Apr २४, २०१६ १६:३४ Asia/Kolkata
  • कचल मम सियाह-१

प्राचीन समय में एक गंजा था।

इस दुनिया में उसकी मां के अतिरिक्त उसका कोई नहीं था। एक दिन उसने अपनी मां से पूछा मां क्या हमारे दिवंगत पिता ने हमारे लिए इस दुनिया में कुछ छोड़ा नहीं है? उसकी बूढी मां ने कहा क्यों नहीं यह बंदूक जो दीवार पर टंगी है तुम्हारे पिता ने ही छोड़ी है। कचल मम सियाह ने बंदूक उठाई और उसे अपने कांधे पर रखा। रात के अंधेरे में वह शिकार के लिए निकल पड़ा। अभी घर से अधिक दूर नहीं चला था कि अचानक उसकी नज़र एक जानवर पर पड़ी जिसके एक ओर से प्रकाश निकल रहा था और दूसरी ओर से आवाज़ निकल रही थी।

 

कचल मम सियाह ने निशाना लिया और उस जानवर की ओर फायरिंग कर दी। जब वह आगे बढा तो देखा कि जानवर घायल पड़ा है। उसने सोचा कि आज यही शिकार काफी है घर चलता हूं और इसके प्रकाश और आवाज़ से लाभ उठाता हूं। यह सोचकर उसने शिकार को अपनी पीठ पर लटका लिया और घर की ओर चल दिया। जब वह घर पहुंच गया तो उसने दरवाज़ा खटखटाया उसकी मां दरवाज़े पर आयी और पूछी कौन है जो इतनी रात को दरवाज़ा खटखटा रहा है? उसके बेटे ने जवाब दिया मैं मम सियाह हूं। उसकी मां ने ज़ोर से कहा क्यों इतनी जल्दी वापस आ गये? जब तक तुम रोटी नहीं लाओगे तब तब तुम्हारे लिए दरवाज़ा नहीं खोलूंगी। कचल मम सियाह ने कहा मां मैं खाली हाथ वापस नहीं आया हूं मैंने एक जानवर का शिकार किया है। आजतक किसी राजा ने भी उस जैसा शिकार नहीं किया होगा। दरवाज़ा खोलो अब दीपक की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। उसकी मां ने जब यह बातें सुनी तो उसने दरवाज़ा खोल दिया और देखा कि उसके बेटे ने सच में एक जानवर का शिकार किया है जिसके एक ओर से प्रकाश निकलता है और दूसरी ओर से आवाज़ निकल रही है। कचल मम सियाह धीरे धीरे शिकार को घर के अंदर ले गया और उसे रख कर दीवार से टेक लगा लिया और अपने एक पैर को दूसरे पैर पर रख लिया इतने में अचानक किसी ने दरवाज़ा खटखटाया ।

 

बूढी महिला ने अंदर प्रविष्ट हुई कचल मम सियाह और उसके शिकार को देखा। उसने राजा को सूचित कर दिया था और कहा था कि हे राजा तुम क्या बैठे हो कचल मम सियाह ने पहले ही दिन एसे जानवर का शिकार किया है जिसके एक ओर से प्रकाश निकल रहा है और दूसरी ओर से ऊंची आवाज़ निकलती है। बड़े खेद की बात है कि यह शिकार तुम्हें करना चाहिये था परंतु यह कचल मम सियाह के हाथ लग गया।

 

राजा के कारिन्दे कचल मम सियाह को ले आये और राजा ने उससे पूछा सुना है कि तुमने अपने पहले शिकार में उस जानवर का शिकार किया है जो केवल राजाओं के योग्य था। कचल मम सियाह ने उसके उत्तर में कहा हां आपको सही खबर मिली है। राजा ने कहा तो जल्दी जाओ और शिकार को मेरी सेवा में हाज़िर करो। इस प्रकार का शिकार तुम्हारे योग्य नहीं है। कचल मम सियाह ने आंख पर हाथ रखा और कहा हे राजा आप ठीक कह रहे हैं मैं अभी जाकर जानवर लाता हूं। वह महल से उठा और तेज़ी से बाहर चला गया। घर पहुंचा और जानवर लेकर राजा के पास आ गया। राजा ने सोचा कि कचल मम सियाह को क्या इनाम दूं। उसकी कुछ समझ में नहीं आया। अंततः उसकी नज़र अपने मंत्री पर पड़ी और ज़ोर से उससे कहा हां मिल गया। मंत्री ने कहा महाराज कहिये क्या मिल गया कि मैं उसकी निगरानी करता रहूं ताकि दोबारा गायब न हो इस पर राजा ने कहा मंत्री जल्दी से अपना पद छोड़ो और उसे कचल मम सियाह के हवाले कर दो। हमारे पास कोई दूसरा इनाम नहीं है कि उसे दूं। मंत्री ने कहा महाराज आज नहीं कल आयें और यह पद मुझसे ले लें।

 

 

उस मंत्री के पास “बाबा कोलाह” नाम की जादूई टोपी थी। जब भी उसे कोई समस्या पेश आती थी वह उसके पास जाता था और उससे विचार विमर्श करके समस्या का समाधान ढूंढता था। मंत्री महल से बाहर गया और उसी रात बाबा कोलाह नाम की टोपी को लाया और उसे अपने सामने रखकर कहा हे बाबा कोलाह मैं तुम पर न्यौछावर हो जाऊं आप स्वयं देख रहे हैं कि मैं किस मुसीबत में फंसा हूं मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि यह कचल मम सियाह न जाने कहां से अचानक आ गया। वह मेरा पद लेना चाहता है आखिर तुम्हीं बताओ कि मैं क्या करूं मैं मंत्री के पद को कैसे छोड़ दूं और अपने स्थान को दे दूं। यह कचल मम सियाह कहीं से इंसान लगता है। बाबा कोलाह टोपी बोल पड़ी हे मंत्री तू दुःखी मत हो इसका समाधान पानी पीने से भी सरल है। कल तुम राजा के पास जाना और उससे कहना कि अगर यह कचल मम सियाह को अच्छी तरह पहचानना चाहता है तो उससे कहे कि वह उसके लिए चालिस शेरनियों का दूध आये। तू अच्छी जानता है कि जो चालिस शेरनी के पास जायेगा वह दोबारा लौट कर नहीं आयेगा। मंत्री ने सुकून की सांस ली। अगले दिन सुबह सूरज निकलने से पहले ही वह राजा के पास पहुंच गया। राजा ने मंत्री से पूछा इतने सवेरे आने का क्या कारण है?

 

मंत्री ने कहा महाराज रात को मैंने स्वप्न देखा है और चाहा कि उसे आपको बताऊं राजा ने कहा तूने क्या स्वप्न देखा है? मंत्री ने कहा महाराज मैंने स्वप्न में देखा है कि कचल सिहाया मम आपके लिए चालिस शेरनियों का दूध लाया है आप उसे भेजें ताकि वह आप के लिए दूध लाये और मेरा स्वप्न साकार हो जायेग।

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