क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-704
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-704
وَلَمَّا بَلَغَ أَشُدَّهُ وَاسْتَوَى آَتَيْنَاهُ حُكْمًا وَعِلْمًا وَكَذَلِكَ نَجْزِي الْمُحْسِنِينَ (14)
और जब मूसा अपनी (मानसिक व शारीरिक) परिपूर्णता को पहुँचे तो हमने उन्हें तत्वदर्शिता व ज्ञान प्रदान किया और अच्छे कर्म करने वालों को हम इसी प्रकार प्रतिफल देते है (28:14)
وَدَخَلَ الْمَدِينَةَ عَلَى حِينِ غَفْلَةٍ مِنْ أَهْلِهَا فَوَجَدَ فِيهَا رَجُلَيْنِ يَقْتَتِلَانِ هَذَا مِنْ شِيعَتِهِ وَهَذَا مِنْ عَدُوِّهِ فَاسْتَغَاثَهُ الَّذِي مِنْ شِيعَتِهِ عَلَى الَّذِي مِنْ عَدُوِّهِ فَوَكَزَهُ مُوسَى فَقَضَى عَلَيْهِ قَالَ هَذَا مِنْ عَمَلِ الشَّيْطَانِ إِنَّهُ عَدُوٌّ مُضِلٌّ مُبِينٌ (15)
और उसने नगर में ऐसे समय प्रवेश किया जबकि वहाँ के लोग (उनके प्रवेश और नगर की घटनाओं से) अनभिज्ञ थे। तो उन्होंने वहाँ दो लोगों को लड़ते देखा। एक उनका अनुसरणकर्ता था और दूसरा उनके शत्रुओं में से था। तो जो उनके अनुसरणकर्ताओं में से था उसने उसके मुक़ाबले में जो उनके शत्रुओं में से था, सहायता के लिए उन्हें पुकारा तो मूसा ने उसे घूँसा मारा और उसका काम तमाम कर दिया। मूसा ने (अपने आपसे) कहा यह (लड़ाई-झगड़ा) शैतान का काम है, निश्चय ही वह खुला पथभ्रष्ट करने वाला शत्रु है। (28:15)
قَالَ رَبِّ إِنِّي ظَلَمْتُ نَفْسِي فَاغْفِرْ لِي فَغَفَرَ لَهُ إِنَّهُ هُوَ الْغَفُورُ الرَّحِيمُ (16) قَالَ رَبِّ بِمَا أَنْعَمْتَ عَلَيَّ فَلَنْ أَكُونَ ظَهِيرًا لِلْمُجْرِمِينَ (17)
मूसा ने कहा हे मेरे पालनहार! मैंने अपने आप पर अत्याचार किया। अतः तू मुझे क्षमा कर दे। तो ईश्वर ने उन्हें क्षमा कर दिया। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील व अत्यन्त दयावान है। (28:16) उन्होंने कहा हे मेरे पालनहार! तूने मुझे जो अनुकम्पा प्रदान की है, उसके लिए मैं कभी अपराधियों का सहायक नहीं बनूँगा। (28:17)