Aug १७, २०२० १४:३६ Asia/Kolkata

प्रोग्राम में गुर्दे के रोग से पीड़ित मरीज़ों के सेल थ्रेपी से इलाज, लक़वा ग्रस्त मरीज़ों के लिए पावर हैन्ड आर्थासिज़ और पश्चिम एशिया में अनाज की सफ़ाई करने वाली सबसे बड़ी फ़ैक्ट्री के निर्माण के बारे में बताएंगे।

रोयान इंस्टीट्यूट में ईरानी वैज्ञानिक स्टेम सेल और सेल थ्रेपी के ज़रिए गुर्दे के रोगी की क्रानिक फ़ेल्यर हालत को क्रानिक पोस्ट रिनल किडनी फ़ेल्यर की ओर जाने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

ईरान के रोयान इंस्टीट्यूट में स्टेम सेल फ़ैकल्टी के सदस्य डाक्टर रज़ा मोक़दद्स अली, गुर्दे की क्रानिक हालत के इलाज के लिए मेसेन्गकिमल बोन मैरो स्टेम सेल के इस्तेमाल के बारे में कहते है: हालिया वर्षों में हुए अध्ययन से यह बात पता चली है कि स्टेम सेल ख़ास तौर पर मेसेन्गकिमल स्टेम सेल के ज़रिए कुछ हद तक गुर्दे की क्रानिक हालत को बढ़ने से रोका जा सकता है और बीमारों में रोग के लक्षण में बेहतरी आ सकती है।

इस समय इस प्रोजेक्ट का पहला चरण पूरा हो चुका है। वैज्ञानिकों ने अपने शोध के परिणाम ७ बीमारों पर लागू किए।

हैन्ड आर्थोसिज़ के प्रोजेक्ट

 

ईरान की यूनिवर्सिटी आफ़ सोशल वेल्फ़ेयर एन्ड रिहैबिलिटेशन साइंसेज़ में वैज्ञानिकों ने पावर हैन्ड आर्थिज़ के प्रोजेक्ट पर काम किया ताकि लकवे के कारण फ़ालिज ग्रस्त लोगों का इलाज कर सकें।

ईरानी वैज्ञानिक देश में अनाज की सफ़ाई करने वाली सबसे बड़ी फ़ैक्ट्री बनाने के साथ साथ नेचुरल स्वीटनर, इंसान और पशुओं के फ़ूड सप्लीमेन्ट का उत्पादन करने में सफल हुए है।

अनाज की सफ़ाई करने वाली इस फ़ैक्ट्री में मकई के दूसरे तत्वों को भी अलग किया जाता है। मकई के छिलके को इंसान और जानवर के खाद्य पदार्थ के लिए अलग किया जाता है। इस फ़ैक्ट्री में पशुओं के लिए ग्लूटेन प्रोटीन भी उत्पादित होता है। मकम से स्टार्च और दूसरे तत्वों को अलग करने के बाद ग्लूटेन नामक प्रोटीन पाउडर की शक्ल में हासिल होता है।

अनाज को रिफ़ाइन करने वाली एशिया की इस सबसे बड़ी फ़ैक्ट्री में मकई का अंकुर भी उतप्दित होता है। मकई में ४ से ५ फ़ीसद तेल होता है और इसका ९० फ़ीसद भाग अंकुर में पाया जाता है ।

अनाज की सफ़ाई करने वाली फ़ैक्ट्री

 

इसी तरह मकई के अंकुर की खली, मकई के आटे के लिए उचित पदार्थ है।

अब आपका ध्यान इस्लामी तिब की ओर मोड़ते हैं।

इस भाग में जिस्म में ख़ून की कमी की समस्या के बारे में आपको बताएंगे जिसे अंग्रेज़ी में अनीमिया कहते हैं। इसके इलाज के बारे में उस्ताद अब्बास तबरीज़ियान के विचार पेश करेंगे इस्लामी तिब की नज़र से।

उस्ताद तबरीज़ियान ख़ून की कमी या अनीमिया के इलाज के बारे में कहते हैं कि एक दवा इस्तेमाल कीजिए जिसका नाम है " क़ुर्से ख़ून" । इस्लामी कम्पाउंड दवाओं में से एक " मुरक्कबे शिश" है। या "दारूए इमाम रज़ा" इस्तेमाल करें। ये बहुत ही अच्छी दवाएं हैं। यहां तक कि कितना ही पुराना अनीमिया क्यों न हो यानी ख़ून की कमी की मुशकिल कितनी ही पुरानी क्यों न हो , इन दवाओं से ठीका हो जाएगी। रही दूसरी बात मां बनने से डरना तो इसके पीछे ख़ून की कमी का कोई रोल नहीं है। बल्कि मां बनने के बाद भी इसे खाना चाहिए ताकि बच्चे का अच्छा विकास हो।

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