गत 30 वर्षों के दौरान वरिष्ठ नेता का मार्गदर्शन।- 2
लोगों की सफलता में दो तत्वों की अहम भूमिका होती है।
एक व्यक्तिगत विशेषता और दूसरे माहौल से जुड़े तत्व। कुछ लोग व्यक्तिगत क्षमता व विशेषताओं को अधिक प्रभावी मानते हैं। जो व्यक्ति जितने बड़े पद पर होगा उसके व्यक्तित्व के सकारात्मक या नकारात्मक पहलु का उसके क्रियाकलापों पर वैसा ही असर दिखाई देगा। इसी आधार पर इस्लामी गणतंत्र के सबसे ऊंचे पद पर आसीन इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई के व्यक्तित्व की विशेषताओं का व्यवस्था के नेतृत्व की शैली पर प्रभावी असर रहा है जिसका जलवा उनके फ़ैसलों, दृष्टिकोणों और कार्यवाहियों में स्पष्ट रूप से नज़र आता है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के व्यक्तित्व की सबसे अहम विशेषता की बात करें तो अध्यात्म, उपासना और ईश्वर पर असीम भरोसा मुख्य गुण लगते हैं। वास्तव में इस्लामी गणतंत्र के संविधान में वरिष्ठ नेता के लिए जो शर्त रखी गयी है उसमें एक ईश्वर से डर है और इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता इस विशेषता का साक्षात रूप हैं। इसलिए वरिष्ठ नेता का चयन करने वाली विशेषज्ञ परिषद आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई की इस विशेषता के मद्देनज़र उन्हें इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए चुना।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के कार्यालय के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मदी गुलपायगानी कहते हैः "आधी रात के बाद तहज्जुद नामक विशेष नमाज़ का पढ़ना और रात भर उपासना करना इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता की विशेषता है। आप वंदना, दुआ और उपासना में लीन रहते हैं। हमेशा सुबह की अज़ान से पहले उठते हैं ताकि ईश्वर की उपासना करें। पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजनों के बारे में चिंतन मनन में लीन रहना और ईश्वर के सामिप्य के लिए हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा और मानवता के अंतिम मुक्तिदाता इमाम महदी अलैहिस्सलाम को सहारा क़रार देते हैं।" इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता की सदाचारिता लोगों के लिए आदर्श है। ईश्वर से डर व सदाचारिता से वरिष्ठ नेतृत्व जैसे महाकर्तव्य के निर्वाह में उन्हें मदद मिलती है। इस बारे मे आयुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई कहते हैः "ईश्वर की मदद के बिना कोई काम हम अंजाम नहीं दे सकते और उसकी कृपा व मदद, उसकी ओर ध्यान लगाए, उससे मदद मांगे, मन को पवित्र, नियत को शुद्ध किए और व्यक्तिगत छोटे लक्ष्यों को छोड़े बिना हासिल नहीं हो सकती।"
सदाचारिता व अध्यात्म का एक मानदंड सादा जीवन और तड़क भड़क से दूरी है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई देश के सबसे बड़े पद पर आसीन होने के बावजूद, उनका जीवन स्तर ज़्यादातर लोगों के जीवन स्तर से नीचे है। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता तड़क भड़क से दूर रहने यहां तक कि जीवन यापन को आसान बनाने वाले कुछ साधनों के इस्तेमाल से दूर रहने पर बल देते हैं। वह राजकोष की संपत्ति को व्यक्तिगत जीवन में आने नहीं देते। यह निर्मल व पवित्र जीवन शैली, जनता के विभिन्न वर्ग और देशी विदेशी बड़े अधिकारियों की उनसे मुलाक़ात की जगह की सादगी से देखी जा सकती है। जैसा कि दूसरे देशों के बहुत से नेता व राष्ट्रपति इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात के बाद उनके सादा जीवन पर हैरत जताते हैं। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामनेई का सादा जीवन एक ओर समाज के वंचित वर्ग से एक प्रकार की सहानुभूति को दर्शाता है तो दूसरी ओर दूसरों को सादा जीवन जीने के लिए आदर्श भी है। उनके व्यक्तित्व में ईश्वर से डर और सादा जीवन, लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ने की वजह है। लोग अपने वरिष्ठ धार्मिक नेता को पद की औपचारिकता से ऊपर उठ कर देखते हैं। यही वजह है कि लोग इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के निर्देशों व सिफ़ारिशों को मन से स्वीकार करते हैं।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के प्रति जनता में लगाव एकतरफ़ा नहीं है बल्कि वह भी अपने बयान और व्यवहार से हमेशा आम जनता के अधिकारों का समर्थन करते और देश के अधिकारियों पर निर्धन व वंचित वर्ग के लोगों की मुश्किलों को हल करने पर बल देते हैं। दुनिया में शायद ही कोई नेता हो जो आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई के जितना आम लोगों से मुलाक़ात करता हो। इन मुलाक़ातों में वह पथप्रदर्शन करने के साथ उनके दुख दर्द को भी साझा करते और अपने अधिकार भर उनके दुख व मुश्किलों को कम करने की कोशिश करते हैं। आपका मानना है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की पहचान ही जनता, जनता की आस्था और उसका संकल्प है। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का मानना है कि जनता की शक्ति और उसका अदम्य संकल्प हर रुकावट को दूर कर सकता है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई द्वारा जनता के अधिकारों का समर्थन किए जाने का एक नमूना यह है कि आप विभिन्न चुनावों के सही आयोजन और जनता के मत की अमानत के तौर रक्षा करने पर बल देते हैं। उनका मानना है कि चुनाव का आयोजन, जनता के मत और उसके फ़ैसले का वास्तविक सम्मान है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई वर्षों पहले धार्मिक प्रजातंत्र के दृष्टिकोण के आधार पर वजूद में आयी सरकार में जनता के रोल पर ध्यान देने पर ताकीद कर चुके हैं। इस दृष्टिकोण के अनुसार, इस्लामी सरकार में इस्लामी मूल्यों के तहत जनता का मत सरकार को बाक़ी रखता और उसके आधार को मज़बूत करता है। इस तरह ईरान में इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था का आधार इस्लाम की उच्च शिक्षाएं और जनता के मत हैं।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई जनता के विभिन्न वर्गों के बीच युवा वर्ग को इस्लामी गणतंत्र व्यवस्था और देश के भविष्य का निर्माणकर्ता मानते हैं। उनका कहना हैः "राष्ट्र व देश की हर इकाई पर क्रान्ति की रक्षा की ज़िम्मेदारी है। ये हम सबका कर्तव्य है। लेकिन युवा वर्ग देश को आगे ले जाने वाले मोटर के समान है।" इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता जवानों में मौजूद जोश, ऊर्जा और आशा को इस्लामी गणतंत्र की बहुत सी उपलब्धियों व तरक़्क़ी का अहम तत्व मानते हैं और तरक़्क़ी की प्राप्ति की यह प्रक्रिया जारी है। इस्लामी क्रान्ति के दूसरे चरण के घोषणापत्र में उन्होंने युवा वर्ग को भविष्य में इस्लामी क्रान्ति के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए समाज की ऊर्जावान फ़ोर्स के रूप में संबोधित किया है। यही वजह है कि वह देश के अधिकारियों पर बल देते हैं कि जितना मुमकिन हो युवा फ़ोर्स को इस्तेमाल करें क्योंकि वह उत्प्रेरित होती है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का एक और सिद्धांत जिसे आम लोगों के अधिकार की रक्षा समझा जाता है, वह क़ानून के लागू होने पर ताकीद है। उनके व्यक्तित्व की एक विशेषता यह है कि वह अपने व्यक्तिगत व राजनैतिक जीवन में क़ानून का सम्मान व पालन करते हैं। उनका कहना हैः "कोई भी चीज़ क़ानून से अधिक प्रिय व ऊपर नहीं है।" इस आधार पर वह कहते हैं कि सभी क़ानून के प्रति समर्पित रहें और उसका पालन करें ताकि न्याय क़ायम हो सके। कभी अगर उनसे किसी मामले में क़ानूनी अधिकार से हट कर किसी काम के लिए अपील की जाती है तो आप उसका विरोध करते हैं। इसके साथ ही इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता सरकार और दूसरे सरकारी तंत्रों से अपेक्षा करते हैं कि वे अपने क़ानूनी कर्तव्य पर सही तरह अमल करें और उल्लंघन होने पर संबंधित क़ानूनी मार्ग से उनसे निपटा जाए।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई उन लोगों में है जिन्होंने इस्लामी क्रान्ति से वर्षों पहले इसकी सफलता के लिए संघर्ष किया और इस्लामी गणतंत्र क़ायम होने के बाद इसकी रक्षा और मज़बूती के लिए विभिन्न पदों पर रहकर कोशिश की है। यही वजह है कि वह इस्लामी क्रान्ति की आकांक्षाओं के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं और देश व जनता की भौतिक व आध्यात्मिक प्रगति के लिए उनके पूरी तरह क्रियान्वयन को ज़रूरी जानते हैं। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता पिछले 30 साल से स्वाधीनता, स्वतंत्रता, न्याय, अध्यात्म, ख़ुशहाली, विकास और वंचितों की मदद जैसी आकांक्षाओं व लक्ष्यों के लिए प्रयास कर रहे हैं और इस बारे में संबंधित अधिकारियों को ज़रूरी निर्देश देते रहते हैं।

इस्लामी क्रान्ति की एक महत्वकांक्षा जो इस्लामी मूल्यों पर निर्भर है, वंचितों व पीड़तो का समर्थन करना है, जिसका इस्लामी गणतंत्र के संविधान में भी स्पष्ट रूप से उल्लेख है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई पीड़ित राष्ट्रों का समर्थन करने पर हमेशा बल देते हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में फ़िलिस्तीन, यमन, बहरैन और अन्य क्षेत्रों की जनता का समर्थन करते हैं। वैश्विक घटनाओं व संबंधों के बारे में उन्हें सटीक जानकारी रहती है जो विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाक़ात और भाषणों में स्पष्ट रूप से ज़ाहिर होती है। दुश्मन और उसके हथकंडों की पहचान भी इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता की एक अन्य विशेषता है जो उनकी सूझबूझ को दर्शाती है और इसी सूझबूझ से देश पिछले 30 साल से बड़े ख़तरों से सुरक्षित रहा है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई, स्वर्गिय इमाम ख़ुमैनी की तरह अमरीका को ईरानी राष्ट्र का सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं जिस पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता। इसी तरह ज़ायोनी शासन को ईरान सहित इस्लामी जगत के लिए ख़तरा मानते हैं। इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता पश्चिम विशेष रूप से अमरीका के वर्चस्व व प्रभाव से मुसलमानों को मुक्ति दिलाने के बारे में हमेशा सोचते हैं। यही वजह कि आप इस्लामी जगत में एकता के लिए गंभीर रूप से प्रयास कर रहे हैं। आपके इस तरह के क़दम पवित्र क़ुरआन के फ़त्ह सूरे की अंतिम आयत को चरितार्थ करते हैं जिसमें ईश्वर कह रहा हैः "मोहम्मद ईश्वर के पैग़म्बर हैं और उनके साथ जो लोग हैं वे नास्तिकों के ख़िलाफ़ कठोर और आपस में कृपालु हैं।"
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई की एक और विशेषता यह है कि आप आंतरिक मुश्किलों और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कठिन हालात के बावजूद भविष्य के प्रति आशावान हैं। यह दृष्टिकोण पवित्र क़ुरआन के इस सिद्धांत पर आधारित है कि जो भी ईश्वर के धर्म की मदद करेगा ईश्वर भी उसकी मदद करेगा और ईश्वर का वादा पूरा होकर रहता है। इसी आधार पर आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई बल देते हैः "हम एक क्षण के लिए भी ईश्वर की मदद की ओर से निराश नहीं हुए और आशा है कि हम अंतिम क्षण तक इस मदद से निराश नहीं होंगे।"