क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-709
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-709
قَالَ رَبِّ إِنِّي قَتَلْتُ مِنْهُمْ نَفْسًا فَأَخَافُ أَنْ يَقْتُلُونِ (33) وَأَخِي هَارُونُ هُوَ أَفْصَحُ مِنِّي لِسَانًا فَأَرْسِلْهُ مَعِيَ رِدْءًا يُصَدِّقُنِي إِنِّي أَخَافُ أَنْ يُكَذِّبُونِ (34)
मूसा ने कहा, हे मेरे पालनहार! मेरे हाथों उनके एक आदमी की हत्या हो गई है। तो मुझे डर है कि वे मेरी हत्या कर देंगे। (28:33) और मेरे भाई हारून की ज़बान मुझसे अधिक धाराप्रवाह है। तो उन्हें मेरे साथ भेज ताकि वे मेरे सहायक रहें और मेरी पुष्टि करें क्योंकि मुझे भय है कि वे मुझे झुठला देंगे। (28:34)
قَالَ سَنَشُدُّ عَضُدَكَ بِأَخِيكَ وَنَجْعَلُ لَكُمَا سُلْطَانًا فَلَا يَصِلُونَ إِلَيْكُمَا بِآَيَاتِنَا أَنْتُمَا وَمَنِ اتَّبَعَكُمَا الْغَالِبُونَ (35)
ईश्वर ने कहा, (हे मूसा! चिंतित न हो कि) हम तुम्हारे भाई के माध्यम से तुम्हारी बाज़ू मज़बूत करे देंगे और तुम दोनों को एक शक्ति प्रदान करेंगे। तो फिर हमारी आयतों और निशानियों की विभूति से वे तुम तक न पहुँच सकेंगे। तुम दोनों और जो तुम्हारे अनुयायी होंगे वही विजयी होंगे। (28:35)
فَلَمَّا جَاءَهُمْ مُوسَى بِآَيَاتِنَا بَيِّنَاتٍ قَالُوا مَا هَذَا إِلَّا سِحْرٌ مُفْتَرًى وَمَا سَمِعْنَا بِهَذَا فِي آَبَائِنَا الْأَوَّلِينَ (36) وَقَالَ مُوسَى رَبِّي أَعْلَمُ بِمَنْ جَاءَ بِالْهُدَى مِنْ عِنْدِهِ وَمَنْ تَكُونُ لَهُ عَاقِبَةُ الدَّارِ إِنَّهُ لَا يُفْلِحُ الظَّالِمُونَ (37)
तो जब मूसा फ़िरऔन के लोगों के पास हमारी स्पष्ट निशानियाँ लेकर आए तो उन्होंने कहा यह (चमत्कार) तो गढ़े हुए जादू के अतिरिक्त कुछ नहीं है और हमने अपने बाप-दादाओं में तो यह बात कभी सुनी ही नहीं। (28:36) और मूसा ने (उनके उत्तर में) कहा, मेरा पालनहार उस व्यक्ति को भली-भाँति जानता है जो उसके यहाँ से मार्गदर्शन लेकर आया है और उसे भी जिसके लिए (अच्छा) अंत है। निश्चय ही अत्याचारी कभी सफल नहीं होंगे। (28:37)