राष्ट्रीय संग्रहालय
ईरान जैसी विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक को पहचानने के लिए निश्चित रूप से उसके इतिहास का ज्ञान बहुत ज़रूरी है।
ईरान के प्राचीन इतिहास को पढ़कर वहां की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को सरलता से समझा जा सकता है। किसी देश का इतिहास और उसकी सभ्यता को समझने में वहां के संग्रहालयों की विशेष भूमिका होती है। ईरान में पाए जाने वाले संग्रहालयों में से प्रमुख संग्रहालय राजधानी तेहरान में स्थित हैं। इसका नाम राष्ट्रीय संग्रहालय है। इस संग्रहालय में ईरान की प्राचीन कलाकृतियां, सुरक्षित रूप में मौजूद हैं।
ईरान का राष्ट्रीय संग्रहालय लगभग 80 वर्ष पुराना है। यह संग्रहालय, न केवल यह कि ईरान का सबसे बड़ा संग्रहालय है बल्कि यहां पर पाई जाने वाली वस्तुओं की विविधता की दृष्टि से इसकी गणना विश्व के बड़े संग्रहालयों में होती है। ईरान में इसे मूल संग्रहालय के रूप में देखा जाता है। ईरान के राष्ट्रीय संग्रहालय का निर्माण प्राचीन धरोहरों के संरक्षण, उनके प्रदर्शन, बाद की पीढ़ियों तक उनके स्थानांतरण, राष्ट्रों के बीच विचारों को पहुंचाने और आम लोगों विशेषकर छात्रों और शोधकर्ताओं तक जानकारियां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया है।
यह संग्रहालय दो अलग-अलग इमारतों में बना हुआ था। इनमें से एक इमारत का निर्माण सन 1937 में हुआ जिसे ईरान के प्राचीन संग्रहालय के नाम से जबकि दूसरे को इस्लामी काल के संग्रहालय के नाम से जाना जाता है जिसका निर्माण सन 1996 में हुआ। इन्हें 18000 वर्गमीटर क्षेत्र में बनाया गया है। इन संग्रहालयों में लगभग तीन लाख दुर्लभ चीज़ें रखी हुई हैं। इन संग्रहालयों में इतिहास पूर्व के काल से लेकर बाद तक के कालों की वस्तुएं रखी हुई हैं जिसके कारण यह ईरान का सबसे महत्वपूर्ण संग्रहालय है।
ईरान के प्राचीन संग्रहालय की इमारत ग्यारह हज़ार वर्गमीटर में बनी हुई है जो तीन मंज़िला है। इसके प्रवेश द्वा को “एवाने कसरा” अर्थात सासानी सरकार के शासन केन्द्र के मशहूर महल के आधार पर बनाया गया है। इसको बनाने के लिए गाढ़े लाल रंग की ईंटों का प्रयोग किया गया है जो सासानी काल की वास्तुकला को चित्रित करती हैं।
संग्रहालय की एक इमारत में इस्लामी काल की धरोहरें रखी गई हैं। नाना प्रकार की सांस्कृतिक गतिविधियां अंजाम देने के उद्देश्य से इसका निर्माण सन 1323 हिजरी शमसी में आरंभ हुआ था जो कुछ बाधाओं के कारण 1329 हिजरी क़मरी में बनकर तैयार हुआ। इस्लामी काल से संबन्धित यह संग्रहालय लगभग दस हज़ार वर्गमीटर क्षेत्र में बना हुआ है जो चार मंज़िला है। इसकी दो मंज़िलों पर प्राचीन अवशेषों को रखा गया है जबकि इसकी दो अन्य मंज़िलें, दूसरी गतिविधियों के लिए विशेष हैं।
यहां पर हम आपको राष्ट्रीय संग्रहालय के उस भाग से परिचित करवाएंगे जो पूर्व इतिहास काल से संबन्धित है। इस संग्रहालय में पाषाण युग के पत्थर से बने उपकरणों से लेकर लौह युग तक की वे वस्तुएं मौजूद हैं जिन्हें उन कालों में प्रयोग किया जाता था। संग्रहालय के इतिहास से पूर्व काल वाले भाग में जो वस्तुएं रखी हुई हैं वे कच्ची मिट्टी, धातु, पत्थर, हाथी के दांत और अन्य वस्तुओं से बनी हुई हैं। यह वस्तुएं एसी हैं जिनमें से अधिकांश या तो शोधकर्ताओं को खोज के दौरान मिली हैं या फिर अन्य खुदाइयों में हासिल हुई हैं।
इन वस्तुओं को देखकर बहुत ही सरलता से अति प्राचीनकाल की जीवनशैली, सामाजिक व्यवस्था और उस काल के लोगों के धर्म एवं उनकी आस्था का पता लगाया जा सकता है। इनसे ईरान के पठारी क्षेत्रों में रहने वालों की योग्यताओं, क्षमताओं और उनकी कला का भी पता चलता है।
संग्रहालय में जो सबसे प्राचीन वस्तु है वह “स्टोन ब्लेड” है। यह स्टोन ब्लेड दस लाख वर्षों से भी पुराना है। यह स्टोन ब्लेड सन 1974-1975 में पूर्वोत्तरी ईरान के ख़ुरासान प्रांत में एक नदी के किनारे मिला था।
संग्रहालय में नवपाषाण युग से लेकर बाद के कालों की वस्तुएं रखी गई हैं जिनमें पत्थर के उपकरण और मिट्टी की प्राचीन कच्ची ईंटें और जानवरों की मूर्तियां आदि सम्मिलित हैं। यहां पर चौथी तथा पांचवी सहस्त्राब्दी में ईरान के महत्वूपर्ण क्षेत्रों जैसे शूश, इस्माईलाबाद, चश्मेअली और तेलबाकून आदि जैसे क्षेत्रों के कच्ची मिट्टी से बने रंगीन बर्तन मौजूद हैं।
ईरान के बहुत से क्षेत्रों में ईसापूर्व छठी सहस्त्राब्दी से पहली सहस्त्राब्दी तक विभिन्न समाजों का अस्तित्व पाया जाता है। यह समाज, हाथ से बनी वस्तुओं और कृषि उत्पादों के माध्यम से आपस में संपर्क रखते थे। कच्ची मिट्टी और धातु से बनी वस्तुओं के माध्यम से उस काल की कला और तकनीक में विकास एवं वृद्धि को समझा जा सकता है।
ईसापूर्व दूसरी सहस्त्राब्दि के अंतिम काल से संबन्धित चोग़ाज़ंबील उपासना स्थल और एक हज़ार वर्ष ईसा पूर्व से संबन्धित वस्तुएं जो, आज़रबाइजान में हसनलू क्षेत्र से, ख़ूरवीन अर्थात तेहरान और क़ज़वीन के बीच स्थित क्षेत्र, कुर्दिस्तान के ज़ेविये और गीलान के मारलीक क्षेत्रों की वस्तुओं को विशेष महत्व प्राप्त है।
वे विभिन्न वस्तुएं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में खुदाई के दौरान मिली हैं उनमें गीलान के मारलीक क्षेत्र की वस्तुओं को अधिक महत्व प्राप्त है। इन वस्तुओं में अधिकांश बरतन, युद्ध के उपकरण, आभूषण, मूर्तियां और मनुष्य तथा पशुओं के ढांचे सम्मिलित हैं। वहां से प्राप्त होने वाले सोने के बरतन जो ग्लास, कटोरे, प्याले तथा अन्य आकारों में हैं, उस काल के लोगो की आर्थिक स्थिति और उनकी जीवन शैली के साथ ही उनकी आस्था को भी बताते हैं। इन्ही वस्तुओं में से एक, सोने का प्याला भी है जिसपर एसी गाय का चित्र बना हुआ है जिसके दोनो ओर पंख लगे हैं। मारलीक की इस प्राचीन वस्तु को कला का उत्कृष्ट नमूना माना जाता है।
राष्ट्रीय संग्रहालय के इतिहास पूर्व भाग में जो वस्तुएं रखी हुई हैं उनमें से अधिकांश का संबन्ध ईलम साम्राज्य से है। ईलम, वास्वत में दक्षिण पश्चिमी ईरान का एक बहुत प्राचीन साम्राज्य था। ईलम साम्राज्य के विभिन्न कालों, विशेषकर इस साम्राज्य के मध्य काल से संबन्धित कलाकृतियां संग्रहालय में मौजूद हैं। इस काल से संबन्धित चोग़ाज़ंबील उपासना स्थल, उस काल की वास्तुकला का सर्वोत्तम नमूना है। इसमें शिलालेख के साथ गाय का ढांचा, शीशे के पाइप तथा लिखी हुई ईंटें हैं। चोग़ाज़ंबील के शीशे के पाइप, ईरान के अतिप्राचीन शीशे के नमूने हैं।
संग्रहालय का एक अन्य महत्वपूर्ण भाग लोरिस्तान से संबन्धित है। यहां पर जो वस्तुएं रखी हुई हैं वे ईरान की प्राचीनतम वस्तुए हैं जिनसे ईरान में समृद्ध कला और संस्कृति का पता चलता है। यहां पर तख़्ते जमशीद, दारयूश की मूर्ति और ख़शायार शाह से संबन्धित कीलाक्षर लीपि के शिलालेख मौजूद हैं।
संग्रहालय में मौजूद दर्शनीय वस्तुओं में एक अन्य वस्तु, हमूराबी शिलालेख है। यह शिलालेख 215 सेंटीमीटर लंबा। इसपर 283 धाराओं वाला क़ानून लिखा हुआ है जो काले पत्थर पर है। इसपर विश्व में पहली संकलित तिथि अंकित है। इस शिलालेख पर उस काल के लोगों के सामाजकि जीवन को निर्धारित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि यह शिलालखे सन 1901 में मिला था। इसे फ़्रांसीसी भूगर्भवेत्ता जे-डिमोरगेन ने शूश के क्षेत्र में खोजा था। बड़े खेद की बात है कि उस समय के अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह मूल्यवान शिलालेख, ईरान से बाहर चला गया। वर्तमान समय में यह फ़्रांस के लोवर संग्रहालय में मौजूद है। इस समय ईरान के राष्ट्रीय संग्रहालय में इस शिलालेख की कापी मौजूद है जबकि वास्तविक शिलालेख फ़्रांस में ही है।
संग्रहाल के लोरिस्तान नामक भाग में वे वस्तुएं रखी गई हैं जो लोरिस्तान के नाम से जानी जाती हैं। यहां पर रखी पीतल की वस्तुएं, लोरिस्तान की पीतल की वस्तुओं के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। यह वे वस्तुए हैं जो, पिछले कुछ दशकों के दौरान पश्चिमी ईरान में स्थित ज़ागरस पर्वत के पर्वतांचल में खुदाई के दौरान मिली हैं। लोरिस्तान से प्राप्त होने वाली इन वस्तुओं में पाई जाने वाली विविधता के कारण इन्हें विशेष महत्व प्राप्त है।