Sep १५, २०१९ १४:३८ Asia/Kolkata

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इस कार्यक्रम में इस्लामी क्रान्ति के बाद विभिन्न क्षेत्रों में ईरान की प्रगति पर चर्चा करेंगे। 

अर्थव्यवस्था की हर देश की प्रगति में मूल भूमिका होती है। जिस देश की अर्थव्यवस्था अच्छी होगी वह शक्तिशाली होगा और उस देश की जनता का जीवन स्तर बेहतर होगा। यही वजह है कि इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ईरान के आर्थिक विकास पर बारंबर बल देते हैं। उन्होंने इस्लामी क्रान्ति के दूसरे चरण के घोषणापत्र में इस विषय पर ख़ास तौर पर ध्यान दिया है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई इस घोषणापत्र में अर्थव्यवस्था की अहमियत के बारे में कहते हैः “अर्थव्यवस्था का निर्णायक रोल है। किसी देश की मज़बूत अर्थव्यवस्था का उसके लिए विदेशी वर्चस्व व प्रभाव को स्वीकार न करने में बहुत अहम रोल होता है। इसी तरह कमज़ोर अर्थव्यवस्था दुश्मनों के हस्तक्षेप, प्रभाव और वर्चस्व का मार्ग समतल करती है। निर्धनता और समृद्धता का इंसान पर भौतिक व आत्मिक दृष्टि से असर पड़ता है। अलबत्ता अर्थव्यवस्था इस्लामी समाज का उद्देश्य नहीं बल्कि साधन है। ऐसा साधन जिसके बिना उद्देश्य तक नहीं पहुंचा जा सकता। यही वजह है कि इस्लामी गणतंत्र ईरान का एक बड़ा लक्ष्य अर्थव्यवस्था के ज़रिए न्याय में विस्तार रहा है।”

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई क्रान्ति के दूसरे चरण के घोषणापत्र में कहते हैः “इस लक्ष्य की प्राप्ति के मार्ग में आर्थिक पाबंदियां और सद्दाम द्वारा ईरान पर थोपी गयी आठ वर्षीय जंग जैसी समस्या बाधा बनी। इसके बावजूद देश के अधिकारियों ने आर्थिक विकास व जनकल्याण के लिए यथा संभव कोशिश की।” इस बारे में क्रान्ति के दूसरे चरण के घोषणापत्र में आया हैः “इन बड़ी मुश्किलों के बावजूद, इस्लामी गणतंत्र ईरान दिन प्रतिदिन अधिक लंबे व मज़बूत क़दम उठाता गया। इन 40 वर्षों में इस्लामी गणतंत्र ने हैरत में डालने वाली तरक़्क़ी की और महानउपलब्धियां अर्जित की। ईरानी राष्ट्र की इन 40 वर्षों की तरक़्क़ी की अहमियत उस समय स्पष्ट होगी जब हम इस अवधि में दुनिया की बड़ी क्रान्तियों जैसे फ़्रांस, पूर्व सोवियत संघ और भारत की क्रान्ति से तुलना करें।”  

इस्लामी क्रान्ति लाने के दौरान हालांकि सभी वर्ग शामिल थे लेकिन मध्य वर्ग और निचले वर्ग का रोल अधिक था जो भौतिक संसाधनों से कुछ ख़ास समृद्ध नहीं थे। इस्लामी क्रान्ति के बाद जनता के बड़े भाग में व्याप्त निर्धनता और उसकी स्वास्थ्य व जनकल्याण की सुविधाओं से वंचितता के मद्देनज़र समाज के इस परिश्रमी वर्ग को सेवा पहुंचाने के लिए नगर नगर व गांव गांव कोशिश शुरु हुयी।

इस बारे में इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता अपने घोषणापत्र में कहते हैः “शाह के उद्दंडी शासन काल में देश की सेवा व आय के बड़े भाग से राजधानी में रहने वाला एक विशेष गुट और उसकी तरह के देश के दूसरे क्षेत्रों में मौजूद गुट लाभान्वित होते थे। ज़्यादातर शहरों की जनता ख़ास तौर पर सुदूर इलाक़ों और ग्रामीण क्षेत्रों में जनता का सेवा और आधारभूत रचनाओं जैसी मूल सुविधाओं की प्राप्ति में सबसे बाद में नंबर आता या फिर इन सब चीज़ों से वंचित थे। आज इस्लामी गणतंत्र केन्द्र से देश के हर भाग में सेवा पहुंचाने व संपत्ति के वित्रण की दृष्टि से दुनिया की सबसे सफल सरकारों में है।” इस उपलब्धि का सबसे ज़्यादा श्रेय जवान अधिकारियों की कर्तव्यपरायणता को जाता है जिन्होंने बिना किसी अपेक्षा के सुदूर क्षेत्रों को विकसित करने में बड़ी कोशिश की और यह कोशिश अभी भी जारी है। इस्लामी गणतंत्र ईरान द्वारा वंचित लोगों और पिछड़े इलाक़ों की मुश्किलों को सफलतापूर्वक हल करने की गाथा आंकड़े बताते हैं। इस्लामी क्रान्ति से पहले मानव संसाधन विकास की दृष्टि से ईरान 143वें पायदान पर था लेकिन अब 60वें पायदान पर पहुंच गया है। ईरान में विभिन्न वर्गों की आय में अंतर काफ़ी हद तक कम हुआ है। इसी प्रकार औसत आयु दर 56 साल से बढ़ कर 76 साल तक पहुंच गयी है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के चालीस साल उपलब्धियों भरे जीवन के साथ ही जनता व अधिकारियों की कोशिश से देश के सभी शहर और गावों में बिजली नेटवर्क है। सभी शहरों और 80 फ़ीसद से ज़्यादा गावों में स्वच्छ पानी की सुविधा उपलब्ध है। इसी प्रकार इस बात के मद्देनज़र कि ईरान दुनिया में गैस के सबसे बड़े भंडार का स्वामी है, अब तक 97 फ़ीसद शहरों और 81 फ़ीसद गावों तक पाइप लाइन के ज़रिए गैस पहुंचायी जा चुकी है। दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य की ओर भी विशेष ध्यान दिया गया है। इस समय 95 फ़ीसद ग्रामीण मूल स्वास्थ्य सेवा से संपन्न है। इस्लामी क्रान्ति के बाद सड़क निर्माण पर भी बहुत ध्यान दिया गया। क्रान्ति के बाद कच्ची पक्की दोनों मिलाकर 2 लाख 10 हज़ार किलोमीटर सड़को का निर्माण हुआ है जिसमें 20 हज़ार किलोमीटर राजमार्ग है। पानी और बिजली की आपूर्ति में बांध की अहमियत के मद्देनज़र इस समय 172 बांध बनाए जा चुके हैं जबकि क्रान्ति से पहले इनकी संख्या 19 थी।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई क्रान्ति के दूसरे चरण के घोषणापत्र में इस सेवा का इस प्रकार वर्णन करते हैः “देश के सुदूर क्षेत्रों तक सड़क व आवास निर्माण, आद्योगिक केन्द्र की स्थापना, कृषि में सुधार, बिजली, व पानी की पहुंच, उपचार केन्द्रों, विद्यालय व यूनिवर्सिटियों की स्थापना, बांध व बिजली घर के निर्माण इत्यादि के आंकड़े वास्तव में गर्व करने लायक़ हैं। इन सब बातों का न तो सही तरह से प्रचार हुआ और न ही आंतरिक व विदेशी दुश्मन इन उप्लब्धियों को स्वीकार करते हैं। लेकिन कर्मठ व निष्ठावान अधिकारियों की इन कोशिशों का पुन्य ईश्वर के निकट है।”       

पहलवी शासन की ग़लत नीतियों के कारण कृषि विनाश की ओर बढ़ रही थी। 30 फ़ीसद किसान बेगारी कर रहे थे। लेकिन गावों के हालात और कृषि पर ध्यान देकर पिछले 40 साल में कृषि उत्पाद में बहुत अधिक वृद्धि हुयी। इस दौरान कृषि उत्पाद की पैदावार 5 गुना बढ़ी है। इनमें से कुछ उत्पाद तो निर्यात होते हैं और ज़रूरत के नब्बे फ़ीसद गेहूं, जौ और चावल देश के किसान पूरी करते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की खाद्य पदार्थ व कृषि संस्था फ़ाउ ने वर्ष 2017 में ईरान को पश्चिम एशिया में अनाज की पैदावार की दृष्टि से दूसरे नंबर पर बताया। 2017 में ईरान में 2 करोड़ टन अनाज की पैदावार हुयी थी। कृषि के साथ साथ बाग़बानी में भी विकास हुआ है। नाना प्रकार के फल देश की ज़रूरत पूरी करने के साथ साथ निर्यात भी होते हैं। मत्सय उद्योग में भी विकास हुआ। इस्लामी क्रान्ति से पहले की तुलना में इस उद्योग में 35 गुना विकास हुआ। इस समय सालाना 11 लाख टन मत्स्य उद्योग में उत्पादन हो रहा है।

शाही शासन से ईरान को औद्योगिक ज़ाहिर करने के लिए बहुत प्रचार किया था, जबकि व्यापक विदेशी मदद के बावजूद देश के सकल घरेलू उत्पाद में उद्योग की भागीदारी 16 फ़ीसद थी। लेकिन निर्भरता व ठहराव के उस दौर के 40 साल बाद इस समय देश का लघु व कुटीर उद्योग का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान बढ़कर 40 फ़ीसद हो गया है। इस समय ईरानी उद्योग की सालाना आय 70 अरब डॉलर तक पहुंच गयी है। देश के कुछ उद्योग का जो खनिज पदार्थ के उत्पाद में सक्रिय हैं, इस उपलब्धि में विशेष योगदान है। मिसाल के तौर पर इस समय ईरान तांबे के उत्पादन व निर्यात में बड़ा देश समझा जाता है। उसके पास इस अहम पदार्थ का 4 फ़ीसद भंडार है। इसी तरह सालाना 4 लाख टन अल्मूनियम का उत्पादन करने के साथ इस दृष्टि से दुनिया में चौदहवें स्थान पर है। इसी प्रकार स्पात के उत्पादन में भी  ईरान दुनिया में चौदहवें स्थान पर है। ईरान में स्पात का सालाना 2 करोड़ 20 लाख टन उत्पादन होता है। सिमेंट के उत्पादन में ईरान ने लंबी छलांग लगायी है। इस समय ईरान सालाना 6 करोड़ टन सिमेंट के उत्पादन के साथ ही दुनिया में इस अहम पदार्थ के उत्पादन की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है।    संगीत

ईरान में तेल के विशाल भंडार के मद्देनज़र इस अहम पदार्थ से जुड़े उद्योग में व्यापक विस्तार हुआ है। इस समय पेट्रोलियम क्षेत्र में विविधतापूर्व वैल्यू ऐडेड वस्तुओं का उत्पादन हो रहा है। इस समय ईरान में सालाना 6 करोड़ पेट्रोकेमिकल वस्तुओं का उत्पादन हो रहा है कि इसका आधा भाग निर्यात होता है। गैस उद्योग के क्षेत्र में ईरान ने बड़े स्तर पर पूंजिनिवेश किया है। ईरान में प्रतिदिन 8 लाख घन मीटर गैस निकाली जाती है। इसके एक भाग से देश में 30 बिजली घरों को ईंधन की आपूर्ति होती है।

खनिज स्रोतों की दृष्टि से ईरान इतना समृद्ध है कि इसे दुनिया में खानों का स्वर्ग कहा जाता है और इस दृष्टि से दुनिया में तीसरे स्थान पर है।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता क्रान्ति के दूसरे चरण के घोषणापत्र में इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कहते हैः “ईरान की आबादी दुनिया की कुल आबादी का 1 फ़ीसद और दुनिया कुल खनिज स्रोतों के 7 फ़ीसद स्रोत से समृद्ध है।” इन स्रोतों का मूल्य 770 अरब डॉलर है। इन खनिज स्रोतों में लौह, तांबा, सोना, चांदी, लेड सहित दूसरे अहम खनिज शामिल हैं।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई पिछले चालीस साल में ईरान में आर्थिक क्षेत्र में हुयी तरक़्क़ी जैसे निर्माण, यातायात, उद्योग, बिजली, खनिज, स्वास्थ्य, कृषि और पानी इत्यादि की हज़ारों मूल रचनाओं की योजनाओं, गुणवत्ता की दृष्टि से उद्योग में दसियों गुना वृद्धि, असेंबली उद्योग के स्वदेशी उद्योग में बदलने, रक्षा उद्योग सहित इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाओं में महूसस होने वाली तरक़्क़ी की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि ये सबके सब उस सामूहिक भावना व योगदान का नतीजा है जो क्रान्ति देश के लिए उपहार में लायी।