ईरान भ्रमण- 39 (सुन्दर प्रान्त बूशहर)
बूशहर प्रान्त ईरान के दक्षिण में स्थित बेहद महत्वपूर्ण प्रान्त है।
महत्वपूर्ण इस लिए क्योंकि इस प्रान्त का फ़ार्स की खाड़ी पर छे सौ किलोमीटर से अधिक तट है। इस लिए अर्थ व्यवस्था और रणनीतिक दृष्टि से इस प्रान्त का महत्व बहुत अधिक है।

सन १०३१ हिजरी क़मरी की बात है जब ईरानी शासक शाह अब्बास सफ़वी ने फ़ार्स की खाड़ी से पुर्गालियों का प्रभाव कम कर दिया था। स्थानीय शासक करीम ख़ान ज़ंद के शासनकाल में बूशहर सहित फ़ार्स की खाड़ी और उके द्वीपों पर ब्रिटेन का प्रभाव बढ़ने लगा। दर अस्ल ब्रिटेन ने बूशहर में अपना व्यापारिक केन्द्र स्थापित करने की अनुमति प्राप्त कर ली ।
यही नहीं प्रथम विश्व युद्ध से पहले भी ब्रिटेन ने बूशहर पर पुन: हमला किया। सन १९१९ में ब्रिटेन के सैनिकों और स्थानीय जनता के बीच भीषण युद्ध आरंभ हुआ।
राम अर्दशीर या रीशहर सासानी शासनकाल में, एक विकसित बंदरगाह था और रीशहर, इस्लाम के उदय के बाद भी शताब्दियों तक आबाद था और १७वीं शताब्दी तक इसे व्यापार का महत्वपूर्ण केन्द्र माना जाता था।

बूशहर में आधुनिकता के तो बहुत से चिन्ह हैं लेकिन इस नगर को उसका अतीत और इतिहास की याद दिलाने वाले अवशेषों ने और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। बुशहर से ८ किलोमीटर की दूरी पर और तट पर एक बेहद प्राचीन नगर रीशहर के खंडहर हैं जैसा कि हम बप को बता चुके हैं।
खाज़रून हवेली काजारी काल से संबंध रखती है और उसके मालिक का नाम सैय मुहम्मद रज़ा काज़रूनी था जो बूशहर के एक बड़े और प्रसिद्ध व्यापारी थे।
पुराने ज़माने में बूशहर में कई मंज़िला इमारतों के निर्माण का चलन था जिसकी एक वजह, गर्मी से बचने की कोशिश थी। लोग कई मंज़िला इमारत बनाते और गर्मी के दिनों में ऊपरी भाग में रहते जहां हवा की आवाजाही रहती जिसकी वजह से कमरे का तापमान सहन योग्य रहता ।

बोराज़जान की प्रसिद्ध व प्राचीन धरोहरों में से एक बोराज़जान दुर्ग या मुशिरुल मुल्क की सराय है जो शहर के केन्द्र में स्थित है। इस इमारत के वास्तुकार हाजी मुहम्मद रहीम शीराज़ी हैं जिन्होंने बड़ी दक्षता के साथ और बहुत ही सुन्दर शैली से इस इमारत का निर्माण किया है। इस इमारत में प्रयोग होने वाले मुख्य मसाले में पत्थर, चूना और मिट्टी है।
आख़िर में यह भी जान लें कि बोराज़जान के आसपास के क्षेत्रों में माद और सासानी और अशकानी कालों से संबंधित महत्वपूर्ण एतिहासिक धरोहरें भी पायी गयी हैं। तूज़ या तूज़ का प्राचीन क्षेत्र, शापूर जाता है। प्राचीन काल में तूज़ भी एक व्यापारिक नगर था और वहां के कपड़े और सिलाई काफ़ी मशहूर थी।