इस्लामी क्रांति दूसरा क़दम- 5
अरब प्रायद्वीप में इस्लाम के उदय को कुछ ही दिन बीते थे कि इस्लामी सभ्यता ने तेज़ विकास करना आरंभ कर दिया।
इस्लामी शिक्षाओं के आधार पर बनने वाली यह सभ्यता, वास्तव में दुनिया में संस्कृति व अर्थ व्यवस्था क्षेत्र में बहुत जल्दी ही अगुवा समझी जाने लगी लेकिन धीरे धीरे और विभिन्न भीतरी व बाहरी कारकों की वजह से इस सभ्यता का विकास समाप्त हो गया और धीरे धीरे पतन की ओर बढ़ने लगी किंतु ईरान में आने वाली इस्लामी क्रांति ने इस सभ्यता को नया जीवन देने का प्रण लिया। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई के " इस्लामी क्रांति का दूसरा क़दम" नामक घोषणापत्र में भी कहा गया है कि इस्लामी क्रांति का दूसरा क़दम, मानवता के मोक्षदाता, इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम के प्रकट और उदय होने की भूमिका तैयार करना है। इस लिहाज़ ये स्पष्ट होता है कि, ईरान की महान क्रांति का नया अध्याय अधिक संवेदनशील है। कुल मिला कर इस्लामी सभ्यता एसी सभ्यता है जो इस्लामी शिक्षाओं पर आधारित है और उसमें आध्यात्म और नैतिकता की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस आधार पर इस्लामी शिक्षाओं से प्रेरणा लेने वाली इस्लामी क्रांति के लिए यह स्वाभाविक है कि वह उस इस्लामी सभ्यता के पुनर्जागरण की दिशा में क़दम बढ़ाए जिसकी कभी पूरी दुनिया में ख्याति थी।
वरिष्ठ नेता भी, इस्लामी सभ्यता को एसा वातावरण समझते हैं जहां मनुष्य आध्यात्मिक और भौतिक आयाम से विकास कर सके और अन्ततः उस स्थान तक पहुंच सके, जहां के लिए ईश्वर ने उसकी रचना की है। अर्थात उसका एक सम्मानीय जीवन हो, शक्ति व संकल्प हो तथा वह समाज के लिए एक लाभदायक सदस्य हो। वरिष्ठ नेता बल देते हैं कि इस्लामी क्रांति का उद्देश्य, इस प्रकार की सभ्यता की रचना है। एक नयी सभ्यता को बनाना, आसान नहीं है, इसके लिए गंभीरता के साथ काम करने की ज़रूरत होती है और इस प्रकार का निरंतर प्रयास, उज्जवल भविष्य की उम्मीद के बिना संभव नहीं है। इसी लिए वरिष्ठ नेता युवाओं के लिए अपनी पहली सिफारिश के रूप में आशा और भविष्य के बारे में अच्छी सोच पर बल दिया और इसे सभी तालों की चाभी बताया। निश्चित रूप से साधनों और संसाधनों पर ध्यान दिये बिना, अच्छे भविष्य की उम्मीद, वास्तविकता पर आधारित नहीं है बल्कि आशा उस चीज़ से लगानी चाहिए जिसकी संभावना हो। वरिष्ठ नेता ने कहा है कि मैं जो कह रहा हूं, एक सच्ची उम्मीद और ठोस वास्तविकता पर आधारित है। मैं हमेशा, झूठी उम्मीद से दूर रहा हूं और स्वंय तथा अन्य लोगों को झूठी आशाओं से दूर रहने की सिफारिश करता हूं।

निराशा से दूरी का महत्व उस समय अधिक स्पष्ट होता है जब ईरानी जनता को निराश करने के लिए अंतराष्ट्रीय मीडिया में की जाने वाली निरंतर कोशिशों को देखा जाए। ईरानी जनता में निराशा पैदा करने के लिए प्रयोग किये जाने वाले हथकंडों का उल्लेख करते हुए वरिष्ठ नेता ने कुछ बातों की ओर संकेत किया। वरिष्ठ नेता ने ईरानी जनता में निराशा फैलाने के कुछ हथकंडों के रूप में, झूठी खबरें फैलाने, शत्रुतापूर्ण विश्लेषणों, सच्चाई को उलट कर दिखाने, आशाजनक विषयों पर पर्दे, छोटी कमियों को बड़ा और बड़ी सफलताओं को छोटा दिखाने जैसे प्रयासों का नाम लिया लेकिन इसके साथ ही वरिष्ठ नेता बल देते हैं कि आशाजनक विकास और इस व्यवस्था के सच्चे सेवकों की संख्या, कमज़ोरियों और निराशा पैदा करने वाली चीज़ों से बहुत अधिक हैं इस लिए निराशा की कोई वजह नहीं हैं।
जैसा कि बताया गया और वरिष्ठ नेता ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि इस्लामी सभ्यता के स्तंभ, आध्यात्म और ईश्वरीय शिक्षाओं पर टिके होते हैं। ईरान में इस्लमी क्रांति की सफलता के बाद, जनता में इस्लामी शिक्षाओं और आध्यात्म तथा नैतिकता की ओर झुकाव बहुत बढ़ गया। धर्म की ओर झुकाव की यह भावना, ईरानी समाज में हर क्षेत्र में नज़र आने लगी। ईरानी जनता की क्रांति में इस्लाम से प्रेम की जो भावना थी उसे ईरान ही नहीं बल्कि ईरान की सीमाओं से बाहर भी पूरी तरह से महसूस किया गया और पूरी दुनिया में इस क्रांति के समर्थक पैदा हो गये जिसके वजह से इस क्रांति के प्रभाव का प्रसार हुआ। वरिष्ठ नेता, इस्लामी सभ्यता के प्रचार व प्रसार के लिए आध्यात्म और धर्म को आवश्यक बताते हैं। इस संदर्भ में वरिष्ठ नेता कहते हैं कि, आध्यात्म और नैतिकता को समस्त सभी व्यक्तिगत और सामाजिक आंदोलन की दिशा निर्धारण का साधन होना चाहिए यही समाज की मूल आवश्यकता है। इन सब के साथ यदि भौतिक चीज़ों का अभाव हो तब भी जीवन, स्वर्ग बन जाता है और यदि यह चीज़ें न हों तो फिर भौतिक रूप से सब कुछ होने के बावजूद जीवन नर्क बन जाता है।
वरिष्ठ नेता आध्यात्मक और नैतिकता की परिभाषा इस प्रकार बयान करते हैं, आध्यात्म का अर्थ यह होता है सदभावना, बलिदान, ईश्वर पर भरोसा, स्वंय और समाज में विश्वास जैसी विशेषताओं को मज़बूत करना तथा नैतिकता का अर्थ यह है कि भलाई, त्याग, ज़रूरत मंद लोगों की मदद, सच्चाई, साहस, विनम्रता और आत्मविश्वास जैसे गुणों को अपने अंदर पैदा करना और उन्हें मज़बूत करना है। वरिष्ठ नेता इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सरकारों के कर्तव्य को आध्यात्मिक विकास के लिए माहौल बनाना तथा नैतिकता और आध्यात्म के खिलाफ मीडिया के प्रचार के खिलाफ संघर्ष बताया है।

किसी भी सभ्यता को मज़बूत बनाने वाले तत्वों में विज्ञान और तकनीक में विकास अत्याधिक महत्वपूर्ण हैं। वरिष्ठ नेता ज्ञान विज्ञान का महत्व बताते हुए कहते हैं कि विज्ञान, किसी भी देश की शक्ति व प्रतिष्ठा का सब से स्पष्ट साधन होता है , ज्ञान का दूसरा पहलु ताक़त है। जैसा कि यूरोप ने गत कई सदियों के दौरान वैज्ञानिक विकास के बल पर व्यापक स्तर पर शक्ति प्राप्त की किंतु नैतिकता व आध्यात्म के अभाव के कारण यह शक्ति साम्राज्यवाद, अन्य देशों की जनता के शोषण, सामूहिक जनसंहार के हथियारों के उत्पादन जैसे गलत मार्गों में प्रयोग की गयी लेकिन इस्लामी सभ्यता में ज्ञान विज्ञान और तकनीक भौतिक व आध्यात्मिक रूप से समाज का स्तर ऊंचा करने के लिए समाज के हर सदस्य की सेवा में प्रयोग होती है। इस्लामी गणतंत्र ईरान ने पिछले कई दशकों के दौरान दुश्मनों की ओर से आर्थिक व वैज्ञानिक प्रतिबंधों और राजनीतिक दबावों के बावजूद ज्ञान विज्ञान के मार्ग में असाधारण रूप से तरक़्क़ी की है। वरिष्ठ नेता इस संदर्भ में कहते हैं कि खुदा का शुक्र है कि हमारी जनता में ज्ञान विज्ञान और अध्ययन की क्षमता का औसत अंतरराष्ट्रीय औसत से अधिक है , लगभग दो दशक पहले से देश में वैज्ञानिक पुनर्जागरण का आरंभ हुआ है जो अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को आश्चर्य चकित करने वाली गति से जारी है अर्थात विश्व में ज्ञान विज्ञान के विकास के औसत से ग्यारह गुना तेज़ी तक पहुंच गया है।
किसी भी देश में वैज्ञानिकों, विचारकों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों की संख्या में वृद्धि, बड़े बड़े वैज्ञानिक आंदोलनों का कारण बनती है। इस समय ईरान में विभिन्न विषयों में 38 लाख से अधिक छात्र और छात्राओं के अलावा, युनिवर्सिटियों से पढ़े लिखे लाखों लोग, देश के विभिन्न हिस्सों में सेवा में व्यस्त हैं। विश्व में वैज्ञानिक प्रतियोगिताओं में विजय किसी भी देश में ज्ञान विज्ञान के विकास और छात्रों की योग्यता का चिन्ह होती है। गत तीस वर्षों के दौरान ईरान के योग्य छात्रों ने विभिन्न मुकाबलों में 700 मेडल जीते हैं और इस कड़ी वैज्ञानिक प्रतियोगिता में ईरान का नाम , विश्व के पहले दस देशों में दर्ज कराने में सफल हुए हैं। नेनो टेक्नालोजी, एक विकसित और आधूनिक तकनीक है और इसी तरह बेहद उपयोगी भी है। इस्लामी गणतंत्र ईरान आज , इस क्षेत्र में ज्ञान उत्पादन के मामले में विश्व में चौथे नंबर पर है और ईरानी विशेषज्ञों ने अब तक अत्याधिक प्रयोग होने वाले 420 उत्पादन , नैनो तकनीक से बनाकर 47 से अधिक देशों को निर्यात किये हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में भी ईरान का विकास असाधारण है और चिकित्सा तथा जनता की सेवा करने के क्षेत्र में नित नये विकास के अलावा ईरान ने जटिल सर्जरी, अंग प्रतिरोपण और आधूनिक चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन के क्षेत्र में भी असाधारण रूप से तरक़्क़ी की है। इसी प्रकार ईरानी विशेषज्ञों ने स्टेम सेल्स का प्रयोग करके चिकित्सा के नये नये रास्ते खोजे हैं जिनकी वजह से चिकित्सा के क्षेत्र में बड़े बड़े कारनामे किये और निराश रोगियों के मन में आशा की ज्योति जगायी।

उपग्रह प्रक्षेपण के लिए भी जटिल और आधुनिक विज्ञान की आवश्यकता है लेकिन प्रतिबंधों के बावजूद ईरानी वैज्ञानिक इस क्षेत्र में भी सफल रहे हैं। उन्होंने पश्चिमी एशिया में ईरान को पहला एेसा देश बना दिया जो अतंरिक्ष में उपग्रह स्थापित करने की क्षमता रखता हो। ईरान का पहला सेटेलाइट सन 2009 में प्रक्षेपित किया गया। उसके बाद कई उपग्रहों को ईरान ने अंतरिक्ष में भेजा। ईरान में विकास का एक अन्य उदाहरण, परमाणु ईंधन के सम्पूर्ण चक्र का उत्पादन है जिसकी वजह से इस्लामी गणतंत्र उन गिने चुने देशों में शामिल हो गया जिनके पास यह तकनीक है। ईरानी वैज्ञानिकों ने, शांतिपूर्ण परमाणु तकनीक की मदद से ऊर्जा, चिकित्सा, कृषि, पशु पालन जैसे क्षेत्रों में असाधारण सफलताएं अर्जित की हैं । देश के रक्षा क्षेत्र में भी ईरानी विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने बड़े बड़े काम किये हैं और वह अब तक विभिन्न प्रकार के मिसाइल, ड्रोन, युद्धपोत जैसे सामरिक साधन और हथियार बनाने में सफल हुए हैं।
कड़े प्रतिबंधों के बीच और कम अवधि में वैज्ञानिक क्षेत्र में इस प्रकार के विकास के बावजूद, एक जीवंत इस्लामी सभ्यता की रचना के लिए अधिक प्रयास की ज़रूरत है। वरिष्ठ नेता ने इस वास्तविकता का आभास करते हुए, इस्लामी क्रांति का दूसरा क़दम शीर्षक के अंतर्गत अपने बयान में कहा है कि हमें ज्ञान विज्ञान की वर्तमान सीमाओं से आगे जाना चाहिए ... इस समय हम ने काम शुरु कर दिया है और तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं लेकिन यह गति वर्षों तक अधिक शक्ति के साथ जारी रहना चाहिए ताकि अतीत के पिछड़े पन की क्षतिपूर्ति हो सके। (Q.A.)