क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार- 737
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार- 737
أَوَلَمْ يَسِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَيَنْظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ كَانُوا أَشَدَّ مِنْهُمْ قُوَّةً وَأَثَارُوا الْأَرْضَ وَعَمَرُوهَا أَكْثَرَ مِمَّا عَمَرُوهَا وَجَاءَتْهُمْ رُسُلُهُمْ بِالْبَيِّنَاتِ فَمَا كَانَ اللَّهُ لِيَظْلِمَهُمْ وَلَكِنْ كَانُوا أَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُونَ (9)
क्या वे धरती में चले-फिरे नहीं कि देखते कि उन लोगों का कैसा अंजाम हुआ जो उनसे पहले थे? वे शक्ति में उनसे अधिक बलवान थे और उन्होंने धरती को उपजाया और उससे कहीं अधिक उसे आबाद किया जितना उन्होंने आबाद किया है। और उनके पास उनके पैग़म्बर प्रत्यक्ष निशानियां और तर्क लेकर आए (लेकिन उन्हें झुठलाने के कारण वे तबाह हो गए)। तो ईश्वर (का इरादा) ऐसा न था कि उन पर अत्याचार करता बल्कि वे स्वयं ही अपने आप पर अत्याचार करते थे। (30:9)
ثُمَّ كَانَ عَاقِبَةَ الَّذِينَ أَسَاءُوا السُّوأَى أَنْ كَذَّبُوا بِآَيَاتِ اللَّهِ وَكَانُوا بِهَا يَسْتَهْزِئُونَ (10)
फिर जिन लोगों ने बुराई किया था उनका परिणाम बहुत बुरा हुआ क्योंकि वे ईश्वर की आयतों को झुठलाते थे और उनका परिहास करते थे। (30:10)
اللَّهُ يَبْدَأُ الْخَلْقَ ثُمَّ يُعِيدُهُ ثُمَّ إِلَيْهِ تُرْجَعُونَ (11)
ईश्वर ही सृष्टि का आरम्भ करता है, फिर वही उसे दोबारा लौटाता है, फिर तुम सब उसी की ओर पलटाए जाओगे। (30:11)
وَيَوْمَ تَقُومُ السَّاعَةُ يُبْلِسُ الْمُجْرِمُونَ (12)
और जिस दिन (प्रलय की) वह घड़ी आ जाएगी, उस दिन अपराधी निराश होकर रह जाएँगे। (30:12)
وَلَمْ يَكُنْ لَهُمْ مِنْ شُرَكَائِهِمْ شُفَعَاءُ وَكَانُوا بِشُرَكَائِهِمْ كَافِرِينَ (13)
और उनके द्वारा ठहराए गए (ईश्वर के) समकक्षों में से कोई उनका सिफ़ारिश करने वाला नहीं होगा और वे स्वयं भी अपने उन समकक्षों का इन्कार कर देंगे। (30:13)