Feb ०८, २०२१ १५:०७ Asia/Kolkata
  • इंसान की ज़िंदगी के वह लम्हे जो निर्णायक मोड़ साबित होते हैं

जन्नतुल हैदरी उस क्षण के बारे में कहती हैं जब मैं होश में आयी तो धीरे- धीरे ऑपरेशन का दर्द महसूस करने लगी

इंसान की ज़िन्दगी में एसे बहुत से मौक़े आते हैं जो परिवर्तन का आरंभिक बिन्दु सिद्ध होते हैं। दूसरे शब्दों में इंसान की ज़िन्दगी में कुछ एसी घटनायें पेश आती हैं जो बहुत बड़े परिवर्तन यहां तक कि इंसान की ज़िन्दगी के बदल जाने का कारण बनते हैं। इस प्रकार की एक घटना कनाडा की एक महिला जन्नतुल हैदरी के साथ हुई। वह एक ईसाई परिवार में पैदा हुई थीं। वह घटना  उनके जीवन में बहुत बड़े परिवर्तन का कारण बनी।

 

जन्नतुल हैदरी की दूसरी संतान का जन्म होने वाला था। उनका ऑपरेशन होने वाला था। उन्हें बेहोश करने की दवा दी गयी परंतु उन्हें उस मात्रा से कम बेहोश करने की दवा दी गयी जितनी ज़रूरत थी। बहरहाल वह बेहोश हो गयीं और ऑपरेशन हो ही रहा था कि बीच में वह होश में आ गयीं। जन्नतुल हैदरी उस क्षण के बारे में कहती हैं जब मैं होश में आयी तो धीरे- धीरे ऑपरेशन का दर्द महसूस करने लगी। यहां तक कि मेरी आंखे खुल गयीं और डाक्टरों और नर्सों को देखने लगी। दर्द बहुत हो रहा था मैं दर्द से चीख़ रही थी। रो रही थी। ऑपरेशन का दर्द इतना अधिक था कि मैंने सोचा कि अब मैं बचूंगी नहीं और मेरी आत्मा मेरे शरीर से अलग हो रही थी। यह सोचकर मैं बहुत डर गयी थी। क्योंकि मेरा विश्वास था कि मौत के समय आत्मा शरीर से अलग होती है। वह बहुत कठिन और पीड़ादायक घड़ी थी परंतु उन डाक्टरों और नर्सों की सहायता से मैं बच गयी जो यह समझ गये थे कि मैं होश में आ गयी हूं किन्तु ईश्वर, आत्मा और मौत के बारे में विभिन्न सवाल मेरे मन में आ रहे थे विशेषकर इस पीड़ादायक घटना के बाद ब्रह्मांड के रचयिता के प्रति मेरी आस्था और अधिक हो गयी थी।

जन्नतुल हैदरी अपने प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए ईसाई, यहूदी, बौद्ध और इस्लाम जैसे धर्मों का सहारा लेने का प्रयास करती थीं। जिन किताबों का वह अध्ययन करती थीं उनमें पवित्र कुरआन भी था। इस ईश्वरीय ग्रंथ ने उन्हें अपनी ओर बहुत आकर्षित किया विशेषकर इसलिए कि आसमानी ग्रंथ में महान ईश्वर, इंसान और उसकी आत्मा के बारे में बहुत ही गूढ़ व रोचक बिन्दु मौजूद हैं। इसी प्रकार जब कनाडा की इस जिज्ञासु महिला ने पैग़म्बरे इस्लाम की पावन जीवनी को पढ़ा तो मुसलमानों के बारे में उनका दृष्टिकोण बदल गया।

 

जन्नतुल हैदरी के जीवन की एक अन्य घटना सोशल साइट पर उनका एक इराकी धर्मगुरू से परिचित हो जाना था। यह इराकी धर्मगुरू ईरान के पवित्र नगर कुम में धार्मिक शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। इस परिचय ने जन्नतुल हैदरी की ज़िन्दगी को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चूंकि जन्नतुल हैदरी वास्तविकता की खोज में थीं इसलिए उन्होंने महान ईश्वर के बारे में अपने सवालों को पूछना आरंभ कर दिया। इराकी धर्मगुरू ने जन्नतुल हैदरी के साथ जिस प्रकार के व्यवहार का परिचय दिया उसके बारे में वह कहती हैं कि बातचीत से मैं समझ गयी थी कि वह बहुत अच्छे विचार के साथ एक धार्मिक व्यक्ति हैं। वह बड़े धैर्य व संयम के साथ हमारे लिए इस्लाम की मूल शिक्षाओं को बयान करते थे। उन्होंने कभी भी मेरे साथ इस प्रकार का कोई व्यवहार नहीं किया जिससे मैं अपने अतीत पर शर्मीन्दा हूं कि मैं पहले क्या थी। उन्होंने कभी भी मुझसे नहीं कहा कि मैं एक पश्चिमी लड़की हूं, तलाक़ ले चुकी हूं और मैं दो बच्चों की मां हूं।

इस इराकी मुसलमान धर्मगुरू का अच्छा व्यवहार इस बात का सूचक है कि ग़ैर मुसलमानों को इस्लाम की ओर बुलाने में अच्छा व्यवहार कितना प्रभावी है। बहरहाल इराकी धर्मगुरू के प्रयास और मार्गदर्शन से वह ईसाई महिला इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेती हैं और पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों से प्रेम करने वाली बन जाती हैं। कुछ समय के बाद यह इराकी धर्मगुरू कनाडा जाते हैं और वहीं पर जन्नतुल हैदरी से विवाह कर लेतं हैं।

जन्नतुल हैदरी ने जिन कारणों से इस्लाम धर्म को स्वीकार किया उनमें एक महत्वपूर्ण कारण पैग़म्बरे इस्लाम का सदाचरण और उनका कोमल स्वभाव है। वह इस बारे में कहती हैं। इस्लाम स्वीकार करने से पहले मीडिया के माध्यम से हमें जो जानकारी मिलती थी उससे हमारे दिमाग़ में यह बैठ गया था कि मुसलमान हिंसक होते हैं और वे महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं परंतु पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के पावन जीवन से हमें जो सीख मिलती है वह पूर्णतः भिन्न है। वह पैग़म्बरे इस्लाम का वर्णन इस प्रकार करती हैं महान ईश्वर के बंदों के सदगुणों को पैग़म्बरे इस्लाम में देखा जा सकता है वह सदगुणों की प्रतिमूर्ति थे। पैग़म्बरे इस्लाम ने इस दुनिया में किसी से शिक्षा हासिल नहीं की थे परंतु उनके अंदर जो नैतिक विशेषतायें थीं उन सबने मुझे अपनी ओर खींचा। इसी प्रकार वह कहती हैं कि मैंने पैग़म्बरे इस्लाम के बारे में काफी किताबों का अध्ययन किया और मैंने अध्ययन के दौरान पाया कि पैग़म्बरे इस्लाम अपनी धर्मपत्नी हज़रत ख़दीजा का बहुत सम्मान करते थे और मेरे अंदर यह विचार उत्पन्न हुआ कि दूसरे धर्मों की अपेक्षा इस्लाम, पति- पत्नी के संबंधों को और उत्तम दृष्टि से देखता है।

पवित्र कुरआन पैग़म्बरे इस्लाम को सर्वोत्तम आदर्श के रूप में पेश करता है और पैग़म्बरे इस्लाम का सुशील व सभ्य व्यवहार दूसरों को इस्लाम की ओर बुलाता है। दया व कृपा के पैग़म्बर की हस्ती ही इस प्रकार है कि फ्रांसीसी इतिहासकार, विचारक और इस्लाम विशेषज्ञ गस्ताव लेबान Gustave Lebon पैगम्बरे इस्लाम की प्रशंसा किये बिना नहीं रह सके। वह अरबों और इस्लामी सभ्यता के बारे में लिखी गयी अपनी किताब में कहते हैं पैग़म्बरे इस्लाम के बारे में अरब लेखकों ने जो किताबें लिखी हैं उसके अनुसार पैग़म्बरे इस्लाम बहुत सदाचारी, विचारक, कम बोलने वाले, दूरदृष्टि, अच्छा हृदय और कथनी और करनी में बहुत सतर्क इंसान होने के अलावा शिष्टाचार का बहुत ध्यान रखते थे। यहां तक कि जब पैग़म्बरे इस्लाम धनवान हो गये और उन्हें शक्ति प्राप्त हो गयी तब भी उन्होंने अपने कार्यों को दूसरों के हवाले नहीं किया। वह कठिनाइयों और परेशानियों में धैर्य व संयम से काम लेते थे। वह बहुत ऊंचे मनोबल के स्वामी थे और दूसरों के साथ बहुत ही सुशील, कोमल और अच्छा व्यवहार करते थे।  

 

इस समय जन्नतुल हैदरी को हिजाब की समस्या का सामना है। पश्चिम में इस्लामी हिजाब  के खिलाफ बहुत प्रचार किया जाता है। पश्चिमी समाज और जन्नतुल हैदरी के परिवार का हिजाब के बारे में अच्छा विचार नहीं है। यहां तक कि मुसलमान होने से पहले स्वयं जन्नतुल हैदरी का विचार भी हिजाब के बारे में नकारात्मक था किन्तु मुसलमान होने से पहले उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के बारे में इस्लाम और पश्चिम के नारीवाद के दृष्टिकोणों का भी अध्ययन किया था। वह महिलाओं के बारे में पश्चिम में किये जाने वाले प्रचार को इस प्रकार बयान करती हैं कि पश्चिम में रहने वाली महिलाओं से हमेशा यह कहा जाता है कि कपड़ा पहनने में उन्हें आज़ादी होनी चाहिये। आप जब भी कपड़ा पहनती हैं तो वह एसा होना चाहिये कि दूसरों का ध्यान आपकी ओर खींचे। पश्चिम में यह सामान्य बात है। पश्चिम में रहने वाली महिलाओं से कहा जाता है कि जो कुछ ईश्वर ने आपको दिया है उसे छिपाइये नहीं। दुनिया को उस सुन्दरता को दिखाइये जो ईश्वर ने आपको दी है। इस प्रकार की बातों का लक्ष्य महिलाओं को सज- संवर कर पेश होने के लिए उकसाना है। इस प्रकार का प्रचार इस बात का कारण बना है कि पश्चिम में रहने वाली महिलाएं, लड़कियां यहां तक कि बूढ़ी औरतें भी सज- संवर कर घर से बाहर जाती हैं। सारांश यह कि पश्चिम में महिला का हाथ और चेहरा आदि का विदित होना उसकी आंतरिक क्षमताओं के स्पष्ट होने से अधिक महत्वपूर्ण है। जन्नतुल हैदरी कहती हैं कि इस प्रकार का प्रचार करके वास्तव में महिलाओं को गुमराह किया जाता है। जन्नतुल हैदरी कहती हैं कि इस्लाम धर्म स्वीकार करने से पहले वह भी इस प्रकार के प्रचार से प्रभावित थीं। वह कहती हैं जब मैं अपने अतीत पर नज़र डालती हूं तो मैं इस बात को अच्छी तरह समझ जाती हूं कि पूरी तरह मेरा भी ब्रेन वाश कर दिया गया था। इस्लाम धर्म स्वीकार करने से पहले मैं भी चाहती थी कि समाज के लोग मुझे देखें और इस तरीक़े से मुझे स्वीकार करें। दूसरी ओर यह सोचती थी कि जो महिलाएं हिजाब करती हैं वे अवसाद का शिकार हैं और वे मज़लूम हैं और उन पर अत्याचार किया जाता है परंतु जब मैंने इस्लाम की उच्च शिक्षाओं में गहन विचार -विमर्श किया तो अच्छी तरह मेरी समझ में आ गया कि इस्लाम महिलाओं के मूल्यों को उनके व्यक्तित्व में मानता है।

हिजाब महिला की प्रतिष्ठा व गरिमा को सुरक्षित करने का माध्यम है। कनाडा की मुसलमान होने वाली महिला जन्नतुल हैदरी हिजाब के बारे में अपने आरंभिक अनुभवों को इस प्रकार बयान करती हैं। जब मैं हिजाब के साथ पहली बार घर से बाहर गयी तो मेरे लिए बहुत कठिन था। कोई भी हिजाब करने वाली मुसलमान महिला मेरे घर के आस- पास नहीं रहती थी। मैं अपने आस- पास रहने वाले लोगों को यह बताना चाहती थी कि मैं मुसलमान हो चुकी हूं और जिस रास्ते में मैंने क़दम उठाया है उसमें मज़बूत व दृढ़ हूं।

जन्नतुल हैदरी हिजाब के दूसरे फायदों को इस प्रकार बयान करती हैंः बाद में मैं इस नतीजे पर पहुंची कि हिजाब मेरे लिए एक मूल्य है। क्योंकि यह अपने पालनहार से निकट होने का एक माध्यम भी है। मैंने उस समय भी हिजाब करना नहीं छोड़ा जब हिजाब करने के कारण समाज में मुझे विभिन्न बुरी उपाधियां दी गयीं। धीरे- धीरे मैं समझ गयी कि अब लोग मुझे एक चीज़ की नज़र से नहीं देखते हैं और मेरे आस- पास रहने वाली महिलाएं मुझे प्रतिस्पर्धी की दृष्टि से नहीं देखती हैं और इस चीज़ से मुझे आराम मिला और मैंने हिजाब करना नहीं छोड़ा।

इस समय जन्नतुल हैदरी इस्लाम धर्म के प्रचार- प्रसार के लिए बहुत प्रयास कर रही हैं। वह इस्लाम को पहचनवाने के लिए बच्चों के लिए किताबें लिखती हैं। इसी तरह वह इस्लाम के प्रचार- प्रसार के लिए एक वेबसाइट भी चला रही हैं। इस का एक लक्ष्य यह है कि जो लोग इस्लाम के बारे में अध्ययन करना चाहते हैं, या इस्लाम के बारे में उनके दिमाग़ में कुछ सवाल हैं वे इस वेबसाइट पर अपने सवाल कर सकते हैं।

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