क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-729
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-729
وَإِلَى مَدْيَنَ أَخَاهُمْ شُعَيْبًا فَقَالَ يَا قَوْمِ اعْبُدُوا اللَّهَ وَارْجُوا الْيَوْمَ الْآَخِرَ وَلَا تَعْثَوْا فِي الْأَرْضِ مُفْسِدِينَ (36) فَكَذَّبُوهُ فَأَخَذَتْهُمُ الرَّجْفَةُ فَأَصْبَحُوا فِي دَارِهِمْ جَاثِمِينَ (37)
और (हमने) मदयन की ओर उनके भाई शुऐब को भेजा। उन्होंने कहाः हे मेरी जाति (के लोगो) ईश्वर की उपासना करो और प्रलय की ओर से आशावान रहो और धरती में बिगाड़ मत फैलाओ। (29:36) किन्तु उन लोगों ने उन्हें झुठला दिया तो भूकम्प ने उन्हें दबोच लिया और वे अपने घरों में औंधे पड़े रह (कर मर) गए। (29:37)
وَعَادًا وَثَمُودَ وَقَدْ تَبَيَّنَ لَكُمْ مِنْ مَسَاكِنِهِمْ وَزَيَّنَ لَهُمَ الشَّيْططَانُ أَعْمَالَهُمْ فَصَدَّهُمْ عَنِ السَّبِيلِ وَكَانُوا مُسسْتَبْصِرِينَ (38)
और हमने आद और समूद को भी विनष्ट किया और निश्चय ही उनके (तबाह हो चुके) घरों और बस्तियों के खंडहरों से (उनका अंजाम) तुम पर स्पष्ट हो चुका है। और शैतान ने उनके कर्मों को उनके लिए सजा दिया और उन्हें सही मार्ग से रोक दिया जबकि वे बड़े दूरदर्शी थे। (29:38)
وَقَارُونَ وَفِرْعَوْنَ وَهَامَانَ وَلَقَدْ جَاءَهُمْ مُوسَى بِالْبَيِّنَاتِ فَاسْتَكْبَرُوا فِي الْأَرْضِ وَمَا كَانُوا سَابِقِينَ (39) فَكُلًّا أَخَذْنَا بِذَنْبِهِ فَمِنْهُمْ مَنْ أَرْسَلْنَا عَلَيْهِ حَاصِبًا وَمِنْهُمْ مَنْ أَخَذَتْهُ الصَّيْحَةُ وَمِنْهُمْ مَنْ خَسَفْنَا بِهِ الْأَرْضَ وَمِنْهُمْ مَنْ أَغْرَقْنَا وَمَا كَانَ اللَّهُ لِيَظْلِمَهُمْ وَلَكِنْ كَانُوا أَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ (40)
और हमने क़ारून, फ़िरऔन और हामान को भी विनष्ट किया। मूसा उनके पास खुली निशानियाँ लेकर आए किन्तु उन्होंने धरती में घमंड और उद्दंडता से काम लिया हालाँकि वे हमसे (बच कर) निकल जाने वाले न थे। (29:39) अन्ततः हमने उनमें से हर एक को उसके पाप के कारण पकड़ लिया। फिर उनमें से कुछ पर तो हमने पत्थर बरसाने वाली हवा भेजी और कुछ को एक भीषण और मृत्युदायक चिंघाड़ ने आ लिया। और उनमें से कुछ को हमने धरती में धँसा दिया और कुछ अन्य को डूबो दिया। और ईश्वर का इरादा यह न था कि उनपर अत्याचार करे किन्तु वे स्वयं अपने आप पर अत्याचार कर रहे थे। (29:40)