से निर्मित महल (का फ़र्श) है। उसने कहाः हे मेरे पालनहार! निश्चय ही मैंने अपने आप पर अत्याचार किया और अब मैं सुलैमान के साथ ईश्वर के लिये नतमस्तक होती हूं जो सारे संसार का पालनहार है। (27:44)