ईरान भ्रमण- 6
अगर आप पश्चिमी ईरान की सैर पर निकलें तो बहुत से दर्शनीय स्थलों के साथ ही आपको ख़ुर्रमाबाद का भ्रमण ज़रूर करना चाहिए।
यह शहर अपने झरनों और जलसोतों के कारण विशेष ख्याति रखता है। यहां के झरनों की मनमोहक आवाज़ और जलसोतों से उबलता निर्मल पानी हर दर्शक और पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित ज़रूर करता है। लुरिस्तान के इलाक़े में कई एतिहासिक दुर्ग हैं इसी तरह बेहद ख़ूबसूरत गांव हैं जहां प्रकृति अपने समस्त आकर्षणों के साथ दूर तक फैली हुई है। ख़ुर्रमाबाद शहर इसी नाम की नदी के किनारे बड़े ही सुंदर दर्रे में स्थित है। ख़ुर्रमाबाद कई हज़ार साल पुराना शहर है जो कई सभ्यताओं का मेज़बान रह चुका है। इस शहर में कासी, बाबुली, सासानी, सलजूक़ी और ख़्वारज़्मशाही सभ्यताओं ने अलग अलग कालखंडों में जीवन गुज़ारा है। ख़ुर्रमाबाद जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है बहुत हरा भरा और ख़ुशियों वाला शहर है जहां प्रकृतिक दृष्यों की भरमार है। वहां पहुंचकर इंसान हैरत में पड़ जाता है कि किस दृष्य के पास ज़्यादा देर रुके। यह देखने में आया है कि बहुत से पर्यटक कई कई बार इन दृष्यों को देखते हैं। इस तरह यदि किसी को प्राकृतिक दृष्यों से लगाव और किसी को एतिहासिक स्थलों को देखने में रुचि है, दोनों ही रुचियों के लोग इस शहर में जाकर दृष्यों का आनंद उठा सकते हैं।
हम जब इस शहर में पहुंचे तो पहले फ़लकुल अफ़लाक नामक वैभवशाली दुर्ग को देखने गए। फ़लक का अर्थ होता है आसमान और फ़लकुल अफ़लाक का मतलब है आसमानों का आसमान। यह दुर्ग इतना ऊंचा है कि दूर से ही इसका वैभव झलकता हैं। जैसे जैसे आप इस दुर्ग के क़रीब पहुंचते हैं इसका वैभव और भी स्पष्ट होकर नज़र आता है। फ़लकुल अफ़लाक दुर्ग को ख़ुर्रमाबाद शहर के प्रतीक का दर्जा हासिल है। आप शहर में किसी भी जगह पर हों आपको यह दुर्ग वहां से नज़र आएगा। बहुत से पर्यटक जो ख़ुर्रमाबाद के शहरों से अधिक अवगत नहीं होते वह इसी दुर्ग को देखकर आसानी से रास्ता खोज लेते हैं। फ़लकुल अफ़लाक दुर्ग सासानी काल की यादगार है। इस शासन श्रंखला के कई शासकों ने इस दुर्ग को अपने केन्द्र के रूप में प्रयोग किया। इस दुर्ग का निर्माण एक ऊंचे टीले के ऊपर किया गया है और इस टीले के नीचे शहर बसा हुआ है और आबादी के बाद ख़ुर्रमाबाद नदी दिखाई देती है। जिस समय इस दुर्ग में शासक आकर रुकते थे उस समय इसमें बहुत ज़्यादा चहल पहल रहती थी। इसका अधिकतर प्रयोग सैनिक लक्ष्यों के लिए किया जाता था। इस दुर्ग के कई भाग हैं। इस दुर्ग के भीतर बना संग्रहालय बहुत महत्वपूर्ण और दर्शनीय है।
फ़लकुल अफ़लाक के विभिन्न भागों को देखने और इस वैभवशाली इमारत के भीतर कई घंटे गुज़ारने के बाद हम उस सुंदर झील की ओर बढ़ते हैं जो शहर के पश्चिमोत्तरी भाग में स्थित है। फ़लकुल अफ़लाक दुर्ग के बाद इस झील के किनारे हमें सबसे अधिक पर्यटक दिखाई पड़ते हैं। यह झील भी इस इलाक़े की ताज़गी और हरियाली के सुंदर दृष्य पेश करती है। यह कीव झील है जो ज़िंदगी की चहल पहल की प्रतीक भी है। कीव झील इसी नाम के एक बड़े पार्क के अंदर है। इस झील का पानी ख़ुद झील के भीतर मौजूद जलसोतों और मख़मल कूह नामक पहाड़ के जलसोतों से आता हैं इन जलसोतों से हमेशा पानी निकलता रहता है। पहाड़ से बहने वाले जलसोते जब आकर झील में गिरते हैं तो बड़ा मनमोहक दृष्य उत्पन्न हो जाता है। कीव लुरी भाषा में नीले रंग को कहते हैं। जाड़े के मौसम में झील की तह में एसी वनस्पतियां उग आती हैं जिनके कारण पूरी झील नीले रंग की नज़र आती है। यही कारण है कि इस झील का नाम कीव पड़ गया। बसंत और गर्मी के मौसम में इस झील में नौकाएं तैरती दिखाई देते हैं जिनमें पर्यटक भ्रमण करते हैं। बहुत से लोग तैराकी तथा पानी के अन्य व्यायाम करते दिखाई देते हैं। झील के किनारे छोटे छोटे बाज़ार लग जाते हैं जहां इस शहर में बनने वाले अलग अलग प्रकार और प्रयोग की चीज़ें पेश की जाती हैं। पर्यटक इन बाज़ारों से बड़ी उत्सुकता के साथ ख़रीदारी करते हैं क्योंकि इन उत्पादों की अपनी सुंदरता और अपना अलग स्वाद है जबकि इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि यह चीज़ें अधिक महंगी न हों।
कीव झील के बाद हम बामे लुरिस्तान की ओर बढ़ते हैं। यह भी ख़ुर्रमाबाद का अत्यंत दर्शनीय पर्यटक स्थल है। बाम का अर्थ होता है छत। यह जगह चूंकि ऊंचाई पर है इसलिए इसे लुरिस्तान की छत कहा जाता है। इस स्थान से रात के समय ख़ुर्रमाबाद का दृष्य बहुत भला लगता है। रात के समय इस स्थान से आप घरों और सड़कों तथा राजमार्गों की लाइटों को देख सकते हैं और रात के सन्नाटे का भी आभास कर सकते हैं। इस स्थान को पश्चिमी ईरान के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में शामिल किया जाना है और इसके लिए काफ़ी काम किया जा रहा है। यहां एक महत्वपूर्ण वेधशाला भी बनाई गई है जिसका नाम कासीन है। इस जगह की संतुलित जलवायु पर्यटकों को अलग प्रकार की ताज़गी का एहसास करवाती है और यहां पहुंचने के बाद पर्यटक देर तक रुकते हैं वहां से हटने का किसा का भी दिल नहीं करता। यहां के ऊंचे ऊंचे पेड़ों के बीच इंसान बहुत सुकून पाता है। इस स्थान पर स्थानीय लोगों ने घर भी बना रखे हैं जिन्हें वह पर्यटकों को ठहरने के लिए देते हैं। बहुत से पर्यटक इन घरों में रात गुज़ारते हैं।
रात गुज़ारने के बाद अगली सुबह को पर्यटक नूजयान झरने की ओर जाते हैं। स्थानीय लोग इसे नूजियो कहते हैं। झरने के पास पहुंचकर ऊपर देखिए कि कितनी ऊंचाई से पानी नीचे गिर रहा है तो सर चकराने लगता है। गाइड ने हमें बताया कि इस झरने की ऊंचाई 95 मीटर है तो हमारा सर और भी तेज़ चकराने लगा। बहुत ऊंचा और बेहद वैभवशाली झरना अपनी सुंदरता बिखेरता रहता है।
बसंत के मौसम में नूजयान झरने का पानी ऊपर के जलसोतों से आता है। इस झरने के आसपास के इलाक़ों में बहुत बड़ी मात्रा में औषधीय वनस्पतियां उगती हैं। इस इलाक़े के पहाड़ों से कई झरने नीचे गिरते हैं और उनसे पैदा होने वाला कौतूहल दूर तक सुनाई देता है मगर वहां पहुंचकर विशेष शांति का आभास होता है। गाइड ने जब हमें अन्य झरनों के बारे में बताया तो हम ख़ुद को रोक नहीं सके और अन्य झरनों को देखने के लिए रवाना हो गए। हमें अगला जो झरना नज़र आया उसका नाम ग्रीत है। ग्रीत झरना जिस स्थान पर है उसके बारे में कहते हैं कि यह लुरिस्तान का सबसे अधिक हरा भरा स्थान है। ग्रीत झरने का दूसरा नाम सात झरना भी है। इस झरने का पानी ओक तथा अन्य कई प्रकार के बड़े बड़े वृक्षों के बीच से गुज़रता हुआ नीचे आकर गिरता है। इस झरने की ऊंचाई 15 मीटर है। नूजयान की तुलना में इस झरने की ऊंचाई ज़्यादा नहीं है लेकिन यह झरना भी बेहद खूबसूरत है। यहां एक अच्छाई यह भी थी कि नूजयान की तरह इसे देखकर सर नहीं चकाराया।
ख़ुर्रमाबाद के झरनों की संख्या वाक़ई बहुत ज़्यादा है और हर झरने की अपनी एक अलग ही ख़ूबसूरती है। ईरान भ्रमण में रूचि रखने वाले हर पर्यटक और सैलानी के लिए बहुत अच्छा है कि ख़ुर्रमाबाद के झरनों को ज़रूर देखे। इस स्थान पर जाने वाला हर पर्यटक बड़ी अच्छी और कभी न भुलाई जाने वाली यादें लेकर लौटता है।
ख़ुद ख़ुर्रमाबाद के लोग सप्ताहांत को मख़मल कूह पर्वत के आंचल की ओर रवाना हो जाते हैं। यह ऊंचा पर्वत शहर के पश्चिमोत्तरी भाग में स्थित है। इस पहाड़ की चट्टानें एसी हैं कि उनके भीतर से वनस्पतियां उगी हुईं जिन पर बड़े सुंदर फूल खिलते हैं। जब बारिश का मौसम आता है तो यह सारी चट्टानें हरियाली से ढंक जाती हैं और उन पर कई रंगों के फूल खिलते हैं। एसा लगता है कि जैसे पहाड़ ने हरा लिबास पहन लिया है जिस पर रंग बिरंगे गुलबूटे हैं। चूंकि इस पहाड़ से कई झरने भी नीचे गिरते हैं अतः यहां झरनों का भी आनंद लिया जा सकता है।
ख़ुर्रमाबाद शहर के क़रीब ही एक जंगल रूपी पार्क है जिसका नाम शूराब पार्क है। इस पार्क को देखकर आपको यह लगेगा कि आप किसी जंगल में टहल रहे हैं क्योंकि वहं बड़े बड़े वृक्ष बडी संख्या में हैं जबकि ज़मीन भी अपनी प्रकृतिक शक्ल में नज़र आती है। मगर शौचालय आदि की अच्छी सुविधा भी वहां कर दी गई है। यह पार्क ख़ुर्माबाद से पुल दुख़तर जाने वाली सड़क पर 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पार्क के भीतर कई जगलों पर छोटी छोटी झोपड़ियां बनाई गई हैं जहां लोग जाकर घंटों बैठते और विश्राम करते हैं। चूंकि यहां बहुत बड़ी संख्या में पेड़ हैं और यहां की जलवायु भी बहुत मनमोहक है अतः पार्क में घूमने के लिए आने वालों का तांता बंधा रहता है। हर साल बसंत के मौसम में इस पार्क में बहुत बड़ी संख्या में पर्यटक जाते हैं।
ख़ुर्रमाबाद के प्राकृतिक दृष्यों और सुंदरता के अलावा यहां की जामा मस्जिद भी बहुत सुंदर है। इस मस्जिद का पुनरनिर्माण किया गया है। इस मस्जिद का गुंबद सात स्तंभों पर टिका हुआ बड़ा ख़ूबसूरत गुंबद है। जो लोग भी प्रकृति और एतिहासिक स्थलों को देखने में रूचि रखते हैं उनके लिए ईरान के अन्य शहरों के साथ ही ख़ुर्रमाबाद की सैर करना बहुत अच्छा है। वहां जाकर हर पर्यटक बहुत ख़ुश नज़र आता है और लौटते समय यह इरादा ज़रूर करता है कि पुनः इस देखने के लिए जल्द ही आना है।