Oct ०७, २०१८ १३:०९ Asia/Kolkata

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अमरीका में अपनी सरकार के 21 महीनों के दौरान, फिलिस्तीनियों के खिलाफ कार्यवाहियों में तेज़ी पैदा की है।

हमने इस्राईल के घटक के रूप में फिलिस्तीनियों के खिलाफ ट्रम्प सरकार के कुछ क़दमों का उल्लेख किया था और बताया था कि ट्रम्प की सरकार ने फिलिस्तीनी प्रशासन, फिलिस्तीनियों और फिलिस्तीनी संस्थाओं के खिलाफ क्या क्या किया है। हालिया महीनों में फिलिस्तीनियों के खिलाफ ट्रम्प के क़दमों में से एक अमरीका में पीएलओ के कार्यालय को बंद किया जाना है। फिलिस्तीनी  प्रशासन के इस कार्यालय को सितम्बर के महीने में बंद किया गया। ट्रम्प सरकार का दावा है कि फिलिस्तीनी, ट्रम्प की डील आफ द सेन्चुरी के लिए ज़रूरी सहयोग नहीं कर रहे हैं। अमरीका ने कहा है कि फिलिस्तीनी नेता, इस्राईल के साथ सार्थक वार्ता की कोई कोशिश नहीं कर रहे हैं। अमरीकी विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने इस संदर्भ में दावा किया है  कि पीएलओ ने अमरीका की शांति योजना में सहयोग नहीं किया है।

 

 

  अमरीकी विदेशमंत्रालय का संकेत तथाकथित  सेंचुरी डील की ओर है जिसे अमरीका  इस्राईल के हितों की रक्षा और फिलिस्तीनियों के अधिकारों के हनन के लिए  पूरी तरह से लागू करने का प्रयास कर रहा है। फिलिस्तीनी नेता अमरीका के इस क़दम को घातक और तनाव पैदा करने वाला बता रहे हैं। इसी तरह अमरीका ने पहले ही फिलिस्तीनियों को चेतावनी दी थी कि अगर वह इस्राईल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत में मुक़द्दमा दायर करेंगे तो वह पीएलओ के कार्यालय को बंद कर देंगे। इस क़दम की प्रतिक्रिया में वाशिंग्टन में पीएलओ के कार्यालय के प्रमुख हुसाम ज़ेमलत ने फिलिस्तीन संकट के बारे में अमरीकी नीतियों की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया में अपनी एक पोस्ट में ट्रम्प सरकार की नीतियों को बदले की कार्यवाही और खेदजनक कहा था। उन्होंने अमरीकी सरकार के दबावों का उल्लेख करते हुए कहा है कि अमरीकी सरकार की नीतियों में फिलिस्तीन के बारे में दो विकल्प से अधिक कुछ नहीं होता , एक यह कि या तो वह एक राष्ट्र के रूप में अपने अधिकारों से पीछे हट जाएं या फिर अमरीका के साथ संबंध विच्छेद को स्वीकार करें और फिलिस्तीनियों ने अपने राष्ट्रीय अधिकारों का चयन किया।

 

वाशिंग्टन में पीएलओ के कार्यालय को बंद किया जाना , फिलिस्तीनियों के खिलाफ वाशिंग्टन की उसी नीति का क्रम है जिसके तहत ट्रम्प सरकार ने हालिया महीनों में अमरीकी दूतावास को तेलअबीब से बैतुलमुक़द्दस स्थानांरित किया और फिलिस्तीनियों की आर्थिक सहायता बंद कर दी। फिलिस्तीनी, इस्राईल के खिलाफ युद्ध अपराध का मुक़द्दमा चलाए जाने का प्रयास कर रहे हैं पेलिस्टीनियन लिब्रेशन आर्गनाइज़ेशन पीएलओ  के कार्यालय  ने सन 1994 से वाशिंग्टन में काम आरंभ किया था। वास्तव में पीएलओ को अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मंचों पर फिलिस्तीनियों का प्रतिनिधि समझा जाता है। सन 1974 से पीएलओ संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य भी है।

 

वाशिंग्टन में पीएलओ के कार्यालय को बंद  किये जाने के बाद, अमरीका की ओर  से हमेशा से जारी रहने वाला इस्राईल का समर्थन नये चरण में प्रविष्ट हो गया। इस संदर्भ में आगे बढ़ते हुए अमरीकी सरकार ने फिलिस्तीनी राजदूत को देश से निष्कासित कर दिया हालांकि उनके और उनके परिजनों के पास सन 2020 तक का वीज़ा भी मौजूद था। अमरीकी अधिकारियों ने फिलिस्तीनी राजदूत हिसाम ज़ेमलत और उनके परिजनों का वीज़ा रद्द कर दिया और उन्हें तत्काल अमरीका से निकल जाने का आदेश दिया। पीएलओ की कार्यकारिणी समिति की सदस्य, हन्नान अशरावी ने अमरीका के इस क़दम को बदले की कार्यवाही और फिलिस्तीनी नेताओं अधिकारियों और महिलाओं व बच्चों के प्रति अमरीकी सरकार के द्वेष का चिन्ह बताया।

 

 अमरीकी सरकार ने 10 सितम्बर को वाशिंग्टन में फिलिस्तीन के कूटनीतिक कार्यालय के बंद होने की औपचारिक रूप से घोषणा की और इसके लिए यह बहाना पेश किया कि फिलिस्तीनी इस्राईल से सीधी वार्ता करने पर तैयार नहीं हो रहे हैं। अमरीकी राष्ट्रपति के सुरक्षा सलाहकार जॅान बोल्टन ने कहा कि जब तक फिलिस्तीनी, इस्राईल के साथ वार्ता की मेज़ पर बैठ नहीं जाते तब तक अमरीका में पीएलओ का कार्यालय बंद रहेगा। फिलिस्तीनी प्रशासन के विदेशमंत्री रियाज़ अलमालेकी ने अमरीका में पीएलओ के कार्यालय को बंद किये जाने पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए कहा कि इस क़दम से एक बार फिर यह साबित हो गया कि वाशिंग्टन पूरी दुनिया में इस्राईली हितों का रक्षक है।

 

इसके साथ ही अमरीका ने एक और क़दम उठाते हुए फिलिस्तीनियों को दी जाने वाली वह आर्थिक मदद जिसे शांति पर खर्चा करना था, इस्राईल को दे दी। इस प्रकार से इस एक करोड़ डॅालर को अगर जोड़ा जाए तो कुल मिलाकर अमरीका ने फिलिस्तीनियों को मिलने वाली 50 करोड़ डॅालर की मदद रोक दी है। इस बारे में एक जानकार सूत्र ने बताया कि सांठ गांठ के लिए फिलिस्तीनियों को दी जाने वाली आर्थिक मदद अब के बाद से अवैध अधिकृत फिलिस्तीन में रहने वाले यहूदियों और अरबों को मिलेगी।  इसी तरह अमरीका ने कुल मिला कर पश्चिमी तट और गज़्जा पट्टी को मिलने वाली 20 करोड़ डालर की राशि को अन्य क्षेत्रों से विशेष कर दिया है। न्यूयार्क टाइम्ज़ के अनुसार शांति योजना को आगे बढ़ाने के लिए फिलिस्तीनियों को मिलने वाली मदद, आखिरी मदद थी। इससे पहले भी अमरीका ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों की मदद करने वाली संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था की आर्थिक मदद भी रोक दी थी।  यूएनआरडब्ल्यूए को सन 1949 में  जार्डन, सीरिया, लेबनान, पश्चिमी तट और गज़्ज़ा में रहने वाले फिलिस्तीनी शरणार्थियों की सहायता के लिए बनाया गया था।

 

वास्तव में अमरीका के इन सारे दबावों लक्ष्य , फिलिस्तीनियों को डील आफ द सेन्चुरी नामक अमरीकी सरकार की योजना को स्वीकार करने पर मजबूर करना है। यह अमरीका और इस्राईल की संयुक्त साज़िश है। यह ऐसी हालत में है कि इस्राईल न केवल यह कि हर रोज़ नये नये अपराध कर रहा है बल्कि उन्हें उनके मूल अधिकारों से भी वंचित कर रखा है यही नहीं उन्हें अपने पैतृक घरों में भी रहने की अनुमति नहीं है और उन्हें उनके घरों से बाहर निकाला जा रहा है इसका हालिया उदाहरण अतिग्रहित पश्चिमी तट के खानुलअहमर गांव से फिलिस्तीनियों का निष्कासन है जिस पर विश्व समुदाय और विशेष कर युरोपीय संघ ने कड़ी प्रतिक्रिया प्रकट की है लेकिन ट्रम्प सरकार की ओर से इस्राईल का भरपूर समर्थन यथावत जारी है और यही नहीं ट्रम्प सरकार तो इस्राईल के अपराधों का समर्थन करने में भी संकोच नहीं करती और गज़्ज़ा पट्टी में निहत्थे फिलिस्तीनियों की हत्या को इस्राईल की आत्मरक्षा कहती है जबकि अंतरराष्ट्रीय संगठन उसे युद्ध अपराध की संज्ञा देते हैं।

 

अमरीका की ओर से इस्राईल के व्यापक समर्थन के बावजूद इस समय इस्राईल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का पात्र बना हुआ है और विश्व स्तर पर उसकी आलोचना की जा रही है लेकिन ट्रम्प सरकार इस्राईल का यथावत समर्थन कर रही है इसी लिए अब यह तक कहा जाने लगा है कि ट्रम्प ज़ायोनियों से अधिक ज़ायोनी हैं। वास्तव में ट्रम्प ने फिलिस्तीनियों के खिलाफ कुछ ऐसे काम किये जिस पर इस्राईली अधिकारी तक चिंतित हो गये। अलबत्ता उनकी चिंता का कारण यह नहीं है कि उन्हें फिलिस्तीनियों की आर्थिक सहायता बंद किये जाने की वजह से फिलिस्तीनियों की दशा के बारे में दुख हो रहा है बल्कि उन्हें चिंता इस बात की है कि जिस तरह से ट्रम्प फिलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ समस्याएं उत्पन्न कर रहे हैं और उनकी आर्थिक सहायता बंद कर रहे हैं उससे कहीं हमास जैसे फिलिस्तीनी संगठनों की लोकप्रियता बढ़ न जाए जिन्होंने इस्राईल के साथ शांति वार्ता और अमरीकी सरकार की योजनाओं का सदा विरोध किया है।

 

कहते हैं कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ ट्रम्प की अधिकतर कार्यवाहियां, उनके दामाद जेयर्ड कुशनर की इच्छा पर की गयी हैं जिन्होंने फिलिस्तीनियों के खिलाफ ट्रम्प सरकार के रुख में प्रभावी भूमिका निभाई है। फारेन पालीसी इस संदर्भ में लिखती हैः  अमरीकी राष्ट्रपति के वरिष्ठ सलाहकार और उनके दामाद जेयर्ड कुशनर ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों की सहायता करने वाले संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन यूएनआरडब्ल्यूए को कमज़ोर करने के लिए स्पष्ट रूप से व्यापक कोशिश की है ताकि लाखों शरणार्थी फिलिस्तीनियों की स्थिति बदल जाए। बहरहाल यह निश्चित है कि अमरीकी सरकार, अपना दूतावास बैतुलमुक़द्दस स्थानांरित करने, फिलिस्तीनियों की आर्थिक सहायता बंद करने और फिलिस्तीनी राजदूत को देश से निकाल कर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में इस्राईल की आलोचना के क्रम को रोकने में सफल नहीं हो पायी और यह भी निश्चित है कि अमरीकी सरकार जितना अधिक इस्राईल का समर्थन करेगी, ज़ायोनी शासन विश्व स्तर पर उतना ही अलग - थलग पड़ता जाएगा। (Q.A.)

 

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