Sep १४, २०२० १७:२३ Asia/Kolkata

पिछली शताब्दियों में हम्माम का निर्माण पैसा कमाने के लिए नहीं होता था। इसके निर्माण के पीछे धार्मिक आस्था व नैतिक भावना होती थी।

धनवान और हमदर्द लोग, परलोक में पुन्य पाने की आस्था और अच्छी शोहरत पाने की भावना के साथ हम्माम का निर्माण करवाते थे। आम लोगों के इस्तेमाल के लिए इमारत के निर्माण से समाज की बहुत सी ज़रूरतें पूरी होती थीं। इस तरह की इमारतों में मस्जिद, स्कूल, हम्माम और पानी के हौज़ शामिल हैं। आम तौर पर इस तरह की इमारतों के निर्माण के बाद, इनका स्वामित्व आम लोगों के हवाले हो जाता था।

विगत में आम जनता के हितैषी लोग और कभी पैसे वाले इस तरह के निर्माण में आगे आगे रहते थे। इस तरह की कुछ इमारतें अब भी बची हुयी हैं जैसे इस्फ़हान शहर में शैख़ बहाई हम्माम और शाह अब्बास हम्माम, शीराज़ में वकील हम्माम, किरमान में गंजअली ख़ान हम्माम, काशान में ख़्वाजा एमाद हम्माम, क़ुम शहर में अताबक हम्माम।

बहाउद्दीन मोहम्मद बिन हुसैन आमुली उर्फ़ शैख़ बहाई सोलहवीं व सत्रहवीं ईसवी के मशहूर विद्वान गुज़रे हैं। वह दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र, गणित और खगोल शास्त्र में निपुण थे। इसी तरह साहित्य और शायरी में भी उनकी रचनाएं मौजूद हैं। उन्होंने लगभग 95 पुस्तक और पुस्तिकाएं लिखी हैं। बहुत से छात्रों ने शैख़ बहाई से ज्ञान हासिल कर उनका शिष्य बनने का गौरव प्राप्त किया। ईरान में सफ़वी शासन काल की बहुत सी इमारतों की डिज़ाईन शैख़ बहाई ने तय्यार की थी।

शायद ही कोई हो जो इस्फ़हान गया हो और उसने शैख़ बहाई के हम्माम को न देखा हो जो वास्तुकला में उनकी दक्षता का उत्कृष्ट नमूना है। यह ऐसा हम्माम है जिसका पानी एक मोमबत्ती से गर्म हो जाता था। इसके निर्माण में गणित, वास्तुकला और इंजीनियरिंग का इस्तेमाल हुआ है इसलिए यह बहुत ही आश्चर्यजनक इमारत है। इस हम्माम का निर्माण वर्ष 1065 हिजरी क़मरी बराबर 1654 ईसवी में हुआ था। इस हम्माम का पानी जामा मस्जिद की सीवर लाइन से उठने वाली मिथेन गैस के ईंधन के तौर पर इस्तेमाल के ज़रिए गर्म होता था। हम्माम के बग़ल में स्थित तेल पेराई की मशीन से गिरने वाले क़तरे की वजह से मोमबत्ती का शोला जलता रहता था।

शैख़ बहाई हम्माम की वास्तुकला पर शोध करने वाले ईरानी शोधकर्ता अली अस्ग़र ब्रहमंद जिन्होंने वर्षों इस हम्माम में पानी के गर्म होने के सिस्टम के बारे में शोध किया है, कहते हैः  सोने की धातु में हीट कंडक्शन ज़्यादा होने के मद्देनज़र हम्माम की टंकी में सोना इस्तेमाल हुआ है जिसकी वजह से कम उष्मा में अधिक ऊर्जा का उत्पादन होता है और टंकी का पानी गर्म होता है।

ईरान के मशहूर हम्मामों में यज़्द प्रांत के महरीज़ शहर में स्थित मेहर पादीन हम्माम है। महरीज़ प्राचीन शहर है। इतिहास की किताबों में मिलता है कि यह शहर सासानी शासन काल में आबाद था। इस शहर की ऐतिहासिक इमारतों में जामा मस्जिद, क़िला, हम्माम, पानी का हौज़ या जल भंडारण कक्ष, बाज़ार और ईंट के बने कुछ प्राचीन घर हैं जिनमें रौशनी के लिए रौशनदान और घर को ठंडा रखने के लिए बादगीर बने हुए हैं। मेहर पादीन हम्माम जामा मस्जिद से थोड़ी दूर पर स्थित है जो अपनी भीतरी और बाहरी डिज़ाइन की वजह से बहुत ही आकर्षक इमारत है। इस हम्माम की मौजूदा इमारत क़ाजारी शासन काल की है। ऐतिहासिक दस्तावेज़ों के अनुसार इस हम्माम की मुख्य इमारत 300 साल से ज़्यादा पुरानी है।

मेहर पादीन हम्माम के दो भाग हैं जो एक दूसरे से अलग अलग हैं। एक महिलाओं के लिए और दूसरा पुरुषों के लिए विशेष है। हम्माम का बड़ा भाग महिलाओं से विशेष है। हम्माम का प्रवेश द्वार लकड़ी का है और सीढ़ी के ज़रिए उससे भीतर जाते हैं। एक मीटर गहरा ईंट का अष्टकोणीय हौज़ बना है जिसके चारों ओर कपड़े रखने की विशेष जगह है जिसमें ताक़ बने हुए हैं। हम्माम की छत गुंबद के आकार की है जिसमें बने रौशनदान से हम्माम में रौशनी पहुंचती है। कपड़े रखने की विशेष जगह के चारों ओर पत्थर के चबूतरे बने हुए हैं। चबूतरों में जूते रखने की जगह बनी हुयी है। मेहर पादीन हम्माम के भीतर छोटे छोटे हौज़ और सुंदर डिज़ाइन वाले खंबे नहाने वालों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यह हम्माम ईंट का बना है। ईंट को विभिन्न शैलियों में इस तरह बिछाया गया है कि उसे देख कर मिस्त्री के कौशल का अंदाज़ा होता है। मौजूदा दौर में इस हम्माम की मरम्मत करने वालों ने इसे आधुनिक दौर से समन्वित करने की कोशिश की है। इसके लिए उन्होंने विभिन्न आकार व रंगों की ईंटें इस्तेमाल की हैं।

मेहर पादीन हम्माम के ज़्यादातर भाग जैसे द्वार, हौज़, कपड़े रखने की विशेष जगह, ये सब अष्टकोणीय बने हैं। इसी चीज़ से इसकी वास्तुकला में अनुरूपता आयी है। हम्माम के लिए पानी की आपूर्ति भूमिगत नाली से होती है।     

ज़न्दिया शासन श्रंख्ला की मशहूर इमारतों में एक वकील हम्माम भी है जो करीम ख़ान ज़न्द के आदेश से शीराज़ शहर में वकील मस्जिद के बग़ल में बना है। करीम ख़ान ज़न्द ख़ुद को वकीलुर रेआया कहते थे इसी वजह से इस हम्माम को वकील हम्माम कहते हैं। उनके शासन काल में सरकारी इमारतों के अतिरिक्त पूरे शीराज़ में आम लोगों के इस्तेमाल में आने वाली इमारतें बनायी गयीं जिसमें सबसे अहम वकील भवन समूह है। इस समूह का एक अहम भाग वकील हम्माम है जो 11 हज़ार वर्ग मीटर है। यह हम्माम 1187 हिजरी क़मरी बराबर 1773 ईसवी में बना है। यह हम्माम वास्तुकला के बहुत अहम नियमों के आधार पर बना है। इसके चार भाग हैं जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम्माम वकील में साज-सज्जा की बहुत सी चीज़ें लगी हुयी हैं। इस समय शीराज़ शहर के ऐतिहासिक अवशेष के रूप में इसकी रक्षा हो रही है।

वकील हम्माम का प्रवेश द्वार एक गलियारा है जिसकी छत पर प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का काम हुआ है। छत और दीवार पर प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का काम इसके निर्माण के समय में हुआ है। इस हम्माम की दीवारों और छतों पर नाना प्रकार के बेल बूटे बने हुए हैं। हम्माम की छत पर रौशनदान बने हुए हैं जिससे इसमें रौशनी पहुंचती है।

हम्माम में कपड़ा रखने की जगह पर संगे मरमर इस्तेमाल हुआ है। हम्माम में चबूतरे इसी पत्थर के बने हैं। वकील हम्माम में कपड़े रखने की जगहों के पास पत्थर के चार हौज़ बने हैं। इसी तरह इस हम्माम का हर खंबा सल्फ़र के एक पत्थर का बना है। हम्माम के ऊपर बना गुंबद भी सुंदर चित्रों से सजा हुआ है। हम्माम का फ़र्श ईंट और गारे की कई परतों का बना है ताकि मज़बूत रहे।

वकील हम्माम का नहाने का भाग तीन हिस्सों पर आधारित है। एक गर्म पानी, दूसरे ठंडे पानी और तीसरा कुनकुने पानी का भाग। हर कोई अपनी इच्छानुसार जिस भाग से चाहता नहाता था। इस भाग के फ़र्श को गर्म करने के लिए नलिकाएं बनी हुयी हैं। नलिकाओं में गर्म पानी या हवा के ज़रिए हम्माम के फ़र्श को गर्म रखा जाता है। इसी तरह इन नलिकाओं के बग़ल में दूषित या अतिरिक्त भाप को निकालने के लिए नलिकाएं बनी हुयी हैं।

कुछ साल पहले कुछ समय के लिए इस हम्माम का एक भाग पारंपरिक कसरत करने की जगह में बदल गया है, जिसे कुछ समय बाद ईरान के पुरातन विभाग के हवाले कर दिया गया। इस हम्माम के राष्ट्रीय अवशेष की सूचि में शामिल होने के बाद इसकी मरम्मत हुयी और अब शीराज़ जाने वाले देशी विदेशी पर्यटकों से प्रतिदिन भरा रहता है। हाल में हम्माम वकील को हस्तकला उद्योग का म्यूज़ियिम बना दिया गया है जिसमें शीराज़ के हस्तकला उद्योग के कलाकारों की रचनाएं प्रदर्शनी के लिए रखी जाती हैं।

 

 

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