राजकुमारी के प्रेम में व्यापारी का बेटा-1
एक व्यापारी था जिसका इब्राहीम नाम का एक बेटा था। इब्राहीम पढ़ने के लिए मदरसे जाता था।
एक दिन वह मदरसे से घर की ओर लौट रहा था, रास्ते में जब वह राजा के महल के पास से गुज़रा। तो इत्तेफ़ाक़ से राजा की लड़की खिड़की के निकट बैठी हुई थी, इब्राहीम की नज़र जैसे ही उस पर पड़ी वह उसका दीवाना हो गया। वह बहुत परेशान हो गया और उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? धीमे धीमे वह घर पहुंचा।
उसकी मां ने जैसे ही उसे देखा तो पूछा, इब्राहीम तुझे क्या हो गया है।? क्यों तेरा रंग उड़ा हुआ है? ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने तुझे मारा है। हज़ार प्रयासों के बाद भी इब्राहीम ने कुछ नहीं बताया। लेकिन मां जानती थी कि उसके बेटे की हालत सही नहीं है, इसलिए उसने इतने सवाल किए कि अंततः इब्राहीम को बताना ही पड़ा कि उसने राजा की लड़की को देखा और वह उसका आशिंक़ हो गया है और उसे जाकर लड़की का हाथ मांगना चाहिए। व्यापारी की पत्नी ने कहा कि बेहतर होगा वह अपने मन से यह ख़याल निकाल दे। इसलिए कि राजा तो उसे अपना नौकर भी नहीं बनाएगा तो लड़की देना तो दूर रहा। इब्राहीन ख़ामोश हो गया। जब उसका बाप आया तो इब्राहीम की मां ने कहा कि तुम्हारे बेटे पर कोई असर हो गया है, वह राजा की लड़की से विवाह करना चाहता है।
व्यापारी ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा और कहा कि अगर राजा को भनक भी लग गई तो न केवल उन्हें बल्कि पूरे परिवार को शहर से निकाल बाहर करेगा। इब्राहीम ने जब देखा कि उसके बाप और मां पर उसकी बातों को कोई असर नहीं हो रहा है तो उसका मन बैठने लगा और वह भारी मन से मदरसे लौट गया। लेकिन अब उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था, बल्कि उसके मन में तो राजा की लड़की की तस्वीर छप गई थी। इसी तरह से चलता रहा यहां तक कि व्यापारी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अब तक तो इब्राहीम को एक ही चिंता थी, लेकिन अब उसकी चिंता और दुख में वृद्धि हो गई। अब वह बिल्कुल बात नहीं करता था और न ही कुछ खाता था। सुबह घर से निकल जाता था और इधर उधर गली कूचों में घूमता फिरता और सूर्यास्त के बाद ही घर में वापस लौटता था।
मां ने बहुत कहा सुना कि यह क्या हाल बना रखा है, क्यों इधर उधर आवारा घूमता फिरता है, लेकिन बेटे पर कोई असर नहीं हुआ। अंततः मां अपने भाईयों को बुलाकर लाई कि संभव है इब्राहीम पर उनकी बात का कोई असर हो। मांमूओं ने बहुत समझाया बुझाया लेकिन इब्राहीम का मन तो कहीं और ही था।
उन्होंने कहा कि वह जिस लड़की की ओर इशारा करेगा वे उससे उसका विवाह करा देंगे, लेकिन राजा की लड़की का ख़याल अपने दिल से निकाल दे। इब्राहीम भी ज़िद पर अड़ा रहा और उसने कहा कि या राजा की लड़की या फिर कोई नहीं। उसके मांमू यह कहकर चले गए कि लड़के को फ़िलहाल उसके हाल पर ही छोड़ दिया जाए जब तक कि यह ख़याल उसके मन से न निकल जाए। एक दो दिन नहीं बल्कि एक महीना बीत गया, इब्राहीम की हालत में कुछ सुधार तो अलग की बात अब उसकी हालत और बिगड़ गई। मांमूओं ने जब देखा कि लड़का हाथ से निकला जा रहा है तो वे सिर जोड़कर बैठे ताकि कोई उपाय सोचा जाए। उन्होंने फैसला किया कि उसे कुछ पैसा दिया जाए ताकि वह जाकर कुछ कारोबार करे और उसमें व्यस्त हो जाएगा तो राजा की लड़की को भूल जाएगा।
वे लड़के को एकांत में ले गए और कहा कि उन्हें राजा के महल में प्रवेश करने की अनुमति तक नहीं मिलेगी लड़की के लिए रिश्ता मांगना तो दूर। 100 रूपय ले और जाकर कुछ काम धाम शुरू कर। इब्राहीम ने कुछ नहीं कहा और उसके मांमू अपने कामों में व्यस्त हो गए। जब सुबह हुई तो इब्राहीम ने वह 100 रूपय लिए और घर से निकल पड़ा। रास्ते में उसने एक बाबा को देखा कि जो एक थैले को बीच में रखे हुए है जिसका मूंह बंधा हुआ है और उसमें कोई जानवर पटख़ियां खा रहा है। उसने वहां किसी से पूछा कि इस थैले में कया है तो एक ने उत्तर दिया कि ड्रैगन। इब्राहीम कुछ देर तक खड़ा देखता रहा और जैसे ही उसने वहां से जाने का इरादा किया किसी ने उसे आवाज़ दी। वह पलटा और उसने वहां सबसे पूछा कि किसने उसे आवाज़ दी है?
किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर वह जैसे ही वहां से चला, वही आवाज़ आई। वह आश्चर्य में पड़ गया कि यह आवाज़ कहां से आ रही है। जैसे ही उसने वहां से जाने का इरादा किया तो इस बार आवाज़ आई कि आ और मुझे इस थैले से मुक्ति दिला दे। वह समझ गया कि थैले में बंद ड्रैगन उसे पुकार रहा है। वह मदारी के पास गया और पूछा इस थैले को जानवर के साथ कितने का बेचोगे। मदारी ने कहा 100 रूपय। इब्राहीम ने पैसे दिए और थैला ले लिया और तुरंत उसका मूंह खो दिया। ड्रैगल उछलकर बाहर आ गया। लोगों के चेहरों पर भय से हवाईयां उड़ गईं और वे सिर पर पैर रखकर भाग खड़े हुए।
लोगों की चीख़ पुकार की आवाज़ें आ रही थीं। उन्हें ऐसा लग रहा था कि यह ड्रैगन न केवल उन्हें खा लेगा बल्कि उनके घर और जीवन को भी बर्बाद कर देगा। ड्रैगन ने इब्राहीम से कहा कि वह उसे गोद में उठा ले। लड़के को अब ड्रैगन से डर नहीं लग रहा था। उसने ड्रैगन को जैसे ही अपनी बांहों में भरा वह कबूतर में परिवर्तित हो गया और लड़के के हाथ पर बैठकर बोला कि वह उसे अपने घर ले जाए। इब्राहीम जैसे ही अपने घर पहुंचा उसकी मां ने पूछा कि क्या करके आ रहा है? उसने कबूतर को नीचे उतारा। कबूतर ने एक चक्कर लगाया और वह ड्रैगन में परिवर्तित हो गया। अब जानवर फुंकार कर प्रांगण में घूमने लगा। मां का दिल फटा रहा था वह तुरंत अपने भाईयों के घरों की ओर दौड़ी ताकि वे आकर देखें कि इस लड़के ने क्या गुल खिलाए हैं और जाकर ड्रैगन ख़रीद लाया है। मांमूओं ने आकर देखा कि हां, इब्राहीम बैठा हुआ है और ड्रैगन वहां चक्कर लगा रहा है। वे आगे बढ़ने का साहस नहीं कर पाए। दूर से बुरा भला कहना शुरू कर दिया कि क्या तेरे सिर में भेजा नहीं है जो तूने इस जानवर को ख़रीदने में पैसा बर्बाद कर दिया। अगर इस जानवर की फुंकार तुझ पर पड़ गई तो तू राख बन जाएगा।
बेहतर यही होगा कि जाकर इस जानवर को जंगल में छोड़ आए। इब्राहीम के ऊपर उनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ। अंततः मांमूओं ने पुनः 100 रूपय उसे दिए और कहा कि जाकर सही से अपना कारोबार शुरू करे। जैसे ही इब्राहीम को पैसे मिले और उसके मांमू चले गए तो ड्रैगन ने धीमे से उससे कहा कि कल वह एक गली में जाए। वहां एक मदारी है जिसके पास एक पीले रंग का पिल्ला है। उस पिल्ले को वह जितनी भी क़ीमत कहे ख़रीद ले। इब्राहीम ने स्वीकार कर लिया और सुबह जल्दी उठकर उस गली में गया जहां का पता ड्रैगन ने बताया था। उसने देखा कि लोग पिल्ले के चारो ओर एकत्रित हैं और उसका मालिक हाथ में उसकी ज़ंजीर पकड़े हुए है। उसने मदारी से पूछा कि वह इस पिल्ले को कितने में बेचेगा। उसने कहा, 100 रूपय में। इब्राहीम ने 100 रूपय दिए और पिल्ला ख़रीद लिया। इब्राहीम आगे आगे और पिल्ला उसके पीछे चल दिया यहां तक कि वे घर पहुंच गए।(SM)
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