Apr २४, २०१६ १६:०७ Asia/Kolkata
  • सफ़ेद पक्षी-१

प्राचीन समय में एक राजा था जिसके कोई बच्चा नहीं था।

 उसके यहां बच्चे पैदा होते ही मर जाते थे। उसके उपचार के लिए दवा और जादू आदि सब कुछ किया पर उन कोई लाभ नहीं हुआ। राजा की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? जब वह मर जाएबा तो कौन राजा बनेगा? अंतिम बार जब राजा की पत्नी गर्भवती थी तो राजा ने उसे माता पिता के घर भेज दिया था ताकि उसकी अधिक देखभाल की जाये। जब रानी अपने मां- बाप के घर थी तो उसने एक बेटे को जन्म दिया। यह ख़बर सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसने अपनी पत्नी के लिए संदेश भेजा कि वह अभी अपने मां- बाप के घर ही रहे ताकि बच्चे को नज़र न लगे और वह दूसरी मुसीबतों से दूर रहे।

 

 

राजा और उसका बुरा चाहने वाले उसके मंत्री का क्या हुआ? मंत्री प्रतिदिन राजा की हत्या करने का षडयंत्र रचता था ताकि उसके बाद वह स्वयं राजा बन जाये। एक दिन जब मंत्री ने यह सुना कि राजा के यहां बच्चा पैदा हुआ है तो वह बहुत क्रोधित हुआ क्योंकि उसे पता था कि अगर राजा की हत्या कर देगा तब भी वह राजा नहीं बन पायेगा क्योंकि राजा का बेटा उसका स्थान ले लेगा। इस बार उसने देखा कि अवसर हाथ से निकला जा रहा है। तो उसने राजा की हत्या करने का निर्णय कर लिया। इस निर्णय के बाद एक दिन उसके घटकों व सहयोगियों ने राजा के महल पर आक्रमण करके उसकी हत्या कर दी। इसके बाद मंत्री राजा बन बैठा। अगले दिन उसने कुछ लोगों को रानी के पास भेजा और राजा की ओर से एक फर्ज़ी पत्र रानी के नाम भेजा। पत्र में लिखा था कि मैं यानी राजा बीमार हूं जल्दी से उठो और महल लौट आओ। मंत्री ने जिन लोगों के हाथ फर्ज़ी पत्र भेजा था जब उन्होंने रानी के लिए पत्र पढ़ा तो वह तुरंत डोली में बैठ कर उन लोगों के साथ चल पड़ी। वे लोग राजा के महल की ओर चलते चले गये यहां तक कि सूरज डूबने का समय हो गया और उन लोगों ने एक पहाड़ के आंचल में विश्राम करने के लिए डेरा डाल दिया। मंत्री ने कारवां के प्रमुख से कह दिया था कि रानी और उसके बच्चे की हत्या कर दी जाये। इसी कारण आधी रात को कारवां का मुखिया रानी के तंबू में गया। उसके अशिष्ट व असभ्य व्यवहार से रानी उसकी बुरी नियत भांप गयी और उसने कहा कि तुम्हें शर्म नहीं आती तुम कौन हो कि रानी के साथ दुर्व्यवहार का दुस्साहस कर रहे हो?

 

 

कारवां का मुखिया हंसा और बोला कौन राजा, कौन रानी? तुम्हारा पति बहुत पहले मारा जा चुका है। अब तुम्हारे पति के स्थान पर मंत्री राजा हो गया है और मैं उसीके आदेश से तुम्हें और तुम्हारे बच्चे की हत्या करने आया हूं। रानी ने जैसे ही यह बात सुनी बच्चे को गोद में दबाया और अपने तंबू से निकल कर भागने लगी। कारवां के मुखिया ने अपने सैनिकों को आवाज़ लगाई, उन्हें जगाया और उनसे कहा कि महिला का पीछा करें। वे सब नींद से उठे और महिला के पीछे पीछे दौड़ने लगे। रानी ने जब देखा कि सैनिक उसके पास पहुंचने वाले हैं तो उसने एक नज़र उठाकर आसमान की ओर और एक नज़र ज़मीन की ओर देखा और बच्चे को पहाड़ के एक दर्रे में डाल दिया। कुछ ही क्षणों में सैनिक पहुंच गये और उन्होंने रानी को पकड़ कर उसकी हत्या कर दी परंतु वे पहाड़ के दर्रे में नहीं गये। क्योंकि उन लोगों ने सोचा कि बच्चा भी किसी पत्थर से टकरा कर मर गया होगा।

 

 

मृत राजा का एक भाई था। जिन दिनों यह घटनाएं हो रही थीं वह यात्रा पर था। जब वह यात्रा से लौटकर आया तो देखा कि सारा मामला ही उलट गया है उसके भाई और रानी की हत्या की जा चुकी है और मंत्री उसकी भी हत्या करने का इरादा रखता है। उसने अपने मृत भाई के कुछ समर्थकों को अपने साथ लिया और पहाड़ की ओर चला गया। जब राजा बन बैठे मंत्री को यह पता चला कि राजा का भाई भाग गया है तो उसने उसे गिरफ्तार करने के लिए सैनिक भेजे परंतु सैनिक उसे गिरफ्तार न कर सके। उसके बाद न उसके साथ शांति स्थापित हो पायी और न ही उसकी हत्या की जा सकी। उसकी हत्या के लिए जितनी भी चालें चली गयीं उन सबका कोई लाभ नहीं हुआ। जो लोग राजा के भाई के साथ थे दिन प्रतिदिन उनकी संख्या और शक्ति बढ़ती जा रही थी। एक दिन उसके सैनिक व समर्थक उसी पहाड़ के दर्रे के पास पहुंचे जहां मंत्री के सैनिकों ने रानी की हत्या की थी। एक सवार दर्रे में गया और उसने देखा कि एक बच्चा शेर की कछार के समक्ष खेल रहा है। सवार ने बच्चे को उठाया और उसे मृत राजा के भाई के पास ले आया। मृत राजा के भाई ने देखा कि बच्चे की भुजा पर एक तावीज़ बंधा है और उस पर कुछ लिखा भी है। उसने लिखा हुआ पढ़ा और समझ गया कि यह लड़का उसके मृत भाई का पुत्र है और यह वही बच्चा है जिसे रानी ने अपनी हत्या से पूर्व दर्रे में छोड़ दिया था। चूंकि बच्चे ने जंगल की रानी शेरनी का दूध पिया था इसलिए उसका नाम शेरज़ाद रखा गया था।

 

दूसरी ओर शेरज़ाद ठीक शेर के बच्चे की भांति बहादुर था। सार यह कि शेरज़ाद ने बचपने से खूब अच्छी तरह तीर- तलवार चलाना सीख लिया था। जब वह १५ वर्ष का हो गया था तो उसके चाचा ने उसे अपनी सेना का कमांडर बना दिया। यहां तक कि यह खबर फैल गयी कि मृत राजा का बेटा मिल गया है और वह अपने चाचा की सेना का सेनापति है तो बहुत से लोग उसके साथ मिलकर लड़ने के लिए पहाड़ पर गये। उसकी सेना और शक्ति दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही थी। राजा बन बैठे मंत्री ने जब यह देखा कि काम बहुत खराब होता जा रहा है तो उसने बहुत सोचा कि राजा के भाई और उसके बेटे को गिरफ्तार करने के लिए क्या करे पर उसकी सोच का कोई परिणाम नहीं निकला अंततः उसके दिमाग़ में एक युक्ति सूझी।

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