जोज़र और शमरदल का ख़ज़ाना-७
जूज़र के भाइयों ने नाव के खेवइया से कहा कि वह जूज़र का अपहरण करके उसे समुद्र में ले जाये।
इस योजना के व्यवहारिक हो जाने के बाद जूज़र के भाइ उसका जाजूई थैला लेने के लिए गये परंतु उसके संबंध में उन सबमें मतभेद हो गया और अंततः थैला राजा के हाथ में चला गया। जूज़र भी नाव के खेवइया के हाथ से बच गया और मक्का की यात्रा के दौरान उसने अपने मित्र अब्दुस्समद को देखा और उसने अपने मित्र जूज़र को एक जादूइ अंगूठी दी। जिस व्यक्ति के पास यह अंगूठी होती थी रअद नाम का एक देव उसके अधिकार में होता था। जूज़र यह अंगूठी लेकर घर वापस आ गया। जब उसने अंगूठी की विशेषता के बारे में सुना तो उसने अंगूठी की ओर हाथ बढाया तो रअद नाम का देव प्रकट हो गया। उसने देव से कहा कि वह उसके दो भाइयों सलीम और सालिम को उसके पास लाये।
उसकी मां की हतप्रभ आंखों के सामने ज़मीन फटी और रअद उसके अंदर चला गया और उन दोनों को अपने कांधों पर बिठाकर जूज़र के समक्ष ला दिया। जूज़र के भाइयों की नज़र जैसे ही जूज़र पर पड़ी दोनों रोने लगे और उससे कहा कि वह उन्हें क्षमा कर दे। जूज़र ने फिर उन्हें क्षमा कर दिया। जूज़र समझ गया कि जादूई थैला राजा के खज़ाने में है। उसने रअद से कहा कि वह राजा के खजाने को यहां ले आये। रअद ने यह काम कर दिया। जूज़र ने थैला उठाया और रअद से कहा मेरे लिए एक अच्छे महल का निर्माण करो और उसमें बहुत सारे नौकर भी हों। रअद ने यह कार्य भी कर दिया। जूज़र ने महल अपनी मां को दे दिया परंतु अब सुनिये राजा के महल में क्या हुआ।
राजा के खज़ाने के मालिक ने जब खजाने को खाली देखा तो वह चिल्लाता हुआ राजा के पास पहुंचा और ख़ज़ाने के खाली होने की बात उसे बताई और कहा कि जादूई थैला भी लापता है। राजा ने सिपाहियों एवं सेनापतियों के उपस्थित होने का आदेश दिया जिस व्यक्ति ने जादूई थैला होने की सूचना दी थी उसके अतिरिक्त किसी को भी इस बात की सूचना नहीं थी कि हुआ क्या है। उसने कहा हे राजा मैं रात को एक जगह से गुजर रहा था देखा कि वहां कुछ लोग एक महल का निर्माण करने में व्यस्त हैं। आज मैंने देखा कि वह महल बनकर तैयार हो गया है। जांच पड़ताल की तो ज्ञात हुआ कि महल का मालिक जूज़र है। वह अभी यात्रा से लौटा है और अपने साथ बहुत अधिक सम्पत्ति लाया है और उसने अपने दोनों भाइयों को भी जेल से रिहा कर दिया है। राजा चिल्लाकर बोला शत्रु ज्ञात हो गया। जिसने सलीम और सालीम को जेल से भगाया और हमारे ख़ज़ाने को खाली कर दिया वह जूज़र के अतिरिक्त कोई और नहीं है। इसके बाद राजा ने उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया। उसका मंत्री चालाक व होशियार था।
उसने राजा से कहा महाराज जो एक रात में महल बनवा सकता है उसके पास बहुत अधिक शक्ति भी होगी। उसे गिरफ्तार करने के बारे में सोचना चाहिये। बेहतर यह है कि उसे महल में आमंत्रित किया जाये ताकि हम देखें कि वह कमज़ोर है या शक्तिशाली। उसके हिसाब से कार्यवाही की जाये। राजा ने मंत्री की बात मान ली और वह सफेद वस्त्र धारण करके अकेले जूज़र के महल में पहुंच गया और सलाम किया। उसके महल में मौजूद रक्षकों ने उसके सलाम का जवाब दिया और उससे कहा हे व्यक्ति तू कौन है क्या काम है? राजा के मंत्री ने जब यह सुना कि जूज़र के महल में मौजूद रक्षकों ने उसे व्यक्ति कह कर पुकारा है तो वह डर गया और समझ गया कि रक्षक जिन्नात हैं। उसने शांत भाव से कहा मैं राजा का मंत्री हूं। मैं आया हूं ताकि तुम्हारे मालिक को राजा के महल में मेहमान होने के लिए आमंत्रित कर सकूं। रक्षकों ने जूज़र की अनुमति मिलने के बाद मंत्री को महल के अंदर प्रवेश होने की अनुमति दी। मंत्री ने जूज़र को आदर भाव से सलाम किया और कहा राजा ने आपको आमंत्रित किया है। जूज़र ने कहा मैं राजा के महल में नहीं जाऊंगा। राजा यदि मेरा दर्शन करना चाहता है वह स्वयं यहां आये। इसके बाद उसने रअद को तलब किया और आदेश किया कि मंत्री के लिए दुनिया का सबसे सुन्दर वस्त्र लाया जाये। मंत्री राजा के महल में पहुंचा। उसने जो कपड़ा पहन रखा था उसे राजा को दिखाया और जो कुछ उसने जूज़र के महल में देखा था सब बयान किया।
राजा ने जूज़र से मुलाक़ात करने का निर्णय किया। वह सिपाहियों के साथ जूज़र के महल की ओर चल पड़ा। जब जूज़र ने यह सुना कि राजा अपने सिपाहियों के साथ यहां आ रहा है तो उसने रअद से कहा कि बहुत अधिक जिन्नातों को महल में ले आये और उन सबको युद्ध का वस्त्र पहनाया जाये और सबसे कहो कि वे महल में पंक्ति में खड़े हो जायें। राजा अपने सिपाहियों के साथ जूज़र के महल में पहुंचा। वह जिन्नात सिपाहियों की संख्या को देखकर ही समझ गया कि जूज़र की शक्ति उससे बहुत अधिक है। जूज़र महल के अपने विशेष कमरे में बड़ी शान बान के साथ सिंहासन पर बैठा था। सलीम व सालीम दो मंत्रियों की भांति उसके दोनों ओर खड़े थे। राजा आगे बढ़ा और उसने जूज़र को सलाम किया। जूज़र उसके सम्मान में अपने स्थान से खड़ा हो गया और उसके सलाम का जवाब दिया। राजशाही दस्तरखान बिछाया गया यहां तक कि आधी रात तक बात चीत होती रही और साथ में खाना पीना भी चलता रहा। जब राजा ने जाने का इरादा किया तो जूज़र ने राजा के सिपाहियों को मूल्यवान उपहार देने का आदेश दिया। उसके बाद उसने राजा से विदा ली और उससे कहा कि उससे मिलने के लिए फिर आये। राजा ने जूज़र की बात स्वीकार कर ली और उसके बाद वह कई बार जूज़र से मिलने के लिए गया। कुछ समय गुज़रा था कि जूज़र और राजा के बीच मित्रता पूर्ण संबंध स्थापित हो गये परंतु राजा को अब भी जूज़र के दिल में मौजूद द्वेष से भय था।
एक दिन उसने अपने मंत्री को बुलाकर कहा हे मंत्री मैं डरता हूं कि जूज़र के मन में हमारे प्रति द्वेष हो। एक दिन वह मेरी हत्या कर देगा और मेरा स्थान ले लेगा।
उसके मंत्री ने कहा जब आप उससे डरते हैं तो क्यों नहीं अपनी लड़की का विवाह उससे कर देते। इस स्थिति में वह आपका दामाद हो जायेगा और यदि वह मर जायेगा तो उसकी सारी सम्पत्ति आपकी हो जायेगी। राजा ने मंत्री की बात स्वीकार कर ली। मंत्री के सुझाव पर महल में बड़ी मेहमानी का प्रबंध किया गया और जूज़र को मेहमानी में आमंत्रित किया गया। जूज़र आया और राजा के बगल में बैठ गया तथा दोनों के मध्य बातचीत आरंभ हो गयी। कुछ देर के बाद राजा की सुन्दर बेटी किसी बहाने से उस कमरे में आ गयी जिसमें जूज़र बैठा था। जूजर ने उसे देखा और पसंद कर लिया। मंत्री समझ गया। वह जूज़र के पास गया और धीरे से कहा यदि राजा की लड़की पसंद आ गयी हो तो मैं उसका विवाह आपके साथ करवा सकता हूं। जूज़र ने कहा अगर तुम यह काम कर देगो तो मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूंगा। मंत्री राजा के पास गया और सारी बात उसने राजा को बताई और कहा आप अपनी लड़की के लिए भारी मेहर की मांग करियेगा। राजा ने जाजूई थैले को अपनी बेटी के मेहर के रूप में मांगा जिसे जूज़र ने स्वीकार कर लिया। विवाह का समारोह आयोजित हुआ और जूज़र तथा राजा की बेटी का विवाह हो गया। कुछ समय बीता था कि राजा का निधन हो गया और जूज़र शाही सिंहासन पर बैठा।
वह उस क्षेत्र का राजा हो गया और उसके दोनों भाई सलीम और सालीम उसके मंत्री बन गये। जूज़र न्यायी और अच्छा राजा था। लोग उससे प्रसन्न थे और वे उसके लिए दुआ करते थे। एक वर्ष बीत गया। सलीम व सालीम ने जूज़र की हत्या का निर्णय किया ताकि वे राजा और अंगूठी तथा जादूई थैले का मालिक बन जायें। सालीम ने जूज़र को अपने घर आमंत्रित किया और उसके भोजन में विष मिलाकर उसकी हत्या कर दी। उसके बाद वह अंगूठी का मालिक बन गया। सालीम ने रअद को सलीम की हत्या करने का आदेश दिया और दोनों भाइयों के शवों को सिपाहियों के सामने ज़मीन पर रख देने के लिए कहा। रअद ने सालीम के इस आदेश का भी पालन कर दिया। सिपाहियों ने डर से उसके आदेश का पालन किया और सालीम ने स्वयं को राजा बताया और कहा कि जूज़र की पत्नी का विवाह उससे कर दिया जाये। किसी में उसके आदेश के विरोध का साहस नहीं था। यह बात जूज़र की पत्नी तक पहुंच गयी। उसने कुछ नहीं कहा। जब सालीम अपने भाई जूज़र की पत्नी के महल में गया तो उसकी पत्नी ने उसका स्वागत किया।
इसके बाद उसने वह गिलास उसके हाथ में दे दिया जिसमें विष डाल रखा था और कहा इसे पीओ ताकि तुम्हारे शरीर से थकावट दूर हो जाये। सालीम ने शर्बत पकड़ा और वह उसे पी गया। विष बड़ी तेज़ी से पूरे शरीर में फैल गया सालीम बेजान होकर ज़मीन पर गिर पड़ा। राजा की लड़की ने उसके हाथ से अंगूठी भी निकाल ली और उसकी हत्या करने के बाद दूर फेंक दिया। जादूई थैले को भी दो टुकड़े कर दिया ताकि उसकी विशेषता समाप्त हो जाये। उसके बाद उसने दरबार के बड़े व प्रतिष्ठित लोगों को बुलाया और कहा राजा अभी जल्द ही मरा है और जाओ किसी दूसरे राजा का चयन करो। उसके बाद उसने काला वस्त्र धारण किया और अपने कृपालु पति जूज़र के शोक में बैठ गयी।