क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-708
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-708
فَلَمَّا قَضَى مُوسَى الْأَجَلَ وَسَارَ بِأَهْلِهِ آَنَسَ مِنْ جَانِبِ الطُّورِ نَارًا قَالَ لِأَهْلِهِ امْكُثُوا إِنِّي آَنَسْتُ نَارًا لَعَلِّي آَتِيكُمْ مِنْهَا بِخَبَرٍ أَوْ جَذْوَةٍ مِنَ النَّارِ لَعَلَّكُمْ تَصْطَلُونَ (29)
फिर जब मूसा ने (शुऐब के साथ अपने समझौते की) अवधि पूरी कर दी और अपने परिजनों को लेकर (मिस्र की ओर) चले तो (उन्होंने) तूर पर्वत की ओर एक आग देखी। उन्होंने अपने परिजनों से कहा, यहीं रुक जाओ कि मैंने एक आग देखी है। शायद मैं वहाँ से तुम्हारे लिए कोई ख़बर ले आऊँ या उस आग से कोई अंगारा (ले आऊं) ताकि तुम (उससे आग) ताप सको। (28:29)
فَلَمَّا أَتَاهَا نُودِيَ مِنْ شَاطِئِ الْوَادِ الْأَيْمَنِ فِي الْبُقْعَةِ الْمُبَارَكَةِ مِنَ الشَّجَرَةِ أَنْ يَا مُوسَى إِنِّي أَنَا اللَّهُ رَبُّ الْعَالَمِينَ (30)
फिर जब वे वहाँ पहुँचे तो उस घाटी के दाहिने किनारे से उस शुभ क्षेत्र में एक वृक्ष (में) से आवाज़ आई, हे मूसा! निश्चय ही मैं ही अल्लाह और सारे संसार का पालनहार हूँ।(28:30)
وَأَنْ أَلْقِ عَصَاكَ فَلَمَّا رَآَهَا تَهْتَزُّ كَأَنَّهَا جَانٌّ وَلَّى مُدْبِرًا وَلَمْ يُعَقِّبْ يَا مُوسَى أَقْبِلْ وَلَا تَخَفْ إِنَّكَ مِنَ الْآَمِنِينَ (31) اسْلُكْ يَدَكَ فِي جَيْبِكَ تَخْرُجْ بَيْضَاءَ مِنْ غَيْرِ سُوءٍ وَاضْمُمْ إِلَيْكَ جَنَاحَكَ مِنَ الرَّهْبِ فَذَانِكَ بُرْهَانَانِ مِنْ رَبِّكَ إِلَى فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ إِنَّهُمْ كَانُوا قَوْمًا فَاسِقِينَ (32)
और (हे मूसा!) अपनी लाठी (ज़मीन पर) फेंक दो। फिर जब उन्होंने देखा कि वह बड़ी तेज़ी से बल खा रही है जैसे कोई साँप हो तो वह पीठ फेरकर वहां से चले गए और पीछे मुड़कर भी न देखा। (आवाज़ आई) हे मूसा! आगे बढ़ो और भय न करो। कि निश्चय ही तुम सुरक्षित लोगों में से हो (28:31) अपना हाथ अपने गरेबान में डालो तो वह बिना किसी ख़राबी के चमकता हुआ निकलेगा। और भय से बचने के लिए अपने बाज़ुओं को जोड़े रखो। तो ये दो निशानियाँ आपके पालनहार की ओर से हैं फ़िरऔन और उसके दरबारियों के पास लेकर जाने के लिए। निश्चय ही वे बड़े अवज्ञाकारी लोग हैं। (28:32)