Dec ०७, २०२० १७:१० Asia/Kolkata

कार्यक्रम में हम बताएंगे कि कोस्टारिका की रहने वाली एक लड़की किस प्रकार से इस्लाम से प्रभावित हुई।

कुछ एसे लोग हैं जिनके मुसलमान होने की कहानी इतनी विचित्र है कि जब उसे सुनते हैं तो पता चलता है कि ईश्वर किस प्रकार से अपने चाहने वालों के लिए सफलता की भूमिका प्रशस्त करता है।  वे भाग्यशाली लोग जिन्होंने इस्लाम को स्वेच्छा से स्वीकार किया उनमें से एक, Marcella Vargas Santa Maria भी हैं।  मारसेला का संबन्ध केन्द्रीय अमरीकी देश कोस्टारिका से है।  कोस्टारिका एसा देश है जहां पर मुसलमानों की संख्या बहुत ही कम है।  स्वभाविक सी बात है कि जब कोस्टारिका में मुसलमानों की संख्या बहुत ही कम है तो फिर वहां पर इस्लामी शिक्षाओं के प्रचार एवं प्रसार की संभावना भी न के बारबर ही होगी लेकिन इस्लामोफ़ोबिया वहां पर भी मौजूद है।

 

दक्षिण कोरिया की जिस यूनिवर्सिटी में मारसेला ने एडमीशन लिया था उसमें कई देशों के छात्र पढ़ते थे।  यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले इन विदेशी छात्रों में एक छात्र का संबन्ध ईरान से था जो मारसेला का क्लासफेलो था।  “मोईन मीर हुसैनी” और “मारसेला वरगस सांतामारिया” दोनों ही एक क्लास में पढ़ते थे।

मोईन को आरंभ से ही विदेशी भाषाएं सीखने का बहुत शौक था। 

मारसेला और मोईन दोनों के लिए दक्षिणी कोरिया में अंजानापन था।  वे वहां की भाषा और संस्कृति कुछ भी नहीं जानते थे।  पढ़ाई के अतिरिक्त बचा हुआ समय काटने के लिए उनके पास कुछ नहीं था।  मोईन को दूसरे देशों की यात्रा करना और वहां के बारे में जानने का बहुत शौक़ था।  यही कारण है कि दक्षिणी कोरिया में पढ़ाई के लिए आने से पहले मोईन भारत की यात्रा पर भी गया था।  मोईन जिज्ञासु स्वभाव का लड़का था।

इस्लाम के यात्राएं करने और दूसरी संस्कृतियों को जानने पर बल दिया गया है। 

जब मोईन ने मारसेला से जब स्पेनिश सीखनी शुरू की तो उस दौरान जब धर्म की बात निकली तो मारसेला ने मोईन को बताया था कि उसके देश कोस्टारिका में इस्लाम के बारे में कम ही लोगों में जानकारी है और वहां पर इस्लाम को लेकर लोगों में संदेह पाय जाता है।  उसने बताया कि वहां के कई परिवार इस्लाम को लेकर नकारात्मक सोंच रखते हैं। 

जिस दौरान मोईन, मारसेला से स्पेनिश सीख रहा था उस दौरान मारसेला ने इस्लाम के बारे में उससे कई बार सवाल पूछे।  अपने सवालों के संतोषजनक उत्तर पाने के बाद इस्लाम के बारे में मारसेला की उत्सुक्ता बढ़ गई।  अब वह आए दिन इस्लाम से संबन्धित सवालों को मोईन से पूछा करती थी। 

 

हिजाब एसी चीज़ है जिसके माध्यम से महिला, पुरूषों द्वारा किये जाने वाले हर प्रकार के संभावित दुरूपयोग से सुरक्षित रहती है।  हिजाब, महिला के व्यक्तित्व में चार चांद लगा देता है। 

मोईन का कहना था कि इस बीच मैं काफ़ी हद तक स्पेनिश भाषा सीख चुका था किंतु अब हो यह रहा था कि मारसेला, मुझको स्पेनिश भाषा सीखाने में कम और इस्लाम के बारे में जानने में अधिक समय गुज़ारने लगी। 

मोईन ने मारसेला से विवाह करने का फैसला किया था किंतु उनका कहना था कि मेरे माता और पिता की शर्त यह थी कि वे उसका विवाह किसी मुसलमान लड़की से ही करेंगे।  जब मारसेला, रेहाना हो गई तो फिर मोईन को अपनी बात माता-पिता के सामने रखने की हिम्मत पैदा हुई।  मोईन के मां-बाप ने उसकी बात मान ली किंतु उनका कहना था कि वे शादी अपने ही देश ईरान में ही करेंगे।  मोईन मीर हुसैनी का संबन्ध ईरान के पवित्र नगर मशहद से था।

विवाह के लिए जब मारसेला मश्हद पहुंची तो उसे वहां का वातावरण देखकर बहुत खुशी हुई।  उसने अपने जीवन में इससे पहले कभी भी एसा वातावरण देखा ही नहीं था। 

आज पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रौज़े के निकट मशहद में रेहाना शांतिपूर्ण जीवन गुज़ार रही है।