Sep १५, २०१९ १४:०० Asia/Kolkata

आज की दुनिया में किसी देश के विकास व प्रगति में विज्ञान व तकनीक की भूमिका का कोई भी इन्कार नहीं कर सकता।

ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई, इस्लामी क्रांति के दूसरे क़दम के दस्तावेज़ में बल देकर कहते हैं कि ज्ञान, किसी भी देश के सम्मान व शक्ति का सबसे स्पष्ट माध्यम है। ज्ञान का दूसरा रुख़ क्षमता है। पहलवी शासन, देश के प्रभुत्व और गौरव को सैन्य शक्ति में वृद्धि और बड़ी शक्तियों पर निर्भरता में खोजता था और इसी लिए वह ज्ञान व तकनीक से उतना ही लाभ उठाता था, जितना बड़ी शक्तियां उसे उपकार जता कर प्रदान करती थीं।

इस्लामी क्रांति के दूसरे क़दम के दस्तावेज़ में हम पढ़ते हैं कि क्रांति से पहले ईरान, ज्ञान व तकनीक के उत्पादन में शून्य था। उद्योग में असेमबलिंग और ज्ञान में अनुवाद के अतिरिक्त उसके पास कोई कला नहीं थी। इसी कारण इस्लामी क्रांति के बाद अधिकारियों ने इस बड़े वैज्ञानिक पिछड़ेपन की क्षतिपूर्ति की ठान ली लेकिन खेद कि आर्थिक प्रतिबंधों, इराक़ के तानाशाह सद्दाम द्वारा ईरान पर थोपे गए युद्ध और इसी तरह दुश्मनों के अन्य षड्यंत्रों के चलते ईरान के वैज्ञानिकों को इस पिछड़ेपन की भरपाई के लिए गंभीर प्रयास करने का अवसर नहीं मिला। अलबत्ता युद्ध के बाद और विशेष कर पिछले दो दशकों में सही नीतियों और इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के प्रोत्साहन के कारण देश में विज्ञान व तकनीक के उत्पादन में तेज़ी आई और ईरान ने अनेक अहम उपलब्धियां अर्जित कीं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई, क्रांति के दूसरे क़दम के दस्तावेज़ मे लिखते हैं कि ईश्वर की कृपा से ईरानी राष्ट्र में ज्ञान-विज्ञान और अनुसंधान की क्षमता, संसार की औसत क्षमता से अधिक है। आज देश में वैज्ञानिक आंदोलन शुरू हुए लगभग दो दशक हो गए हैं और इसने अपनी गति से पूरे संसार के समीक्षकों को हतप्रभ कर दिया है। संसार में ज्ञान-विज्ञान के विकास की जो रफ़्तार है ईरान ने उससे 11 गुना अधिक रफ़्तार से इस क्षेत्र में प्रगति की है। इस अवधि में विज्ञान व तकनीक में हमारी उपलब्धियां, जिन्होंने हमें संसार के 200 देशों में 16वें स्थान पर पहुंचा दिया और पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया तथा कुछ नए व संवेदनशील विषयों में एकदम अगले पायदानों तक पहुंचा दिया, ऐसी स्थिति में हासिल की गई हैं जब देश पर आर्थिक व वैज्ञानिक प्रतिबंध लगे हुए थे।

यह बड़ी और आश्चर्यचकित करने वाली उलब्धियां ईश्वर पर भरोसे और ईरानी विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों पर विश्वास के माध्यम से हासिल की गई हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद के चार दशकों में गंभीरता से अथक मेहनत करके प्रगति का कठिन मार्ग तैय किया ताकि विभिन्न वैज्ञानिक मैदानों में अपने देश को गौरवान्वित कर सकें। इस समय ईरान में स्कूलों की संख्या, इस्लामी क्रांति से पहले की तुल ना में दुगनी है और लगभग डेढ़ करोड़ स्कूली छात्रों के लिए उचित शैक्षणिक संभावनाएं उपलब्ध करा दी गई हैं। पिछले तीस बरसों में ईरान के स्कूली छात्रों ने अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक ओलम्पियाडों में विभिन्न विषयों में 700 से अधिक मेडल हासिल किए हैं और अपने देश को इन अहम अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में संसार के दस बड़े देशों में शामिल कर दिया है।

दूसरी ओर देश में विश्वविद्यालयों की क्षमता में भी ध्यान योग्य बढ़ोतरी हुई है और ईरान की 2570 यूनिवर्सिटियों में 38 लाख छात्र विभिन्न विषयों में ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। यह ऐसी स्थिति में है कि पहलवी शासन के अंतिम वर्षों में केवल एक लाख सत्तर हज़ार छात्र यूनिवर्सिटियों में पढ़ रहे थे। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई, क्रांति के दूसरे क़दम के दस्तावेज़ में विश्वविद्यालयों की संख्या में वृद्धि और उनमें पढ़ने वाले दसियों लाख छात्रों की तरफ़ इशारा करते हुए नैनो टैकनोलोजी, स्टेम सेल्ज़ टैकनोलोजी, परमाणु ईंधन चक्र और बायो टैकनोलोजी जैसे मैदानों में ईरान की अहम वैज्ञानिक प्रगति का उल्लेख करते हैं और बताते हैं कि इनमें से कुछ मैदानों में तो ईरान, संसार के सबसे अग्रणी देशों में शामिल है।

इस्लामी क्रांति के बाद चिकित्सा के क्षेत्र में भी ईरान ने अनेक बड़े क़दम उठाए हैं और इस अतिमहत्वपूर्ण मैदान में ज्ञान के उत्पादन में वह क्षेत्रीय स्तर पर पहला और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सत्रहवां देश बन गया है। इस समय ईरान में एक लाख सत्रह हज़ार डॉक्टर और दो लाख मेडिकल छात्र हैं और संख्या की दृष्टि से यह आंकड़े इस्लामी क्रांति से पहले की तुलना में बड़ी छलांग समझे जाते हैं। इसके अलावा अस्पतालों व चिकित्सा केंद्र विकसित उपकरणों और आवश्यक संभावना से लैस हो चुके हैं और चिकित्सा सेवाएं दूरस्थ शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचा दी गई हैं।

अंग प्रत्यारोण के क्षेत्र में ईरान दुनिया के पांच सबसे बड़े देशों में शामिल है जबकि क्षेत्र में उसका स्थान पहला है। ईरान में चिकित्सा सेवाओं का स्तर इतना बेहतर है कि अन्य देशों से लोग उपचार के लिए ईरान का रुख़ कर रहे हैं। ईरान अपनी आवश्यकता की दवाओं का 97 प्रतिशत भाग देश के अंदर ही तैयार करता है और बहुत सी दवाएं वह निर्यात भी करता है। इसके अलावा ईरान रिकॉम्बीनेंट दवाओं की तैयारी में, जो प्रायः जटिल बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल होती हैं, पूरे संसार में अग्रणी देशों में से एक है और उसने लगभग तीस रिकॉम्बीनेंट दवाएं तैयार की हैं।

ईरान ने बीमारियों के उपचार में स्टेम सेल्ज़ के इस्तेमाल जैसे नए ज्ञान में भी ध्यान योग्य प्रगति की है। स्टेम सेल्ज़ या मूल कोशिकाएं, शरीर के दूसरे अंग की कोशिकाओं में बदल कर उसका उपचार कर सकती हैं। इस्लामी गणतंत्र ईरान स्टेम सेल्ज़ से उपचार के क्षेत्र में संसार के सबसे विकसित देशों में से एक समझा जाता है और ईरान के चिकित्सकों और विशेषज्ञों ने इस तकनीक का इस्तेमाल करके मस्तिष्क, हड्डी और रेटिना के प्रत्यारोपण और त्वचा, आंख व हड्डी को पहुंचने वाले नुक़सान की क्षतिपूर्ति जैसी उपलब्धियां हासिल की हैं। जेनेटिक्स के नए व अहम ज्ञान में भी ईरान, क्षेत्र का सबसे अग्रणी देश है। इस विकसित ज्ञान के माध्यम से पौधों और पशुओं को बीमारियों व क्षतियों के मुक़ाबले में अधिक मज़बूत बनाया जा सकता है और विभिन्न रोगों के उपचार में मदद की जा सकती है।

आज नैनो टैकनोलोजी ने विभिन्न क्षेत्रों में अनेक परिवर्तन कर दिए हैं और वह बड़े तेज़ी से प्रगति करती जा रही है। इस टैकनोलोजी में किसी तत्व के अत्यंत छोटे कणों में परिवर्तन करके एक बेहतर व अधिक उपयोगिता के साथ एक नया उत्पाद तैयार किया जाता है। इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इस क्षेत्र में इतनी अधिक प्रगति की है कि वह नैनो तकनीक के ज्ञान के उत्पादन में संसार में चौथे स्थान पर है और उसके उत्पाद, आंतरिक इस्तेमाल के अलावा संसार के 47 देशों को निर्यात किए जाते हैं। इस तकनीक ने चिकित्सा के अधिक उपयोगी यंत्रों की तैयारी में बहुत मदद की है और इसी तरह इमारतों के निर्माण में इस्तेमाल के लिए ठोस, हल्के और नए मसाले तैयार किए हैं।

एयरो स्पेस कई तकनीकों को मिला कर बनने वाला एक नया व जटिल मैदान है जिसमें ईरान ने काफ़ी प्रगति की है। इस तकनीक में दूर तक मार करने वाले विकसित मीज़ाइल और संचार, मौसम विज्ञान, नक़शा तैयार करने, जासूसी और सामरिक मैदानों में काम करने वाले सटीक एंव संवेदनशील उपग्रह, अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं। ईरान, पश्चिम एशिया का एकमात्र देश है जिसने 2009 में उमीद नामक उपग्रह सफलता के साथ अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करके पूरी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया और उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया जिनमें इस प्रकार की उच्च वैज्ञानिक व तकनीकी क्षमता है। इसके बाद उसने कई अन्य उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जिनमें से तीन तो कुछ जीवों को लेकर गए और सफलतापूर्वक वापस आए। इस समय भी ईरान में कई उपग्रह या तो तैयार हो रहे हैं या फिर प्रक्षेपण की प्रतीक्षा में हैं।

संपूर्ण परमाणु ईंधन चक्र की प्राप्ति ईरान की उन अहम उपलब्धियों में से है जिन्हें इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने क्रांति के दूसरे क़दम के दस्तावेज़ में इस महान व जन क्रांति के वैज्ञानिक व तकनीकी फलों में से एक बताया है। यह महान सफलता, जिसने परमाणु विज्ञान के विशेषज्ञों को हतप्रभ कर दिया, वर्ष 2006 में ईरान के विशेषज्ञों की अथक मेहनत से हासिल हुई और ईरान संसार का आठवां देश बन गया जिसके पास संपूर्ण परमाणु ईंधन चक्र के उत्पादन की क्षमता है। इस समय परमाणु तकनीक से परमाणु बिजलीघर के ईंधन और रेडियो मेडिसन की तैयारी, ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले तेल व पानी के स्रोतों की खोज, पर्यावरण के प्रदूषण की समीक्षा, मौसम की जानकारी और अन्य शांतिपूर्ण लक्ष्यों के लिए लाभ उठाया जा रहा है।

अलबत्ता पश्चिमी सरकारें, जिनमें से कुछ ने परमाणु ऊर्जा को ख़तरनाक और सामूहिक विनाश के विध्वंसक हथियारों की तैयारी के लिए इस्तेमाल किया है, ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों को ख़तरनाक बता कर इन गतिविधियों को पूरी तरह बंद करा देने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन ईरान का परमाणु कार्यक्रम, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के देख-रेख में आगे बढ़ रहा है और इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने फ़त्वे या धार्मिक आदेश में परमाणु ऊर्जा को हथियार बनाने के लिए इस्तेमाल करने को हराम घोषित किया है। उन्होंने क्रांति के दूसरे क़दम के दस्तावेज़ में कहा है। हम ज्ञान-विज्ञान से ग़लत लाभ उठाने की सिफ़ारिश नहीं करते, जैसा कि पश्चिम ने किया है लेकिन हम इस बात पर पूरी तरह से बल देते हैं कि देश को की इस बात की ज़रूरत है कि उसके भीतर ज्ञान का चश्मा उबलने लगे। (HN)