Jan ०९, २०१९ १६:०६ Asia/Kolkata

पिछले कार्यक्रमों में जिन बाज़ारों के बारे में आपको बताया और उसमें उनकी वास्तुकला की विशेषताओं का वर्णन किया, ये बाज़ार शहरों में स्थित हैं।

चूंकि इन शहरों की विशेष जलवायु है कहीं गर्म, कहीं शुष्क तो कहीं संतुलित, इन्हीं विशेषताओं के दृष्टिगत इन शहरों की वास्तुकला भी है। इस वास्तुकला की मुख्य विशेषता, इसमें ईंट और वेदरप्रूफ़ मसालों का इस्तेमाल है। ईरान के शहरों में प्राचीन बाज़ारों की इमारतों की दीवारें और भीतरी छतें प्रायः मिट्टी, भूसे, ईंट और मज़बूत मसालों की बनी होती हैं। ईरान के बहुत से प्राचीन बाज़ारों में रंगरेज़ अपने उत्पादों को रंगने के बाद छत पर सुखाते थे। इसके अलावा ऐसे साक्ष्य भी हैं जिनसे पता चलता है कि बाज़ार के छतदार भाग का प्रयोग ख़ाली समय बिताने के लिए होता था। फ़ारसी भाषा में पहली भुगोल की किताब हुदूदुल आलम में जो एक हज़ार साल पुरानी है, समरक़न्द उस समय ईरान का भाग था और इस किताब में समरक़न्द के बारे में लिखा हैः "समरक़न्द एक बड़ा शहर है। यह शहर नेमतों से भरा हुआ है। इस समय में पूरी दुनिया से व्यापारी आते हैं। शहर के बाज़ार की छत पर पानी की एक नाली बह रही नहर जारी है जिसके किनारे व्यापारी अपना ख़ाली समय बिताते हैं।"

ईरान में जलवायु में विविधता के मद्देनज़र शहरों की जलवायु भी भिन्न है। उत्तरी ईरान की जलवायु संतुलित व आर्द्र है, जिसकी वजह से इस क्षेत्र की वास्तुकला अन्य क्षेत्रों से भिन्न है। उत्तरी ईरान में कैस्पियन सागर के विशाल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन और हस्तकला उत्पाद पर आधारित है। इस क्षेत्र में गांव अधिक हैं लेकिन इसकी नगरीय संरचना भी आकर्षक है। अतीत से अब तक नाना प्रकार के उत्पाद गावों से इस क्षेत्र के शहर में आकर बिकते हैं।

रश्त उत्तरी ईरान में स्थित शहर है। यह शहर गीलान प्रान्त का केन्द्र है। यह शहर अपनी विशेष वास्तुकला के लिए मशहूर है। इस वास्तुकला के नमूने रश्त शहर के मुख्य छौराहे स्कवाएर, नगरपालिका और पोस्ट आफ़िस की इमारतों और इस शहर की प्राचीन बाज़ार में जगह जगह नज़र आते हैं।

रश्त शहर की इमारतों के ढांचे और उसके भीतरी व बाह्य रूप में लकड़ी की मूल भूमिका है। रश्त शहर में छतें खपरैल की होती हैं।

रश्त शहर का बाज़ार और उसके बग़ल में अस्थायी बाज़ार, इस शहर का महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। इस प्राचीन बाज़ार की संरचना इस तरह की है कि सड़क के दोनों ओर दुकानें बनी हुयी हैं। इस बाज़ार का कुछ भाग क़ाजारी शासन काल में बना है। रश्त बाज़ार का कुछ भाग छतदार और कुछ भागों में बड़े बड़े रौशनदान बने हुए हैं जिससे आने वाली रौशनी की वजह से लगता ही नहीं है कि बाज़ार छतदार है। बाज़ार की छत धातु की और ढलवां होती है। छत की मरम्मत में कहीं कहीं भूसा और मिट्टी के मसाले का इस्तेमाल हुआ है।

ईरान के दूसरे बाज़ारों की तरह रश्त के बाज़ार के दालानों को वस्तुओं व व्यापारिकयों के व्यवसाय के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। इस बाज़ार में उपभोग की वस्तुओं, कपड़ों और घर के इस्तेमाल के सामान के अलावा, स्थानीय वस्तुएं और हस्तकला उत्पाद भी बिकते हैं। लकड़ी की चीज़ों और चटाइयों के साथ साथ, स्थानीय कपड़े, ग्रामीण खाद्य पदार्थ और फल बाज़ार का बहुत ही आकर्षक दृष्य पेश करते हैं। रश्त बाज़ार का एक अहम भाग, मछली मंडी है जहां मछुवारे ताज़ा मछलियां बेचते हैं। दुकानदार चीज़ों को बहुत ही ख़ूबसूरत ढंग से दुकान के बाहर रखते हैं। आम तौर पर दुकान की आधी चीज़ें दुकान के बाहर रखी होती हैं।

रश्त के बाज़ार का गीलान प्रांत की पर्यटन की दृष्टि से रौनक़ बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका है। यह बाज़ार इतना अहम है कि इसे देखे बिना पर्यटन अधूरा है। इस बाज़ार में बिकने वाली चीज़ों की विविधता और बाज़ार के भीतर ऐतिहासिक इमारतों के उपयोग इस व्यापारिक केन्द्र की सफलता का राज़ है। रश्त के बाज़ार में विगत में ईरानी और योरोपीय व्यापारियों के आराम के लिए बनायी गयीं कारवानसराय अब पर्यटकों के आराम व ठहरने के लिए सांस्कृतिक स्थल बन गयी हैं।

रश्त के बाज़ार में पुरानी कारवानसरायों की वास्तुकला देखने योग्य है। इन कारवानसरायों में एक केन्द्रीय हाल के चारों ओर छोटे छोटे कमरे बने हैं जिनकी छत लकड़ी की है। इन कमरों की दीवारों पर प्लास्टर आफ़ पेरिस का काम हुआ है। दीवारों में छोटे छोटे ताक़ बने हुए हैं जिनहें विभिन्न काम के लिए प्रयोग किया जाता है। इन ताक़ों को प्रयोग रंग बिरंगे बिलौरी ग्लास, तांबे की चीज़ों और पुराने ज़माने के रेडियो रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। फ़ारसी भाषा में इस तरह के ताक़ को ताक़चे कहते हैं।

क़ाजारी शासन काल में योरोप के ईरान के व्यापक संबंध की वजह से रश्त का बाज़ार योरोपीय वस्तुओं के क्रय विक्रय का केन्द्र बन गया था। ये वस्तुएं कैस्पियन सागर से गीलान प्रांत की बंदरगाह पहुचंती और फिर वहां से ईरान के बाक़ी क्षेत्र भेजी जाती थीं। व्यापारिक रौनक़ होने की वजह से अन्य देशों के कलाकारों ने इस शहर की ओर रुख़ किया जिनमें रूसी अर्मनी भी शामिल हैं। अतीत में रूसी अर्मनी कलाकारों ने रश्त शहर की संरचना पर गहरी छाप छोड़ी है जिससे इस शहर का बाज़ार भी अछूता नहीं रहा। योरोपीय वास्तुकला का रश्त की इमारतों और बाज़ार पर सीधा प्रभाव पड़ा। जैसा कि कुछ दुकानों के दरवाज़ों या दुकान के भीतर पत्थर और सफ़ेद सीमेंट जैसे मसाले का इस्तेमाल हुआ है। प्रायः ग़ैर ईरानी व आयातित वस्तुएं भी इन दुकानों में बिकती थीं। रश्त के बाज़ार में दुकानों को ज़मीन की सतह से ऊपर चबूतरे पर बनाया गया। ऐसा क़दम उठाने के पीछे ज़मीन में अत्यधिक आर्द्रता और पूरे साल भारी वर्षा मुख्य कारण है।                   

हम आपको मासूले शहर के ऐतिहासिक बाज़ार के बारे में बताने जा रहे हैं। मासूले 8 हेक्टर के क्षेत्रफल पर फैले एक टीले पर बसा है। यह रश्त शहर से लगभग 55 किलोमीटर दूर है। पुरातात्विक खुदाई के दौरान इस इलाक़े से धातु के उपकरण, मिट्टी के बर्तन बरामद हुए जो हज़ार साल पुराने हैं। मासूले समुद्र की सतह से 1800 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस इलाक़े की प्रकृति ज़ेलकोवा, बलूत और ऐल्डर के पेड़ों से ढकी हुयी है।

यह इलाक़ा प्राचीन समय से पश्चिमोत्तरी ईरान के उत्तरी व पूर्वी क्षेत्रों जैसे माज़नदरान और ख़ुरासान से संपर्क बनाने का स्थल रहा है। आज मासूले उत्तरी ईरान के सबसे ज़्यादा देखे जाने वाले दर्शनीय स्थल में शामिल है। हर दिन हज़ारों की संख्या में लोग हरे भरे व दुर्गम रास्तों को तय करके इसे देखने पहुंचते हैं।

मासूले का बाज़ार इस गांव का मुख्य आकर्षण है जिसके चारों ओर मुहल्ले बसे हैं। बाज़ार में 120 दुकाने हैं। इन दुकानों की सतह एक दूसरे से भिन्न है। दुकानें ऊपर की ओर से जाने वाले घुमावदार मार्ग पर ज़न्जीर की तरह एक दूसरे से जुड़ी हुयी हैं। ग्राहक घुमावदार गलियों में चलते हुए ऊपर पहुंचते हैं। जब वे बाज़ार के अंत में ऊपर पहुंचते हैं तो वे ख़ुद को एक टीले के ऊपर पाते हैं जहां से शहर नज़र आता है।

मासूले के सबसे ऊपरी और सबसे निचले भाग के बीच ऊंचाई लगभग 100 मीटर है इसी वजह से मासूले में वास्तुकला का एक अद्भुत दृष्य नज़र आता है। निचले घर की छतों को ऊपर रहने वाले लोग मार्ग के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। सभी घर दो मंज़िला बने हुए हैं। बाज़ार की दुकानें भी इसी तरह बनायी गयी हैं। दुकानों के सामने रखी हुयी रंग बिरंगी चीज़े दूर से बहुत अच्छा दृष्य पेश करती हैं। जो भी मासूले का भ्रमण करता है, चाहे वह कितना ही वास्तुकला से अनभिज्ञ हो, मासूले की वास्तुकला की तारीफ़ किए बिना नहीं रह सकता।

बाज़ार की दुकानें ईंट और पत्थर से बनी हैं जबकि छत लकड़ी की है जिस पर अलक़तरे और मिट्टी व भूसे के विशेष मसाले की परत चढ़ी हुयी है। अतीत में जंगल में उगने वाली विशेष प्रकार की घास से जिसे सरख़्से वहशी कहते हैं, छत बनाई जाती थी। सरख़्से वहशी मासूले के आस  पास बहुत पायी जाती है। यह घास ख़ुद बख़ुद उगती है और पानी को घर में रिसने से रोकती है। मासूले के लोग इस घास को सुखा कर घर की छत में मिट्टी और लकड़ी के बीच रखते थे ताकि बारिश के पानी को अपने भीतर सोख ले और सूरज निकलने पर पानी वाष्प होकर निकल जाए।

मासूले के सुंदर बाज़ार में नाना प्रकार के व्यवसाय होते हैं। चाक़ू व हथौड़ी बनाने के कारख़ाने, सजाने के सामान, लोहारी और कपड़े बुनने के उपकरण बनते हैं। इसी तरह इस बाज़ार में नाना प्रकार की स्थानीय खाने की चीज़ें मिलती हैं। इसके अलावा जगह जगह दुकानों पर लकड़ी के सुंदर डिज़ाइनों वाले दरवाज़े और खिड़कियां, इस इलाक़े की जनता के सलीक़े का पता देती हैं।

 

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