Oct २४, २०२० १८:२२ Asia/Kolkata

हमने ईरान के खूबसूरत प्रांत गुलिस्तान के गुंबदे काऊस नगर और उसकी सबसे प्राचीन और मूल्यवान धरोहर  गुंबदे क़ाबूस से आप को परिचित कराया था।

आज उससे बस 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक अन्य प्राचीन धरोहर से आप का परिचय करा रहे हैं। यह धरोहर वास्तव में एक टीला है जिसे  " आक़ तप्पे" कहा जाता है। आप के लिए यह जानना बेहद रोचक होगा कि यह टीला, गुरगान पठार में इतिहासपूर्व सब से पुराने गांव के अवशेष अपने अंदर संजोए हुए है। यह गांव लगभग साढ़े सात हज़ार साल पुराना है। खनन से पता चलता है कि 6 हज़ार साल ईसापूर्व तक इस टीले पर एक गांव बसा था। शोध से पता चलता है कि इस टीले में विभिन्न एतिहासिक कालखंडों के अवशेष मिले हैं। यह टीला इस समय अंडाकार है और उसके आस पास की ज़मीन से लगभग दस मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस टीले से मिट्टी और पत्थर तथा हड्डी से बनी बहुत सी चीज़ें मिली हैं। 

 

गुंबदे काऊस का एक अन्य प्रसिद्ध स्थल," यहया बिन ज़ैद " का मज़ार है। यह वास्तव में गुलिस्तान प्रांत के बेहद मशहूर पवित्र स्थलों में शामिल है। यह मज़ार गुलिस्तान के प्राचीन नगर जुरजान के निकट और गुंबदे काऊस के पश्चिम में स्थित है। यहया बिन ज़ैद , पैगम्बरे इ्सलाम के पौत्र, इमाम ज़ैनुलआबेदीन के वंश से हैं जिन्होंने बनी उमैया के शासन काल में आंदोलन चलाया था और सन 120 हिजरी क़मरी में उन्हें शहीद कर दिया गया। उनके मज़ार पर एक बहुत बड़ी इमारत है जिसमें शीशे का काम किया गया है। मज़ार के बाहर एक बहुत बड़ी पार्किंग और बाजार है जहां भांति भांति की चीज़ें बिकती हैं। हर साल पूरे ईरान से बहुत से लोग इस मज़ार के दर्शन के लिए जाते हैं। 

गुंबदे काऊस  के निकट ही एक कृत्रिम झील भी है जो बहुत से पर्यटकों को अपनी ओर आकृष्ट करती है। यह नगर के दक्षिण में स्थित है। इस झील में पर्यटकों के मनोरंजन के लिए भांति भांति के साधन मौजूद हैं और चूंकि यह झील नगर के उस हिस्से में बनायी गयी है जहां से गुज़र कर हवा चलती है इस लिए उसकी ठंडक नगर के भीतर भी महसूस होती है। 

 

हम आप को यह बता चुके हैं कि गुलिस्तान प्रांत अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। हालांकि गुलिस्तान प्रान्त का जंगल काफी मशहूर है लेकिन इस प्रांत के तालाबों का अपना अलग स्थान है। आज आप को इस प्रान्त के कुछ तालाबों से परिचित कराते हैं। गुलिस्तान प्रान्त में यूं तो बहुत तालाब हैं लेकिन आल्मा गुल और आजी गुल अंतरराष्ट्रीय तालाबों का विशेष महत्व है। इन तालाबों तक पहुंचने के लिए गुंबदे काऊस नगर से अस्सी किलोमीटर की राह तय करना पड़ेगी। यह तालाब सीमावर्ती क्षेत्र, दाशली के निकट स्थित हैं। यह वास्तव में एक पर्यटन स्थल हैं जहां पर्यावरण विभाग से जुड़े कर्मचारी चौबीस घंटे सेवा के लिए मौजूद रहते हैं। यह क्षेत्र तुर्कमानिस्तान की सीमा पर स्थित है। इस इलाक़े के अधिकांश लोग तुर्कमन जाति के हैं जिनका व्यवसाय  पशुपालन, खेती बाडी और बागबानी है।  

आलागुल नामक तालाब ईंचे बुरुन और आक़क़ला राजमार्ग के पूरब में स्थित है और जब वह भरा होता है तो उसका क्षेत्रफल 500 हेक्टेयर तक पहुंच जाता है। इस तालाब का पानी भी, इस क्षेत्र के अन्य तालाबों की तरह, अतरक नदी और प्राकृतिक स्रोतों तक सामान व शूरजे नामक खारी नहरों से आता है। आलागुल तालाब हर साल दसियों हज़ार पलायन करने वाले पंछियों का बसेरा बनता है। यह पंछी साइबेरिया के ठंडे इलाक़ों से इस तालाब की शरण में आते हैं और जाड़ों भर इसी तालाब में बसेरा करते हैं।

इस इलाक़े का एक दूसरा तालाब भी हमेशा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनता है। आलागुल नामक यह तालाब ईरान और तुर्कमनिस्तान की सीमा के बेहद निकट स्थित है। यह तालाब तंगली गांव के उत्तर में अपनी खूबसूरती के साथ नज़र आता है। तालाब का क्षेत्रफल 207 हेक्टेयर है और गहरायी अधिक से अधिक तीन मीटर है। 

 आल्मा गुल तालाब के किनारे नरकुल फैले हैं जबकि तालाब के दक्षिण में जंगल है। यह तालाब चूंकि सीमा पर स्थित है इस लिए वहां किसी भी प्रकार का शिकार या फायरिंग गैर कानूनी है। यह तालाब अतरक नदी से निकट है इस लिए उसका पानी मीठा होता है। 

 

दाशली बुरुन नामक इसी क्षेत्र में आजीगुल नामक एक अन्य तालाब भी है जिसका क्षेत्रफल 350 हेक्टेयर है। इस तालाब से थोड़ा ही आगे एक बेहद खूबसूरत झील है जिसका क्षेत्रफल 100 हेक्टेयर है। यह वास्तव में नमक की झील है। यह तालाब दो भागों पर आधारित है। तालाब का पश्चिमी भाग डेढ़ से तीन मीटर तक गहरा है जबकि पूर्वी भाग पर नरकट के पौधे हैं और यह दोनों भाग एक दूसरे से अलग हैं। इन्ही खूबसूरत तालाबों के निकट इंचे बुरुन सीमावर्ती बाज़ार भी है जहां की सैर भी रोचक होगी। 

इंचे बुरुन बाज़ार के बारे में बात करने से पहले हम आप को यह बताना चाहेंगे कि  ईरानी बाज़ार अपनी विशेषताओं की वजह से दुनिया भर में मशहूर रहे हैं।  इसका उल्लेख कहानियों व उपन्यासों में भी मिलता है। बहुत से लेखक और पर्यटक जब ईरान की विशेषता बयान करते थे तो ईरानी बाज़ारों का उल्लेख ज़रूर करते थे। ईरानी व्यापारियों की ईमानदारी और पेशेवराना नैतिकता भी इन बाज़ारों की ख्याति का एक कारण है। पर्यटक कहीं भी जाते हैं वहां के बाज़ार उन्हें अपनी ओर  खास तौर पर आकर्षित करते हैं क्योंकि ज़ाहिर सी बात है कि बाज़ार किसी भी नगर और समुदाय की संस्कृति से परिचित होने का एक अच्छा तरीका होते हैं। तो फिर दो देशों की सीमा पर स्थित इंचे बुरुन बाज़ार से पर्यटक कैसे दूर रह सकता है? 

   इंचे बुरुन सीमावर्ती बाज़ार, गुलिस्तान प्रान्त के उत्तर में स्थित है और यह  गुंबदे काऊस ज़िले नगर इंचे बुरुन के करीब बनाया गया है। इंचे बुरुन नगर एक टीले पर है जिसे इंचे बुरुन कहा जाता है जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ, बारीक और पतला होता है। इस बाज़ार में बहुत से सामान बेचे जाते हैं। 

 

यह बाजार चूंकि दोनों देशों की सीमा के बीच में स्थित है इस लिए इसका महत्व और बढ जाता है। यही वजह है कि ईरान के कोने कोने से पर्यटक इस बाज़ार की सैर करने जाते हैं। गुलिस्तान प्रान्त के अधिकारियों ने इस बाज़ार तक आम लोगों की पहुंच सरल बनाने के लिए सीमा तक रेल की पटरी बिछायी है जिसकी वजह से लोगों के लिए बाज़ार तक पहुंचना बेहद सरल हो गया है और इसी लिए बहुत से लोग इस बाज़ार से सामान खरीदने और सैर करने जाते हैं। इस बाजार में ईरान और तुर्कमानिस्तान के सामान मिलते हैं और दोनों ओर के व्यापारी अपना सामान इस बाज़ार में लाते हैं। 

हम पहले बता चुके हैं कि पर्यटन में बाज़ार का बहुत बड़ा हाथ होता है और पर्यटक हर  इलाके के बाज़ार में काफी दिलचस्पी रखते हैं । गुंबदे काऊस इस मामले में भी पीछे नहीं हैं और इस क्षेत्र के बाज़ार पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यही वजह है कि गुंबदे काऊस के आरंभ में ही " बाज़ारे रूसहा" यानी रूस बाज़ार का काफी नाम है और यह गुंबदे काऊस जाने वाले हर पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह बाज़ार छत के साथ है और पूरे बाज़ार में लगभग सौ दुकाने  हैं। अस्ल में यह इलाक़ा चूंकि रूस की सीमा पर है और बाजारों में अधिकांश चीज़े रूस और तुर्कमानिस्तान की होती थीं इस लिए इसे रूसियों का बाज़ार कहा जाने लगा। वैसे इस इलाक़े में विभिन्न दिनों में लगने वाले स्थानीय बाज़ारों का भी बहुत महत्व है। इन बाज़ारों में लोगों के इस्तेमाल की विभिन्न चीज़े मिलती हैं लेकिन इसके साथ ही चूंकि इन बाज़ारों में स्थानीय लोग हस्तकला के नमूने और अपनी कला कृतियां भी बेचने लाते हैं इस लिए यह बाज़ार पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र होते हैं क्योंकि इस तरह से उन्हें कलाकारों से सीधे रूप में उनकी कलाकृतियां खरीदने का अवसर मिलता है।  

 

हरियाली से भरे- हरे भरे  गुलिस्तान प्रान्त की यात्रा इस लिए भी यादगार हो जाती है कि इस प्रांत के आंचल में हज़ारों साल की यादें भी संजो कर रखी गयी हैं।.

 

 

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