क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-789
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-789
وَالَّذِينَ يَسْعَوْنَ فِي آَيَاتِنَا مُعَاجِزِينَ أُولَئِكَ فِي الْعَذَابِ مُحْضَرُونَ (38)
और जिन लोगों ने यह सोच कर हमारी आयतों को झुठलाने की कोशिश की कि वे हमें असहाय कर सकते हैं, वे (ईश्वरीय) दंड में ग्रस्त किए जाएँगे। (34:38)
قُلْ إِنَّ رَبِّي يَبْسُطُ الرِّزْقَ لِمَنْ يَشَاءُ مِنْ عِبَادِهِ وَيَقْدِرُ لَهُ وَمَا أَنْفَقْتُمْ مِنْ شَيْءٍ فَهُوَ يُخْلِفُهُ وَهُوَ خَيْرُ الرَّازِقِينَ (39)
(हे पैग़म्बर!) उनसे कह दीजिए कि मेरा पालनहार अपने बन्दों में से जिसे चाहता है व्यापक रोज़ी प्रदान करता है और जिसे चाहता है नपी-तुली रोज़ी देता है। और जो कुछ भी तुम (उसकी राह में) ख़र्च करते हो, वही उसकी जगह तुम्हें और (माल) देता है और वही रोज़ी देने वालों में सबसे अच्छा है। (34:39)
وَيَوْمَ يَحْشُرُهُمْ جَمِيعًا ثُمَّ يَقُولُ لِلْمَلَائِكَةِ أَهَؤُلَاءِ إِيَّاكُمْ كَانُوا يَعْبُدُونَ (40) قَالُوا سُبْحَانَكَ أَنْتَ وَلِيُّنَا مِنْ دُونِهِمْ بَلْ كَانُوا يَعْبُدُونَ الْجِنَّ أَكْثَرُهُمْ بِهِمْ مُؤْمِنُونَ (41)
और जिस दिन वह उन सभी को इकट्ठा करेगा फिर फ़रिश्तों से पूछेगा कि क्या ये लोग तुम्हारी ही उपासना किया करते थे? (34:40) वे कहेंगे कि (प्रभुवर!) तू हर बुराई से पवित्र है, हमारा स्वामी तू है, ये नहीं, बल्कि वास्तव में ये (हमारी नहीं बल्कि) जिन्नों की उपासना करते थे (और) इनमें से अधिकतर उन्हीं पर ईमान लाए हुए थे। (34:41)