क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-790
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-790
فَالْيَوْمَ لَا يَمْلِكُ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ نَفْعًا وَلَا ضَرًّا وَنَقُولُ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا ذُوقُوا عَذَابَ النَّارِ الَّتِي كُنْتُمْ بِهَا تُكَذِّبُونَ (42)
तो (उस समय हम कहेंगे कि) आज तुममें से कोई न किसी को लाभ पहुंचाने का अधिकार रखता है और न ही हानि पहुंचाने का। और हम उन अत्याचारियों से कहेंगे कि अब (नरक की) उस आग के दंड का मज़ा चखो जिसे तुम झुठलाया करते थे। (34:42)
وَإِذَا تُتْلَى عَلَيْهِمْ آَيَاتُنَا بَيِّنَاتٍ قَالُوا مَا هَذَا إِلَّا رَجُلٌ يُرِيدُ أَنْ يَصُدَّكُمْ عَمَّا كَانَ يَعْبُدُ آَبَاؤُكُمْ وَقَالُوا مَا هَذَا إِلَّا إِفْكٌ مُفْتَرًى وَقَالَ الَّذِينَ كَفَرُوا لِلْحَقِّ لَمَّا جَاءَهُمْ إِنْ هَذَا إِلَّا سِحْرٌ مُبِينٌ (43)
और जब उन्हें हमारी स्पष्ट आयतें (पढ़कर) सुनाई जाती हैं तो वे कहते हैं कि यह व्यक्ति तो बस यही चाहता है कि तुम्हें उन (मूर्तियों की उपासना) से रोक दे जिनकी उपासना तुम्हारे बाप-दादा करते आ रहे हैं। और वे कहते हैं कि यह (क़ुरआन) तो एक घड़ा हुआ झूठ है। और काफ़िरों के सामने जैसे ही सत्य आया तो उन्होंने कह दिया कि यह तो एक स्पष्ट जादू के अलावा कुछ नहीं है। (34:43)
وَمَا آَتَيْنَاهُمْ مِنْ كُتُبٍ يَدْرُسُونَهَا وَمَا أَرْسَلْنَا إِلَيْهِمْ قَبْلَكَ مِنْ نَذِيرٍ (44) وَكَذَّبَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِهِمْ وَمَا بَلَغُوا مِعْشَارَ مَا آَتَيْنَاهُمْ فَكَذَّبُوا رُسُلِي فَكَيْفَ كَانَ نَكِيرِ (45)
और हमने न इन लोगों को पहले (आसमानी) किताबें दी थीं कि ये उन्हें पढ़ते हों और न आपसे पहले इनकी ओर कोई सचेतकर्ता भेजा था। (34:44) और जो लोग इनसे पहले गुज़र चुके हैं, उन्होंने भी (पैग़म्बरों को) झुठलाया था। और जो कुछ हमने उन्हें दिया था ये तो उसके दसवें भाग को भी नहीं पहुँचे हैं। मगर जब उन्होंने मेरे पैग़म्बरों को झुठलाया तो फिर (देख लो कि) मेरा दंड कैसा (कड़ा) था! (34:45)