क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-705
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-705
فَأَصْبَحَ فِي الْمَدِينَةِ خَائِفًا يَتَرَقَّبُ فَإِذَا الَّذِي اسْتَنْصَرَهُ بِالْأَمْسِ يَسْتَصْرِخُهُ قَالَ لَهُ مُوسَى إِنَّكَ لَغَوِيٌّ مُبِينٌ (18) فَلَمَّا أَنْ أَرَادَ أَنْ يَبْطِشَ بِالَّذِي هُوَ عَدُوٌّ لَهُمَا قَالَ يَا مُوسَى أَتُرِيدُ أَنْ تَقْتُلَنِي كَمَا قَتَلْتَ نَفْسًا بِالْأَمْسِ إِنْ تُرِيدُ إِلَّا أَنْ تَكُونَ جَبَّارًا فِي الْأَرْضِ وَمَا تُرِيدُ أَنْ تَكُونَ مِنَ الْمُصْلِحِينَ (19)
फिर उसके बाद मूसा नगर में डरते हुए और चिंतित प्रविष्ट हुए तो अचानक (देखा कि) वही व्यक्ति जिसने कल उनसे मदद मांगी थी, फिर उन्हें मदद के लिए पुकार रहा है। मूसा ने उससे कहा निश्चय ही तू स्पष्ट रूप से बहका हुआ व्यक्ति है। (28:18) फिर जब उन्होंने उस व्यक्ति को पकड़ने का इरादा किया जो उन दोनों का शत्रु था, तो वह बोल उठा, हे मूसा! क्या तुम मुझे (भी) मार डालना चाहते हो जिस प्रकार तुमने कल एक व्यक्ति को मार डाला था? तुम इस देश में बस निर्दयी व अत्याचारी बनकर रहना चाहते हो और सुधार करने वालों में शामिल नहीं होना चाहते। (28:19)
وَجَاءَ رَجُلٌ مِنْ أَقْصَى الْمَدِينَةِ يَسْعَى قَالَ يَا مُوسَى إِنَّ الْمَلَأَ يَأْتَمِرُونَ بِكَ لِيَقْتُلُوكَ فَاخْرُجْ إِنِّي لَكَ مِنَ النَّاصِحِينَ (20) فَخَرَجَ مِنْهَا خَائِفًا يَتَرَقَّبُ قَالَ رَبِّ نَجِّنِي مِنَ الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ (21)
और (उसी समय) एक आदमी नगर के अंतिम छोर से दौड़ता हुआ आया और कहने लगाः हे मूसा! (फ़िरऔन के) सरदार आपके बारे में परामर्श कर रहे हैं कि आपको मार डालें। अतः (तुरंत नगर से) निकल जाइए। मैं आपके हितैषियों में से हूँ। (28:20) तो मूसा वहाँ से डरते और (ईश्वरीय सहायता की) प्रतीक्षा करते हुए निकल खड़े हुए। उन्होंने कहा, हे मेरे पालनहार! मुझे इस अत्याचारी जाति (के लोगों) से मुक्ति दे। (28:21)