ड्रोन ने अफ़्रीक़ा में सशस्त्र संघर्षों को कैसे बदल दिया है?
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पार्सटुडे: अफ़्रीक़ा में खूनी लड़ाइयों और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच, ड्रोन युद्ध के मैदान में एक नए खिलाड़ी बनकर उभरे हैं, एक ऐसी तकनीक जिसने न केवल शक्ति संतुलन को बिगाड़ा है, बल्कि क्षेत्रीय संघर्षों और गठबंधनों के रास्ते भी बदल दिए हैं।
(last modified 2025-09-30T13:31:56+00:00 )
Sep २९, २०२५ १६:२० Asia/Kolkata
  • ड्रोन ने अफ़्रीक़ा में सशस्त्र संघर्षों को कैसे बदल दिया है?
    ड्रोन ने अफ़्रीक़ा में सशस्त्र संघर्षों को कैसे बदल दिया है?

पार्सटुडे: अफ़्रीक़ा में खूनी लड़ाइयों और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच, ड्रोन युद्ध के मैदान में एक नए खिलाड़ी बनकर उभरे हैं, एक ऐसी तकनीक जिसने न केवल शक्ति संतुलन को बिगाड़ा है, बल्कि क्षेत्रीय संघर्षों और गठबंधनों के रास्ते भी बदल दिए हैं।

अफ़्रीक़ा में युद्ध के मैदानों में ड्रोन का प्रवेश इस महाद्वीप के संघर्षों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। जबकि सरकारें और सशस्त्र समूह सैन्य बढ़त हासिल करने की होड़ में हैं, इस तकनीक ने न केवल सैन्य नियमों, बल्कि भू-राजनीतिक समीकरणों और अफ़्रीक़ा के साथ विदेशी शक्तियों के संबंधों को फिर से परिभाषित करने में सक्षम है।

 

पार्सटुडी की रिपोर्ट के अनुसार, इथियोपिया और टाइग्रे युद्ध से लेकर सूडान में चल रहे संकट और साहेल क्षेत्र में तनाव तक, ड्रोन अफ्रीकी लड़ाइयों में निर्णायक उपकरण बन गए हैं - एक ऐसा उपकरण जो शक्ति का वादा तो करता है, लेकिन साथ ही नई अशांति का खतरा भी अपने भीतर समेटे हुए है।

 

अलजजीरा सेंटर फॉर स्टडीज ने "कैसे ड्रोन ने अफ़्रीक़ा में सशस्त्र संघर्षों को बदल दिया है?" शीर्षक वाले एक लेख में कहा है: अफ़्रीक़ा महाद्वीप, जो कई गृहयुद्धों और सशस्त्र संघर्षों का मैदान रहा है, ड्रोन एक प्रभावशाली कारक के रूप में युद्ध के मैदान को बदलने और शक्ति और प्रभाव के नक्शे को फिर से परिभाषित करने में सक्षम हुए हैं।

 

आधुनिक युद्धों में ड्रोन सबसे महत्वपूर्ण शक्ति उपकरणों में से एक माने जाते हैं; क्योंकि वे जासूसी जानकारी एकत्र कर सकते हैं, सटीक हवाई हमले कर सकते हैं, उच्च सटीकता के साथ लक्ष्यों की पहचान कर सकते हैं और यहां तक कि दुश्मन की रक्षा प्रणालियों को बाधित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भी भूमिका निभा सकते हैं।

हॉर्न ऑफ अफ़्रीक़ा में इथियोपिया से लेकर साहेल क्षेत्र में माली तक, ड्रोन का आंतरिक युद्धक्षेत्रों में प्रवेश ने सशस्त्र समूहों और सरकारी सेनाओं के बीच लड़ाई के परिदृश्य को बदल दिया है। नतीजतन, संघर्षों की तीव्रता और आतंकवादी करार दिए गए समूहों के खतरे ने इस तकनीक को खरीदने के लिए सरकारों की लागत बढ़ा दी है।

 

इस संदर्भ में प्रकाशित रिपोर्टों से पता चलता है कि 2023 में अफ़्रीक़ा में ड्रोन बाजार का मूल्य 6 करोड़ साढ़े 5 लाख  डॉलर तक पहुंच गया और 2030 तक यह बढ़कर 1 करोड़ 70 लाख डॉलर हो जाने का अनुमान है। ड्रोन की संख्या भी 2023 में 293 इकाइयों से बढ़कर इस दशक के अंत तक लगभग 663 इकाइयों तक पहुंच जाएगी।

 

जानकारी जुटाने वाले हल्के छोटे मॉडलों से लेकर 900 किलोग्राम से अधिक निर्देशित हथियार ले जाने की क्षमता वाले उन्नत ड्रोन तक विभिन्न प्रकार के ड्रोन खरीदे गए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीकी देशों में मिस्र 267 इकाइयों के साथ अग्रणी है, उसके बाद मोरक्को, नाइजीरिया, इथियोपिया और अल्जीरिया का स्थान है। अफ़्रीक़ा के आधे से अधिक ड्रोन उत्तरी अफ्रीकी देशों में केंद्रित हैं।

 

इस प्रवृत्ति के मुख्य कारणों में सुरक्षा चिंताएं, ड्रोन की त्वरित और आसान क्षमताएं, और साथ ही विदेशी शक्तियों की मौजूदगी शामिल है। 26% हिस्सेदारी के साथ चीन अफ़्रीक़ा को ड्रोन का सबसे बड़ा निर्यातक है।

 

ड्रोन के बढ़ते उपयोग ने युद्ध के तरीकों में भी नाटकीय बदलाव लाया है। 2011 में सोमालिया में अमेरिकी ड्रोन द्वारा दर्ज पहले हमले से लेकर अब तक, 15 अफ्रीकी देशों में लगभग 900 हमले किए जा चुके हैं। ड्रोन ने इथियोपिया की सेना को टाइग्रे फ्रंट के साथ युद्ध में संतुलन बदलने और 2022 में अदीस अबाबा के पतन को रोकने में सक्षम बनाया। इसी तरह सूडान युद्ध (2023 से अब तक) में, सेना ड्रोन की मदद से रैपिड सपोर्ट फोर्सेज की फ़्रंट लाइनों को कमज़ोर करने में सफल रही। माली में भी सेना ने ड्रोन के साथ ज़बरदस्त हवाई बरतरी हासिल की है।

हालाँकि, ड्रोन के प्रसार के नकारात्मक परिणाम भी हुए हैं। सटीक हमले, हालाँकि आंशिक क्षति को कम करने के लिए डिज़ाइन किए गए थे, बार-बार नागरिक हताहत हुए हैं, और आँकड़े बताते हैं कि 13 देशों में 1,000 से ज़्यादा नागरिक मारे गए हैं। गैर-सरकारी तत्वों द्वारा ड्रोन का अधिग्रहण भी एक नई वास्तविकता है जो युद्धों को लम्बा खींच सकता है और शांति वार्ता को जटिल बना सकता है।

 

ड्रोन अब केवल युद्ध के उपकरण नहीं रह गए हैं, बल्कि अफ़्रीक़ा में नए गठबंधन बनाने का एक भू-राजनीतिक प्रवेश द्वार बन गए हैं। इस तकनीक ने अफ्रीकी देशों को पारंपरिक पश्चिमी ढाँचे से बाहर नए सुरक्षा साझेदार चुनने की अनुमति दी है।

 

अंततः, अफ़्रीक़ा में ड्रोन का भविष्य केवल उनके स्वामित्व से ही नहीं, बल्कि उनके प्रबंधन और विनियमन से भी तय होगा। केवल तकनीक ही सुरक्षा नहीं लाती; नीतियाँ और संस्थाएँ निर्णायक भूमिका निभाती हैं। अफ़्रीक़ा के सामने अब एक विकल्प है कि वह सुरक्षा और शांति के लिए इस उपकरण का ज़िम्मेदारी से उपयोग करे, या अंतहीन युद्धों के एक नए चक्र में फँस जाए। (AK)

 

कीवर्ड्ज़:  ड्रोन, अफ़्रीक़ा, यूएवी, माली, सूडान

 

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