क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-792
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-792
قُلْ إِنَّ رَبِّي يَقْذِفُ بِالْحَقِّ عَلَّامُ الْغُيُوبِ (48) قُلْ جَاءَ الْحَقُّ وَمَا يُبْدِئُ الْبَاطِلُ وَمَا يُعِيدُ (49)
(हे पैग़म्बर! इनसे) कह दीजिए कि निश्चय ही मेरा पालनहार सत्य को (दिल में) डालता है (और) वह सभी छिपी हुई बातों को भली-भाँति जानने वाला है। (34:48) कह दीजिए कि सत्य आ गया और असत्य न तो कुछ आरंभ कर सकता है और न ही पुनः पलटा सकता है। (34:49)
قُلْ إِنْ ضَلَلْتُ فَإِنَّمَا أَضِلُّ عَلَى نَفْسِي وَإِنِ اهْتَدَيْتُ فَبِمَا يُوحِي إِلَيَّ رَبِّي إِنَّهُ سَمِيعٌ قَرِيبٌ (50)
(हे पैग़म्बर! इनसे) कह दीजिए कि अगर मैं पथभ्रष्ट हो जाऊँ तो मेरी पथभ्रष्टता मेरे अपने लिए ही बुरी होगी और यदि मैं सीधे मार्ग पर हूँ तो इसका कारण यह है मेरा पालनहार मेरी ओर वहि (यानी अपना विशेष संदेश) भेजता है। निःसंदेह वह सब कुछ सुनने वाला (और) निकट ही है। (34:50)
وَلَوْ تَرَى إِذْ فَزِعُوا فَلَا فَوْتَ وَأُخِذُوا مِنْ مَكَانٍ قَرِيبٍ (51) وَقَالُوا آَمَنَّا بِهِ وَأَنَّى لَهُمُ التَّنَاوُشُ مِنْ مَكَانٍ بَعِيدٍ (52)
और (हे पैग़म्बर!) काश आप इन (काफ़िरों व अनेकेश्वरवादियों) को (उस समय) देखते जब ये घबराए फिर रहे होंगे और फिर बचकर कहीं न जा सकेंगे और निकट स्थान ही से धर लिए जाएँगे। (34:51) और (उस समय ये) कहेंगे कि हम उस पर ईमान ले आए। हालाँकि अब उनके लिए इतने दूर स्थान से उस (ईमान को पाना) कहाँ सम्भव है? (34:52)
وَقَدْ كَفَرُوا بِهِ مِنْ قَبْلُ وَيَقْذِفُونَ بِالْغَيْبِ مِنْ مَكَانٍ بَعِيدٍ (53) وَحِيلَ بَيْنَهُمْ وَبَيْنَ مَا يَشْتَهُونَ كَمَا فُعِلَ بِأَشْيَاعِهِمْ مِنْ قَبْلُ إِنَّهُمْ كَانُوا فِي شَكٍّ مُرِيبٍ (54)
और निश्चय ही ये तो इससे पहले ही कुफ़्र अपना चुके थे और दूर से ही बिना देखे तुक्के लगा रहे थे। (34:53) और इनके और इनकी इच्छाओं के बीच दूरी डाल दी जाएगी जिस तरह इससे पहले इनके जैसे लोगों के साथ किया गया था। निश्चय ही वे बहुत डाँवाडोल कर देने वाले संदेह में पड़े हुए थे। (34:54)