Apr १६, २०१६ १५:१७ Asia/Kolkata

ईरानी क़ालीन, ईरानी क़ौम की मूल्यवान धरोहर एवं कला हैं।

अपनी विशेष रोचकता और सुन्दरता के कारण इस कला को प्राचीन समय से लेकर आज तक ईरान और विश्व में विशेष लोकप्रियता प्राप्त है। ईरान का यह पारम्परिक उत्पाद कि जो सदियों से ईरानी हस्तशिल्प उद्योग का प्रतीक रहा है, तेल के बाद निर्यात होने वाला ईरान का सबसे महत्वपूर्ण उत्पाद है और यह प्राचीन समय से दुनिया में ईरानियों के कलाबोध, रचनात्मकता और कलाप्रेम की पहचान बन चुकी है।

ईरान में क़ालीन संग्रहालय सफ़वी और क़ाजारी काल तथा वर्तमान समय के मूल्यवान कालीनों का ख़ज़ाना है। इस संग्रहालय को देखने से जहां इंसान इस कला में होने वाले परिवर्तनों से अवगत होता है, वहीं ईरान के विभिन्न क्षेत्रों में बुने जाने वाले क़ालीनों के बारे में एक व्यापक जानकारी भी प्राप्त हो जाती है।

ईरानी फर्श का संग्रहालय दो मंज़िलों और एक भूमिगत तल पर आधारित है। यह एक आठ कोणीय इमारत है, जिसका बाहरी भाग क़ालीन के करघे की भांति है। इस इमारत को आधुनिकतम निर्माण शैली तथा क़ालीनों की सुरक्षा की विशेषताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस संग्रहालय के निर्माण और डीज़ाइन आदि की ज़िम्मेदारी ईरान के प्रसिद्ध वास्तुकार अब्दुल अज़ीज़ फ़रमानफ़रमाइयान पर थी। 1977 में इस संग्रहालय का उद्घाटन हुआ। इस संग्राहलय के उद्देश्यों में क़ालीन उद्योग के बारे में शोध करना, हाथ से बुने हुए ईरानी क़ालीनों को एकत्रित करना और ख़रीदना और ईरान और विश्व के विभिन्न इलाक़ों में प्रदर्शनियों का आयोजन करना है।

संग्रहालय के प्रदर्शनी के भाग का क्षेत्रफल 3400 वर्गमीटर है, इसमें दो हाल हैं और इसमें हाथ से बुने क़ालीन और उत्पाद रखे हुए हैं। ग्राउंड फ़्लोर का हाल स्थायी प्रदर्शनी के लिए है, जबकि फ़र्स्ट फ़्लोर का हाल अस्थाई प्रदर्शनी के लिए।

प्रदर्शनी के मुख्य भाग में प्रवेश करते ही दो अलग अलग शोकेसों में ऐसी वनस्पतियां औऱ पदार्थ रखे हुए हैं, जिनसे प्राकृतिक रंग निकाला जाता है, जैसे अनार और अख़रोट के छिल्के, सुगंधित फूलोंवाला एक क़िस्म का पौधा, नील, फिटकिरी और कालमेशी अर्थात एक बेल जिसके फूल पीलापन लिए होते हैं। जबकि दूसरे शोकेस में क़ालीन बुनने के विभिन्न उपकरण रखे हुए हैं। वहीं क़ालीन बुनने का ऊर्ध्वाधर करघा रखा हुआ है, जिस पर बुनाई करने वाला क़ालीन बुनता रहता है और यहां आने वाले लोग उसे क़ालीन बुनते हुए देख सकते हैं।

इस संग्रहालय में प्राचीनता, रोचकता, रंग, डिज़ाइन और बुनाई आदि विशेषताओं के दृष्टिगत विभिन्न प्रकार के हाथ से बुने हुए क़ालीन और गलीचे रखे हुए हैं।

 

ईरान के इस फर्श संग्रहालय में नवीं हिजरी क़मरी से लेकर आज तक के मूल्यवान क़ालीन मौजूद हैं और यह अध्ययनकर्ताओं एवं कलाप्रेमियों के लिए समृद्ध स्रोत है। ग्राउंड फ्लोर के हाल में काशान, किरमान, इस्फ़हान, तबरेज़, ख़ुरासान, कुर्दीस्तान जैसे इलाक़ों के लगभग 135 अदद क़ालीन रखे हुए हैं। संग्राहलय में दुलर्भ क़ालीनों और गालीचों के सैकड़ों दुर्लर्भ टुकड़े रखे हुए हैं।

इस संग्राहलय के क़ीमती क़ालीनों में हाथ से काशान के क़ालीन बुनकरों का हाथ से बुना हुआ 130 बाइ 220 सैंटीमीटर का क़ालीन है, जो मीर्ज़ा कूचक ख़ान जंगली के नाम से जाना जाता है। हाथ के बुने हुए इस क़ालीन पर सैन्य वर्दी पहने हुए और हाथ में बंदूक़ लिए हुए कूचक ख़ान जंगली की तस्वीर बनी हुई है। मीर्ज़ा की तस्वीर के ऊपर लगी तख़्ती पर कारख़ाने का नाम मुल्ला महमूद लिखा हुआ है।

यह क़ालीन क़ाजार शासनकाल के अंतिम दौर से संबंधित है। ईरानी क़ालीन सदैव एक मूल कला के रूप में लोकप्रिय रहा है, जिसमें विभिन्न डिज़ाइनों और रंगों का प्रयोग किया जाता रहा है। विभिन्न प्रकार के डिज़ाइनों वाले क़ालीनों में तस्वीर वाले क़ालीनों का विशेष स्थान है। इन क़ालीनों की बुनाई नवीं हिजरी शताब्दी के अंत में पुनः आरम्भ हुए जो आज तक जारी है।

आज़रबाइजान में बुने हुए सबसे सुन्दर नमूनों में तबरेज़ के बुने हुए क़ालीन का नाम लिया जा सकता है, जिसके डिज़ाइन में सुल्तान महमूद ग़ज़नवी के दरबार को दर्शाया गया है। इस क़ालीन में प्रत्येक 7 सैंटीमीटरमें गाँठों की संख्या 70 है। यह 14वीं हिजरी शताब्दी के आरम्भिक दौर में बुनी गई है। क़ालीन में ऊन और रेशम दोनों का प्रयोग किया गया है।

इस प्रदर्शनी में शाहनामे बाइसनग़री की तस्वीरों वाले क़ालीनों के नमूने प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं। यह ईरान के साहित्य, धर्म, कला और समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं। यह उस्दात मूसवी सीरत के कारख़ाने में टेक्नोलॉजी से परिचित युवाओं की सहायता से बुए गए हैं।

उस्ताद मूसवी सीरत के उत्पादों में शाहनामे बाइसनग़री के 26 पन्नों को प्रदर्शित किया गया है। इस शाहनामे को तैमूर और उसके बेटों के शासनकाल विशेष रूप से बाइसनग़र के काल में लिखा गया था। इसमें तैमूरी कला का जलवा देखा जा सकता है।

1992 में इसकी बुनाई शुरू हुई और जो पांच वर्ष तक जारी रही। इसमें प्रयोग किए गया ताना रेशम और ऊन का है। इसमें इस बात का ख़याल रखा गया है कि इसकी लम्बाई चौड़ाई एक समान रहे। डिज़ाइन के रंग और गलीचों की बुनाई एक साथ की गई है। गलीचों के किनारे नहीं हैं, लेकिन पारम्परिक डिज़ाइन को नज़र में रखकर एक तशीरी किनारे का चयन किया गया है। हर गलीचे के बुनकर का नाम किनारे पर दर्ज किया गया है।

इस संग्राहलय के दूसरे मूल्यवान नमूनों में से पोलिश क़ालीन हैं। पोलिश क़ालीनों के कलैक्शन में अब तक 300 नमूनों की पहचान की जा चुकी है। पोलिश क़ालीन ईरान के सबसे प्रसिद्ध और क़ीमती क़ालीन हैं कि जो सफ़वी शासनकाल में शाह अब्बास के शाही क़ालीन के कारख़ानों में पोलैंड के राजाओं की सिफ़ारिश पर बुने गए थे।

इन क़ालीनों की बुनाई में रेशम के धागे के साथ सोने और चांदी के मिश्रण का प्रयोग किया गया है।

इस्फ़हान के इलाक़े की क़ालीन का एक बेहतरीन नमूना, रेशम के धागों से बना गलीचा है, जिस पर एक उभरा हुआ फूल बना हुआ है, यह बुनाई की दृष्टि से अपनी क़िस्म का पहला गलीचा है। इस गलीचे के समस्त डिज़ाइन, फूल और जानवरों के चित्र रेशम के बेहतरीन धागों से बनाए गए हैं। जानवरों के चित्रों को प्राकृतिक रूप देने के लिए इसकी बुनाई में विभिन्न प्रकार की 36 क़ैचियों का प्रयोग किया गया है।

ईरान के विभिन्न इलाक़ो में बुने गए क़ालीनों के आकर्षक नमूने काफ़ी अधिक संख्या में हैं। तेहरान में बुने गए नमूनों में दुनिया के सबसे पुराने क़ालीन की प्रति का नाम लिया जा सकता है, जो क़ालीन के संग्राहलय में क़ालीन के करघे के पास रखी हुई है। यह क़ालीन 14वीं हिजरी क़मरी शताब्दी के अंत में तेहरान में बुना गया था। यह क़ालीन, डिज़ाइन, रंग, साइज़, गांठ की क़िस्म की दृष्टि से दुनिया के सबसे पुराने क़ालीन पाज़ीरीक की भांति बुना गया है।

पाज़ीरीक क़ालीन 1949 में साइबेरिया के दक्षिण में मिला था, जो हख़ामनेशी काल से संबंधित माना जाता है। बुनाई की शैली की दृष्टि से यह क़ालीन, इतना उन्नत है कि इसे देखकर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ईरान में हख़ामनेशी काल में भी क़ालीन की बुनाई प्रचलित थी। इस कला ने पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व प्रगति कर ली थी और हखामनेशी काल में इस हद तक गुणवत्ता प्राप्त कर ली थी। उक्त क़ालीन का साइज़ 83बाइ21 मीटर है।

उल्लेखनीय है कि ईरान के यादगार क़ालीनों की प्रदर्शनी के अलावा, इस संग्राहलय में क़ालीन से संबंधित शोध कार्य भी किए जाते हैं। इस संग्राहलय का विशेष पुस्तकालय है जिसमें फ़ार्सी, अरबी, फ़्रैंच, अंग्रेज़ी और जर्मनी भाषाओं में 3500 किताबें हैं। इसके अलावा, ईरानी क़ालीनों से संबंधित बेहतरीन किताबें, पत्रिकाएं और शोधकार्य इस पुस्तकालय में मौजूद हैं। पुस्तकालय के निकट ही संग्राहलय का बुक स्टोर भी है।

इसी प्रकार, संग्रहालय का भ्रमण करने वालों के लिए, संग्राहलय के प्रदर्शनी हाल में ईरानी क़ालीनों से संबंधित फ़िल्में और तस्वीरें प्रदर्शित की जाती हैं। ईरान के क़ालीन के संग्राहलय में अन्य सुविधाओं एवं मरम्मत के लिए वर्कशाप के अलावा, क्लासें, ऑडिटोरियम, काफ़ी शाप, स्टोर रूम और विशेष पुस्तकालय है, जो इसे ईरान का एक सुसज्जित एवं बेहतरीन संग्राहलय बनाता है।