Pars Today
रमज़ान के महीने में नमाज़ के बाद जिन दुआओं के पढ़ने की सिफ़ारिश की गई है, उनमें से एक दुआए फ़रज है।
रमज़ान का महीना जारी है और हम सब ईश्वर के अतिथि हैं।
एकता की रक्षा और फूट व विवाद से दूरी, पैगम्बरे इस्लाम , इमामों और धर्म के मार्गदर्शकों की शैली रही है।
आज पवित्र रमज़ान की वह रात है जिसमें क़ुरआन नाज़िल हुआ जिसे शबे क़द्र कहते हैं।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने कूफ़े की मस्जिद में रमज़ान का महत्व बताते हुए अपने भाषण में कहा कि हे लोगो! पवित्र रमज़ान का सूरज, रोज़ा रखने वालों पर ईश्वर की कृपा के साथ चमक रहा है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम की शहादत निकट है।
पवित्र रमज़ान का महीना चल रहा है और इस वर्ष इस्लामी गणतंत्र ईरान के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की बर्सी भी रमज़ान में पड़ रही है।
यह वह महीना है जिसे पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम ने प्रायश्चित का महीना कहते हुए फ़रमाया था, पवित्र रमज़ान का महीना ईश्वर का महीना और पापों से क्षमा का महीना है। यह महीना ईश्वर के प्रकोप से बचने का महीना है।
इस्लाम में जेहाद को बहुत अहम उपासनाओं में बताया गया है कि जिसका दायरा पवित्र रमज़ान में हमेशा बढ़ा है और मुसलमानों को बहुत सी जीत इसी पवित्र महीने में मिली।
महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने बंदगी को पैग़म्बरे इस्लाम की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता बताया है और यह वह विशेषता है जिसका उल्लेख पवित्र कुरआन ने भी किया है।