Apr २६, २०१६ ११:१८ Asia/Kolkata
  • हज़रत सुलेमान का सेब-3

हमने कहा था कि प्राचीन काल में एक राजा था जिसके तीन बेटे थे।

 उनके नाम मलिक मोहम्मद, मलिक इब्राहीम और मलिक जमशेद थे। राजा का एक बहुत बड़ा और अजीबो ग़रीब बाग़ था और क्योंकि उसका प्रवेश द्वार हमेशा बंद रहता था, इसलिए न वह ख़ुद उसमें जाता था और न ही कोई दूसरा व्यक्ति राजा के भय से उसके निकट जाने की हिम्मत करता था। राजा ने अपने जीवन के अंतिम समय में अपने तीनों बेटों से वसीयत करते हुए कहा कि कोई भी उस बाग़ का द्वार न खोले।

 

 

लेकिन एक दिन बड़ा बेटा मलिक मोहम्मद बाग़ में चला गया, उसने एक सुन्दर हिरन देखा और उसका पीछ किया। हिरन रास्ते में उससे सवाल पूछता रहा यहां तक कि वे शहर के द्वार पर पहुंच गए। लड़के को राजा के सामने हाज़िर किया गया। राजा ने उसके सामने एक शर्त रखी कि अगर वह उसकी लड़की को सुबह तक बुलवा सका जो वर्षों से कुछ नहीं बोली है तो अपनी लड़की की शादी उसके साथ कर देगा, वरना उसकी गर्दन मार दी जाएगी। जब राजा का पहला बेटा वापस नहीं लौटा तो उसके दूसरे भाई ने शासन अपने सबसे छोटे भाई के हवाले किया और अपने बड़े भाई की खोज में निकल पड़ा। मलिक इब्राहीम का भी वही हश्र हुआ जो उसके बड़े भाई का हुआ था।

 

 

 

मलिक जमशेद ने जब देखा कि उसके दोनों भाईयों का कोई अता पता नहीं है। तो उसने सोचा कि वह अपने भाईयों को इसी तरह कैसे छोड़ सकता है। उसने अपना सामान तैयार किया और अपने भाईयों की खोज में निकल पड़ा। वह भी उसी ओर चल दिया जिधर उसके दोनों भाई गए थे। वह चलता गया, चलता गया यहां तक कि उसी जगह पहुंच गया जहां हिरन आता था और बात करता था। जैसे ही वह वहां पहुंचा हिरन उसके सामने आया और उसने वही बातें उससे कहीं। राजकुमार भी उसके पीछे चल दिया यहां तक कि शहर के द्वार पर पहुंच गया। हिरन ने उसे वहीं रोका और जल्दी वापस लौटने को कहकर चला गया।

वहीं निकट ही मलिक जमशेद की एक बूढ़ी महिला से मुलाक़ात हुई। मलिक जमशेद ने जब बूढ़ी महिला को हिरन के बारे में बताया तो उसने उससे कहा, यह हिरन इस शहर के राजा की लड़की है। वह हिरन का रूप धारण करके इस जंगल में आती है और जवानों को धोका देती है। अब तक यह 200 युवकों की जान ले चुकी है।

 

 

बूढ़ी महिला ने उसे हज़रत सुलेमान का एक सेब दिया है और उससे लाभ उठाने का तरीक़ा भी उसे बताया। मलिक जमशेद सेब लेकर चला गया और बूढ़ी के निर्देशों का पालन किया।

 

जब रात हुई तो उसने बहुत प्रयास किया लेकिन लड़की नहीं बोली। जब उसने देखा कि लड़की इस तरह रास्ते पर नहीं आ रही है तो धीमे से सेब को दीप के नीचे रख दिया और सेब की ओर देखकर कहा, हे सेब मैं तुझे हज़रत सुलेमान की क़ब्र के कोने की क़सम देता हूं, कुछ बात कर ताकि हमारी यह रात बीत सके। जैसे ही उसने यह क़सम दिलाई, सेब ने बोलना शुरू कर दिया और एक कहानी सुनाई। पुराने समय की बात है, एक मुल्ला, एक बढ़ई और एक दर्ज़ी आपस में दोस्त थे। एक दिन उन्होंने एक बाग़ को किराए पर लिया। जब रात हुई तो उन्होंने आपस में तय किया कि दो लोग सोयेंगे और एक व्यक्ति बाग़ में चक्कर लगाएगा ताकि कोई जानवर आकर बाग़ को नुक़सान न पहुंचा सके और न ही कोई चोर आकर वहां से अंगूर और सेब चुरा सके। सबसे पहले बढ़ई की बारी आई और मुल्ला और दर्ज़ी सो गए।

 

 

वह थोड़ा इधर उधर टहला तो उसे नींद का एहसास होने लगा। नींद को भगाने के लिए उसने वहां पड़ी हुई लकड़ियों और तख़्तों से लड़की की प्रतिमा बनानी शुरू कर दी। जब बढ़ई के जागने का समय समाप्त हुआ, तो उस वक़्त तक प्रतिमा भी बनकर तैयार हो चुकी थी। बढ़ई ने जो प्रतिमा बनाई थी उसे एक ओर रखा और दर्ज़ी को उठाने के लिए चला गया। दर्ज़ी जब नींद से जागा तो उसने देखा कि बढ़ई ने एक लड़की की सुन्दर प्रतिमा बनाई है। उसने अपने मन में कहा कि यही तो कला है। ज़रूर उसने नींद से भगाने के लिए यह काम किया होगा। दर्ज़ी ने भी कत्तरों से प्रतिमा के लिए वस्त्र सिलना शुरू कर दिए और सीने के बाद उसे पहनाकर उसके स्थान पर रख दिया। उसकी बारी भी समाप्त हो गई और उसने जाकर मुल्ला को जगा दिया और कहा कि अब तुम्हारी बारी है। मैं सोने जा रहा हूं। मुल्ला जब बाग़ का चक्कर लगा रहा था तो उसने देखा कि बढ़ई ने लकड़ी की एक प्रतिमा बनाई है और दर्ज़ी ने कपड़े सीकर उसे पहना दिए हैं।

 

 

मुल्ला भी तुरंत सक्रिय हो गया और जो कुछ जादू टोने जानता था उसके द्वारा उसमें जान डाल दी। सुबह होने वाली ही थी कि लड़की किसी इंसान की तरह उठ खड़ी हुई। बढ़ई और दर्ज़ी भी सोकर उठ गए। जब उन्होंने लड़की को देखा तो हर एक ने सोचा कि यह लड़की तो उसकी है। इस मामले को लेकर उनमें आपस में झगड़ा होने लगा। बढ़ई कह रहा था कि यह मेरी है, इसलिए कि मैंने इसे बनाया है। दर्ज़ी कह रहा था कि यह मेरी है, इसलिए कि मैंने इसके कपड़े सिए हैं और उसे पहनाए हैं। मुल्ला का दावा था कि लड़की उसकी हुई क्योंकि मैंने उसमें जान डाली है और उसे इंसान बनाया है। मलिक जमशेद अब तू ही बता कौन सही है।

 

मलिक जमशेद ने कहा कि बढ़ई की बात सही है। इसलिए कि अगर वह नहीं बनाता तो दूसरे बाक़ी काम नहीं कर सकते थे। जैसे ही मलिक जमशेद ने यह कहा, अचानक राजा की लड़की ने ज़बान खोली और कहा, नहीं मलिक जमशेद, मुल्लाह की बात सही है, क्योंकि उसने दुआ की, मंतर पढ़ा और उसमें जान डाली। वरना ख़ाली लकड़ी से कुछ नहीं हो सकता था।

 

 

राजा की लड़की ने देखा कि वह अचानक बोल पड़ी है। कमरे के बाहर खड़े सेवकों ने राजा को जाकर यह सूचना दी। राजा ने जब यह ख़बर सुनी तो बहुत ख़ुश हुआ और दौड़ा हुआ आया ताकि अपने कानों से सनकर संतुष्ट हो सके। लड़की ने जब देखा कि अब इनकार करने का कोई फ़ायदा नहीं है तो बोलना शुरू कर दिया औऱ मलिक जमशेद से कहा, तू वही इंसान है जिसकी मुझे खोज थी। मलिक जमशेद ने जो लड़की को पसंद करने लगा था कहा, वह इस शर्त के साथ उससे शादी करेगा कि वादा करे फिर कभी ऐसा काम नहीं करेगी।

 

लड़की ने स्वीकार कर लिया और फ़क़ीर को 100 अशरफ़िया दीं। राजा के आदेश के अनुसार शहर को सजाया गया और एक हफ़्ते तक जश्न मनाया गया और सातवीं रात को उनका विवाह हो गया।

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