Jan २८, २०१९ १५:३६ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-734

 

اللَّهُ يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَشَاءُ مِنْ عِبَادِهِ وَيَقْدِرُ لَهُ إِنَّ اللَّهَ بِكُلِّ شَيْءٍ عَلِيمٌ (62)

 

ईश्वर अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है आजीविका विस्तृत कर देता है और जिसके लिए चाहता है तंग कर देता है। निःसंदेह ईश्वर हर चीज़ को भली-भाँति जानता है। (29:62)

 

وَلَئِنْ سَأَلْتَهُمْ مَنْ نَزَّلَ مِنَ السَّمَاءِ مَاءً فَأَحْيَا بِهِ الْأَرْضَ مِنْ بَعْدِ مَوْتِهَا لَيَقُولُنَّ اللَّهُ قُلِ الْحَمْدُ لِللَّهِ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْقِلُونَ (63) وَمَا هَذِهِ الْحَيَاةُ الدُّنْيَا إِلَّا لَهْوٌ وَلَعِبٌ وَإِنَّ الدَّارَ الْآَخِرَةَ لَهِيَ الْحَيَوَانُ لَوْ كَانُوا يَعْلَمُونَ  (64)

 

और यदि आप उनसे पूछें कि आकाश से किसने पानी बरसाया और उसके द्वारा धरती को उसके मरने के पश्चात जीवित किया? तो निश्चय ही वे , अल्लाह ने! कह दीजिए कि सारी प्रशंसा ईश्वर ही के लिए है किन्तु उनमें से अधिकतर बुद्धि से काम नहीं लेते। (29:63) और यह सांसारिक जीवन तो केवल बहलावा और खेल है। निःसंदेह अगर वे जानते तो परलोक का घर (और जीवन) ही वास्तविक जीवन है। (29:64)

 

فَإِذَا رَكِبُوا فِي الْفُلْكِ دَعَوُا اللَّهَ مُخْلِصِينَ لَهُ الدِّينَ فَلَمَّا نَجَّاهُمْ إِلَى الْبَرِّ إِذَا هُمْ يُشْرِكُونَ (65) لِيَكْفُرُوا بِمَا آَتَيْنَاهُمْ وَلِيَتَمَتَّعُوا فَسَوْفَ يَعْلَمُونَ (66)

 

तो जब वे नौका में सवार होते हैं (और नौका तूफ़ान में फंस जाती है) तो वे ईश्वर को (पूरी) निष्ठा से पुकारते हैं (और दूसरों को भूल जाते हैं) किन्तु जब वह उन्हें बचा कर थल तक ले आता है तो वे फिर अनेकेश्वरवाद की ओर उन्मुख हो जाते हैं। (29:65) ताकि जो कुछ हमने उन्हें दिया है उसके प्रति अकृतज्ञता दिखाएँ और ताकि (जीवन के नश्वर आनंदों) के मज़े लें। लेकिन शीघ्र ही उन्हें पता चल जाएगा। (29:66)

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