क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-698
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-698
وَإِذَا وَقَعَ الْقَوْلُ عَلَيْهِمْ أَخْرَجْنَا لَهُمْ دَابَّةً مِنَ الْأَرْضِ تُكَلِّمُهُمْ أَنَّ النَّاسَ كَانُوا بِآَيَاتِنَا لَا يُوقِنُونَ (82) وَيَوْمَ نَحْشُرُ مِنْ كُلِّ أُمَّةٍ فَوْجًا مِمَّنْ يُكَذِّبُ بِآَيَاتِنَا فَهُمْ يُوزَعُونَ (83)
और जब (प्रलय के निकट) उनके लिए (दंड की) बात निश्चित हो जाएगी तो हम उनके लिए धरती से एक जीव सामने लाएँगे जो उनसे बातें करेगा कि लोग हमारी आयतों पर विश्वास नहीं करते थे। (27:82) और जिस दिन हम प्रत्येक समुदाय में से, ऐसे लोगों का एक गुट, जो हमारी आयतों को झुठलाते हैं, एकत्र करेंगे। फिर उन्हें (इकट्ठा चलने के लिए) रोक दिया जाएगा। (27:83)
حَتَّى إِذَا جَاءُوا قَالَ أَكَذَّبْتُمْ بِآَيَاتِي وَلَمْ تُحِيطُوا بِهَا عِلْمًا أَمْ مَاذَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ (84) وَوَقَعَ الْقَوْلُ عَلَيْهِمْ بِمَا ظَلَمُوا فَهُمْ لَا يَنْطِقُونَ (85)
यहाँ तक कि जब वे (हिसाब के कटघरे में) आ जाएँगे तो ईश्वर कहेगा, क्या तुमने मेरी आयतों को झुठलाया, जबकि तुम्हें उनके बारे में संपूर्ण ज्ञान नहीं था या फिर तुम (जीवन भर) क्या कर रहते थे? (27:84) और उन्होंने जो अत्याचार किया है उसके कारण उनके विरुद्ध (दंड की) बात निर्धारित कर दी गई तो वे कुछ बोल नहीं सकेंगे। (27:85)